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गुरु पर हुई कृपा :देर आए दुरुस्त आए

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सुसंस्कृति परिहार

आखिरकार ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया। विश्वगुरु विष्णु के कथित अवतार को अपने गुरु भाजपा के कर्मठ वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी को भारत रत्न देने की घोषणा करने बाध्य होना ही पड़ा। पिछले दिनों राममंदिर उद्घाटन के दौरान राममंदिर हेतु सर्वाधिक संघर्ष करने वाले आडवानी की जो घोरdd उपेक्षा हुई उससे रामभक्त बुरी तरह नाराज़ थे। इसलिए भूल सुधारने  का एक सुखद अवसर उन्हें मिल गया।साथ ही साथ सिंधी समाज में इसे समाज की मानहानि मानते हुए मोदी के खिलाफ बन रहे माहौल में भी सुधार की गुंजाइश बनती हुई। विदित हो इससे पूर्व भाजपा कोटे से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और भाजपा संस्थापक नाना देख मुख  सम्मानित हो चुके हैं।हाल ही में यह सम्मान बिहार के हज्जामों को चुनावों में साधने वहां के समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत देने की घोषणा हुई है।

भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है लालकृष्ण आडवाणी। लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।ल

लेकिन आडवानी का नाम इसी  1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान सबसे ज्यादा चर्चित हुआ । उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में पटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया।] 1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया था। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल था।

परिस्थितियां बदलती गई देश में धर्मान्धता राजनीति का हिस्सा बनी। गुजरात में 2002में नरसंहार ने इस आग में घी का काम किया। ध्रुवीकरण की मज़बूत नींव पर  2014में भाजपा की सरकार बनी। साम्प्रदायिक ताकतें मुखर हुईं। सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हुआ।इसका फायदा बराबर भाजपा को मिला।आज के दौर में सम जो कुछ देख रहे हैं उसकी बुनियाद में आडवानी जी ही हैं। भारत रत्न शायद शर्मिंदा हो पर देश के उपप्रधान मंत्री और  कई बार भाजपा अध्यक्ष रहे लालकृष्ण आडवानी के लिए यह उनकी भाजपा की कार्यप्रणाली का श्रेष्ठतम उपहार है।इससे इंकार नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री जी को बधाई जिन्होंने कम से कम अपने गुरु को देर से सही कृतार्थ कर प्रायश्चित कर लिया।

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