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हेमंत बिस्वा शर्मा का साक्षात्कार झूठ का पुलिंदा

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विजय दलाल

आखिरी दिन जब मैं अडानी टीवी पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा का साक्षात्कार सुन रहा था जो कि गुजरात चुनाव के दौरान विशेष प्रायोजित था। उनको यह जिम्मेदारी अमित शाह और योगी जी के अलावा देनी पड़ी क्योंकि मोदीजी की यह मजबूरी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में उनकी सौम्य और शालीन भाषा ने कर दी। उनके पास भी चुनावी मोड के बावजूद सौम्य और शालीन बने रहने के अभिनय के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। इसलिए झूठों की गैंग के नाते नये सदस्य को लाया गया। जहां एक ओर समाचार पत्रों में जिन्हें थोड़ी बहुत शर्म लाज बची हुई है समाचार आ रहे हैं कि बिल्किस बानो जिसे गुजरात दंगों के दौरान गर्भवती होते हुए बलात्कार किया उसकी 3 साल की बच्ची को मामा कंस की तरह और परिवार के 7 लोगों को मार डाला। वो सारे शुरवीर हिंदू ही हैं।हिमंता महान साक्षात्कार में कहते हैं हिंदू दंगों में शामिल नहीं होते। उन्हें पूजा कर के जेल से मुक्त करवाया। बिल्किस बानो ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में पूनर्विचार याचिका लगाई है। सैकड़ों उदाहरण और मुकदमे हैं। कितनी मोटी चमड़ी चाहिए साक्षात्कार में ऐसे सफेद झूठ बोलने के लिए।

*इस विषय में 2 दिसंबर के TOI में एक कारनामे की जानकारी और मिली। जिन 11 आजीवन जेल की सजा काट रहे दोषियों को नियमों और कानूनी प्रावधानों के विपरित कितनी बार और कितने दिनों तक जेल से छुट्टी दी गई।

1.*एक दोषी 1576 दिन जेल से बाहर निकाले।*

2.*एक दोषी केशरभाई वहोनिया को अक्टूबर 2014 से जुलाई 2015 के 10 माह में 4 बार जेल से रिहा किया गया।*

3.*एक दोषी शैलेश को सितंबर 2019 से मार्च 2020 तक 90 दिन पेरोल के केवल तीन हफ्ते बाद फिर 100 दिन पेरोल दिया गया।*

4.*एक दोषी बिपिन चंद्र पांच बार और 14 दिन अलग से पेरोल दिया गया।*

5.*लगभग सभी दोषी सारे कायदे कानून ताक में रखकर एक वर्ष में की बार पेरोल पर गए और कई बार निश्चित समय में लौटे भी नहीं तो या तो उन्हें चेतावनी भरे दी गई या बहुत कम सजा दी गई।*

6.*एक महाशय मितेश भट्ट पर 2020 में पेरोल के दौरान एक महिला से छेड़छाड़ प्रकरण बना उसे पुरस्कार स्वरूप 350 दिन का पेरोल दिया गया।*

शर्माजी का दूसरा उवाच था मुस्लिम दूसरों को *काफ़िर* मानते हैं। इस मुल्क में मुझ जैसे लाखों नहीं करोड़ों लोग होंगे गांव में बचपन से शहर तक सैकड़ों मुस्लिम दोस्त और परिचित होंगे।

उन्होंने न तो कभी सुना और न ही कभी किसी के व्यवहार से लगा कि वो हमें *काफ़िर* समझ रहे हैं।  *यह सिर्फ उन बीजेपी ब्रांड कट्टरपंथी हिंदू जो अभी भी मनुस्मृति को पुजते हैं और हिंदू राष्ट्र का सपना देख रहे हैं पिछड़ी सामंती दुनिया में रह रहे हैं उनके छोड़े हुए शगुफे हैं।

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