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भाजपा के पीछे हिंदू बावला होकर खुद को बर्बाद करने में लगा हुआ है

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हमेशा मूर्खों ने, गुंडों ने, झूठे लोगों ने सत्ता के साथ मिलकर सच बोलने वाले इंसानियत की भलाई की बात करने वाले लोगों को सताया, मारा, डराया, धमकाया, गालियां दी, जेल में डाल दिया. लेकिन जिन्हें मारा गया, सताया गया, डराया गया वह सच्चे लोग आज जगमगा रहे हैं और उस समय के झूठे, गुंडे, धार्मिक बदमाश इतिहास के कूड़ेदान में दफन हो चुके हैं.

हिमांशु कुमार

जब सारी दुनिया के बच्चे आधुनिक ज्ञान विज्ञान तर्क और तकनीक में आगे जा रहे हैं, तब मैं अपने बच्चों का मूर्ख बनाने वाला कोई काम नहीं करूंगा. मैं बिल्कुल नहीं चाहूंगा कि मेरे बच्चे काल्पनिक कहानियों को सच मानकर अंधकार, अंधविश्वास और मूर्खता के कीचड़ में डूब जाएं.

मैं बिल्कुल नहीं चाहूंगा कि मेरे बच्चे ऐसी कहानी पर विश्वास करें जिसमें यह बताया गया हो कि बंदर समुद्र के पानी में पत्थर फेंक देते थे और वह तैरने लगते थे. या कोई बंदर पहाड़ हाथ में उठाकर हजारों किलोमीटर तक हवा में उड़ते हुए चला जाता था. या कोई औरत कई किलोमीटर लंबा मुंह फैला लेती थी और कोई हवा में उड़ता हुआ उसके मुंह में घुस जाता था वापस निकल आता था.

या हजारों साल पहले हमारे यहां मन की गति से उड़ने वाले विमान थे और बाद में हम इतने मूर्ख बन गए कि साइकिल तक अंग्रेजों की बनाई हुई इस्तेमाल की और सूई भी हमारे देश में विदेश से आई. क्योंकि मेरे बच्चे जब बुद्धिमान बच्चों से ऐसी बातें करेंगे तो ऐसी बातें बोलने की वजह से मेरे बच्चों की हंसी उड़ाई जाएगी और उन्हें मूर्ख समझा जाएगा.

जिन लाखों करोड़ों भारतीयों को मूर्खता के दलदल में और अंधकार युग में वापस ले जाया जा रहा है, वह अपने बच्चों को किस पिछड़ेपन में धकेल रहे हैं भारत के नागरिकों को अभी अंदाज़ा भी नहीं है. हमारे बच्चे अंधविश्वास और मूर्खता में डूब कर दुनिया में कितना पीछे रह जाएंगे, भारत ज्ञान, विज्ञान, व्यापार, तकनीक में कितना पीछे जाएगा इन मूर्खों को कोई अता पता नहीं है.

पूंजीपतियों द्वारा गद्दी पर बिठाये गए यह दुष्ट राजनीतिज्ञ भारत देश का कितना नुकसान कर रहे हैं यह देख पाने में हमारी जनता बिल्कुल असमर्थ हो गई है.

सच्चाई हिंदू या मुसलमान नहीं होती. सच्चाई आपकी मनपसंद भी नहीं होती. सच्चाई को आपसे कोई मतलब नहीं है वह आपसे निरपेक्ष है. आप सच्चाई को अनदेखा कर सकते हैं, गालियां दे सकते हैं, विरोध कर सकते हैं लेकिन सच्चाई को कोई फर्क नहीं पड़ता.

सच्चाई से मुसलमान को नाराजगी हो, चाहे हिंदू को नाराजगी हो या किसी भी मजहब वाले को नाराज़गी हो सच्चाई को रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता.

दुनिया भर के धार्मिक अंधभक्त और धर्मगुरु अपनी छातियां पीटते हैं, बाल नोचते हैं, जोर-जोर से चीखते चिल्लाते हैं. सच्चाई विज्ञान और ज्ञान के खिलाफ ज़हर उगलते हैं, गंदगी बकते हैं लेकिन सच्चाई को रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता. सत्य को आपके मन से कोई लेना-देना नहीं है. सत्य उन्मन है, वह मन से परे है.

आपका मन कहता है कि हमारे पैगंबर ने उंगली से चांद के दो टुकड़े कर दिए या आपका मन कहता है कि हमारे भगवान ने सूरज निगल लिया या हमारे गॉड ने 6 दिन में दुनिया बना दी लेकिन सत्य को आपकी इन बेवकूफी भरी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता.

हमेशा मूर्खों ने, गुंडों ने, झूठे लोगों ने सत्ता के साथ मिलकर सच बोलने वाले इंसानियत की भलाई की बात करने वाले लोगों को सताया, मारा, डराया, धमकाया, गालियां दी, जेल में डाल दिया. लेकिन जिन्हें मारा गया, सताया गया, डराया गया वह सच्चे लोग आज जगमगा रहे हैं और उस समय के झूठे, गुंडे, धार्मिक बदमाश इतिहास के कूड़ेदान में दफन हो चुके हैं.

सुकरात को जहर पिलाने वाले, ईसा को सूली चढ़ाने वाले, गांधी को गोली मारने वाले, मार्टिन लूथर किंग को गोली मारने वाले हत्यारों को कौन जानता है ? इसलिए बिना डरे सच के साथ रहिए सही के साथ रहिए. यह झूठे गुंडे बदमाशों सत्ता के दलालों से मत डरिए.

भले ही आपकी हत्या कर दी जाए, जेल में डाल दिया जाए, झूठे पुलिस केस लगा दिये जाएं लेकिन आप इंसानियत की वह ख़िदमत करके जाएंगे जिससे आने वाले बच्चे फायदा उठाएंगे. सच्चाई के साथ रहिए अच्छाई के साथ रहिए. सत्ता के पाले हुए गुंडे बदमाशों से मत डरिए.

बाबर ने कोई मंदिर नहीं तोड़ा. वहां कोई मंदिर था ही नहीं. अयोध्या के सारे मंदिर अकबर के समय में बने. अकबर बाबर का पोता था. मंदिर पोते के समय में बने इसलिए दादा द्वारा तोड़े जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

राम के बारे में भारत की जनता को तब पता चला जब तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखी. रामचरितमानस अकबर के समय में लिखी गई. उसके बाद अयोध्या में 400 से ज्यादा मंदिर बने.

सातवीं शताब्दी में ह्वेनसांग भारत आया था. उसने अयोध्या को बौद्ध स्थल बताया है. उससे पहले राम का जिक्र वाल्मीकि ने किया है. वह दूसरी शताब्दी में लिखी गई लेकिन संस्कृत में थी इसलिए आम जनता को राम के बारे में नहीं पता था. वाल्मीकि रामायण में बुद्ध का जिक्र है, इससे साफ पता चलता है वह बुद्ध के बाद लिखी गई है.

रामचरितमानस अवधी लोक भाषा में लिखी गई इसलिए राम के चरित्र को आम जनता ने अपनाया और पूजा करने लगी और मंदिर बने. बाबर कभी अयोध्या नहीं आया और इतिहास में कहीं किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का कहीं कोई जिक्र नहीं है. अयोध्या के कई मंदिर मुसलमान नवाबों और बादशाहों के पैसे से बने हैं. वहां की ईंटों पर 786 लिखा है.

आरएसएस तथा भारतीय जनता पार्टी ने बदमाशी पूर्वक पूरे देश में झूठ फैलाया और हिंदुओं को गुंडागर्दी, छीन झपट, मारपीट और दंगा फसाद में लगाकर उनके रोजगार छीन लिए, खेती बर्बाद कर दी. मजदूरों के अधिकार छीन लिए और पूंजीपतियों को अर्थव्यवस्था सौंप दी.

हिंदू अभी भी बावला होकर भाजपा के पीछे खुद को बर्बाद करने में लगा हुआ है. इन्हें एक पीढ़ी बाद समझ में आएगा कि इन्हें किस तरह बेवकूफ बनाकर इन्हें बर्बाद किया गया था. अभी तो यह गाली गलौज और बदमाशी में लगे हुए हैं.

जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई और आधुनिक विज्ञान की तकनीक का इस्तेमाल लोगों को अंधकार युग में वापस ले जाने के लिए किया जा रहा है.

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