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आपको कैसे मिले भगवान का प्यार  

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      कुमार चैतन्य 

        उस व्यक्ति को मालूम था कि भगवान का प्यार पाना और भगवान  का  अनुग्रह  प्राप्त  करना  मनुष्य  के  लिए जीवन का सबसे  बड़ा  लाभ  है।   

      उस  लाभ को प्राप्त करने के लिए अपने समय के  सबसे बड़े उदार संत और भगवान के सबसे बड़े भक्त सुकरात  के  पास  वह व्यक्ति गया और कहने लगा कि भगवन्! मुझे ऐसा उपाय बताइए, जिससे  मैं भगवान की कृपा प्राप्त कर सकूँ और भगवान का  साक्षात्कार कर सकूँ, भगवान तक पहुँच सकूँ। 

      सुकरात  चुप  हो  गए। उन्होंने  कहा कि फिर कभी देखा जाएगा!  कई  दिनों  बाद  वह  व्यक्ति  फिर आया। उसने कहा- “भगवन्! आपने  भगवान  को  देखा  है और  भगवान का प्यार पाया है। क्या आप मुझे भी प्राप्त करा सकेंगे? क्या भगवान का अनुग्रह  मेरे  ऊपर  नहीं  होगा?” 

       सुकरात  ने कहा- “अच्छा तुम कल  आना  और  मेरी  एक  सेवा  करना, फिर  मैं  तुम्हें उसका मार्गदर्शन  करूँगा। ” दूसरे  दिन  वह  व्यक्ति  सुकरात  के  पास पहुँचा। सुकरात  ने मिट्टी  का कच्चा वाला एक घड़ा पहले से ही मँगाकर  रखा था। वह पकाया नहीं गया था, वरन मिट्टी का बना हुआ  कच्चा था। 

     सुकरात  ने कहा- “बच्चे जाओ ! मेरे लिए एक घड़ा पानी  लाओ और  मैं उससे स्नान कर लूँ, पानी पी लूँ, पीछे मैं तुम्हारा मार्गदर्शन करूँगा।”

     कच्चा घड़ा लेकर वह व्यक्ति कुएँ पर गया। रस्सी बाँधी और रस्सी बाँधकर के उसको कुएँ में डुबोया। खींचते खींचते घड़े का बहुत  सारा   हिस्सा, कोना  टूट- फूट  गया ।  किसी  तरीके  से थोड़ा-बहुत  पानी  लेकर  वह  घड़ा  ऊपर आया। घड़े को उसने सिर पर  रखा, हाथ  पर  रखा। 

       सुकरात के पास उसे लेकर जब तक  वह पहुँचा, मिट्टी  का वह घड़ा बिखर गया। उसने सुकरात से  कहा- “भगवन्!  जो  घड़ा  आपने  मुझे  पानी भरने के लिए दिया था. यह रास्ते में ही बिखर गया।” उन्होंने कहा- “ठीक यही फिलॉसफी  भगवान  का  प्यार  प्राप्त  करने  और  भगवान का अनुग्रह  प्राप्त  करने  की  है। कच्चा घड़ा अपने भीतर पानी को धारण नहीं कर सका। 

      उसके  लिए  जरूरत इस बात की पड़ती है  कि  घड़ा  पक्का हो। अगर हमारे  पास  पक्का  घड़ा  है  तो पानी  भर  जाएगा।  ठंडा  रहेगा, बेतकल्लुफ  खड़ा  रहेगा और पानी हमको मिल जाएगा। अगर घड़ा कच्चा है, तो पानी बिखर जाएगा। सुकरात ने यह बात उस व्यक्ति से कही। 

       इस दृष्टांत से स्पष्ट है कि भगवान को अपने अंदर धारण करने के लिए हमें पक्का अर्थात चरित्रवान , पक्का अर्थात  त्यागी , पक्का  अर्थात  निष्ठावान  एवम  पक्का  अर्थात व्यक्तित्व  से  संपन्न  व्यक्ति  होना  चाहिए. यही हैं भगवान  की पूजा- उपासना के माध्यम. (चेतना विकास मिशन).

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