राकेश चौकसे बुरहानपुर
72 साल के सुरेश पचौरी 52 साल से कांग्रेस में थें ! बुढ़ापे में भाजपा को मज़बूत करने आए है ! उस भाजपा को जो अपनी पारी दो सांसदों से शूरू कर 2014 और 2019 के आम चुनाव मे गठबंधन के बावजूद पूर्ण बहुमत लेकर सत्ता की चौखट को पार करी थी। 2024 मे मोदी का लक्ष्य इन दोनो चुनाव से आगे ही बढ़ा है। क्या 2024 का लक्ष्य 75 वर्षीय नेताओ के बूते साधा जायेगा इस पर संशय है ?
माना राजनीति मे कुछ भी स्थाई नही है अटल जी की साइनिंग इंडिया वाली सरकार विपक्ष मे बैठने को मजबूर हुई थीं और घटक दल दूर हो रहे थे।राजनेतिक पार्टियों मे 2024 के चुनाव को लेकर जो उथल पुथल मची है,नेताओ मे खुद के भविष्य के निर्धारण की चिंता के बिच दलों को छोड़कर अन्य दलों की सदस्यता लेने की होड़ मची है उस दृष्टिकोण से आज बड़ा नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ रहा है।
इस बदलाव को लेकर कांग्रेस का राहुल, सोनिया, प्रियंका, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ शीर्ष नेतृत्व मंथन करने के बजाय, सीबीआई, ई. डी. जॉच एजेंसियों के डर के बूते नेता ऐसा कर रहे बताकर पल्ला झाड़ने का असफल प्रयास कर रहा है। आज अखबारों की सुर्खियो मे खनन के मामले मे 140 करोड़ रूपए डिमांड का उल्लेख होना इस शक को सच मे तब्दील कर संजय शुक्ला उम्र 50 वर्ष के दल – बदल के संशय को सच का जामा पहनाता दिखाईं दे रहा है। यही हाल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य मंत्री 66 वर्षीय अशोक चौहान, 64 वर्षीय अजीत पवार को लेकर उपजे थे।
सनातन के साथ भगवा पर सवार कांग्रेस राम मंदिर मे राम लला की स्थापना के बाद प्रथम चरण का मतदान 15 अप्रेल के आसपास हो सकता और इसी तारीख के आसपास राम नवमी का त्योहार भारतीय जनता पार्टी मे उत्साह का संचार कर रहा है। 2024 मे जिस प्रकार के सियासी हादसे आम मतदाता की नजर के सामने से गुजर रहे है उससे राष्ट्रीय राजनितिक दलों के साथ क्षेत्रीय दलों के निर्धारित सुचिता अनुशासन और सिद्धांतो का उपहास ही उड़ाया जाता दिखाईं दे रहा है।
2014 के चुनावी भाषण के पूर्व जिस भावी प्रधान ने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना दिखाकर भ्रष्टाचार मुक्त भारत, रोजगार युक्त भारत, महंगाई पर नियंत्रण, काला धन वापस, राम मंदिर निमार्ण, धारा 370 को हटाने जैसे मुद्दों पर बात रखी थीं उनमें से 370, तीन तलाक, राम मंदिर जैसे विषयों को अमलीय जामा पहनाया जा चुका है। कांग्रेस मुक्त भारत के बजाय कांग्रेस युक्त भाजपा बनाया जा रहा है। अब प्रश्न वही खडा हो गया कांग्रेस मुक्त या कांग्रेस युक्त जिस तरह से छोटे कार्यकर्ताओ से लेकर बड़े नेताओ को पार्टी से जोड़ा जा रहा है आज राजस्थान से कांग्रेस छोड़ भाजपा मे शामिल हुए पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, राजेंद्र यादव, पूर्व सांसद खिलाड़ी लाल बैरवा, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजय पाल मिर्धा, अशोक बेनीवाल, भीलवाड़ा पूर्व जिलाध्यक्ष रामपाल शर्मा पूर्व विधायक रामनारायण किसान, अमित व्यास, आईएएस ओंकार सिंह, गोपाल राम कूकना, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चौधरी, राजेंद्र परसवाल सहित पच्चीस से अधीक नेताओ ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम कांग्रेस युक्त भाजपा की लकीर को बडा कर दिया है। देखते है आने वाले समय मे और क्या क्या परिर्वतन देखने को मिलते है। इस बिच हरियाणा के हिसार के भाजपा सांसद का कांग्रेस का दामन पकड़ना चर्चा मे बना रहा।
2024 का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा आने वाला समय बताएगा देखना है कांग्रेस के पोषित नेताओ मे भाजपा के खेवनहार कितने दल बदलते है?