डा सुरेश खैरनार
30 दिसंबर 1924 को, डॉक्टर गुणवंतराय गणपतलाल पारिख उर्फ डॉ. जी. जी. पारिख का जन्म हुआ है ! उन्हिके उम्र के उनके आजिज दोस्त प्रोफेसर मधू दंडवते की जन्म शताब्दी वर्ष अभी – अभी पूरा हुआ ! और हमारे जी जी की जिन्स की वजह से उन्होेंने अपने जीवन की शताब्दी को तो पार कर ही लिया ! अब महात्मा गाँधी जी की सव्वासौ साल जिने के सपने को पूरा करने के लिए, आपको अगले पाव शतक भी मिलेगा ! ऐसा आपको देखकर लगता है ! और हम सभी आपको चाहने वाले लोगों की इच्छा है ! कि आप 125 साल जिओगे ! और आपके आंखों के सामने वर्तमान देश – दुनिया की स्थिति को बदलते हुए देखेंगे !
सुना है कि, आप अपने स्वास्थ्य के लिए कोई विशेष खानपान या आरोग्य के लिए दिए जाने वाले नुस्खे का पालन नहीं करते हो ! और खुद प्रॅक्टिसिंग डॉक्टर होने के बावजूद ! लंबी आयु प्राप्त होने के लिए डॉक्टर लोग जो भी सावधानीया बरतने के लिए हिदायत देते हैं ! उनमे से किसी भी एक का पालन न करते हुए ! आपने अपने जीवन का शतक पूरा कर दिया ! हाँ मैंने भी देखा है कि एक दिन आपके साथ ठहरने के दौरान रात के भोजन के बाद आपने पुछा की आप आईस्क्रीम खाओगे ? मैंने पुछा आप ? तो आपने कहा कि मैं भी खाऊँगा !
उन्होंने कहा कि, “आजादी के बाद मेरा देश में जिस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए थी वह नहीं है ! तो मेरे मन में आत्मग्लानि थी ! और मै उसे बदलने के लिए, अपना जीवन सक्रिय समाजसेवा में लगा दिया हूँ ! शायद यह सक्रियता और मेरी जिन्स भी मेरे दिर्घायू होने की संभावना हो सकती है ! आज सौ साल होने के बावजूद वह नियमित रूप से अपने कार्यालय आते हैं ! हालांकि कुछ शारीरिक चुनौतियों का सामना करते हुए भी ! सक्रिय रहने की कोशिश करता हूँ ! हालांकि मेरी जीवन संगीनी जो सिर्फ पत्नी ही नहीं थी ! मेरे सपनों का समाज बनाने की मेरी साथीन थी ! वह खुद राष्ट्र सेवा दल की और बाद में समाजवादी पार्टी की सक्रिय भूमिका निभाने वाली बहुत ही ऊर्जावान कार्यकर्ताओं में तथा विभिन्न जनांदोलनों में मुख्य भूमिका निभाने वाली सक्रिय कार्यकर्ति रही है ! उनका नाम मंगला पारिख है ! जो 2009 में चल बसी ! मंगला मुझसे ज्यादा समय जेल में रही है ! और समाजवादी पार्टी के तरफ से मुंबई कार्पोरेशन के कार्पोरेटर से लेकर महाराष्ट्र विधानपरिषद की सदस्य भी रही है ! और आजादी के आंदोलन से लेकर जयप्रकाश नारायण के आंदोलन, तथा महाराष्ट्र में सत्तर के दशक में चले महंगाई विरोधी महिलाओं के तरफ से चलाया गया आंदोलन की प्रमुख नेत्रिओ मे से एक रही है ! हमें एक बेटी है !
मुझे सात साल की उम्र में महात्मा गांधी को मिलने का मौका मिला है ! मैं अपने चाचा की उंगली पकडकर उन्हें उनकी कुटिया में मीलने गया था ! और मुझे अच्छी तरह से याद है, 8 अगस्त 1942 के दिन गांधी जी ने, मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान की सभा से (वर्तमान में अगस्त क्रांति मैदान ) ‘अंग्रेजो भारत छोडो’ ‘का नारा जो मेरे आजिज दोस्त ! और तत्कालीन मुंबई के मेयर युसुफ मेहरअली ने सुझाव दिया था !
युसुफ मेहरअली जी जी से इक्कीस साल बडे थे ! तो उनके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव उन्हिके रहने की वजह से ! उन्हें 1950 में ही बिमारी की वजह से उनके जीवन के पचास साल पूरे होने के पहले ही उम्र के 47 में, 2 जुलै 1950 के दिन, उनके सबसे करीबी मित्र जयप्रकाश नारायण की उपस्थिति में जसवाला नर्सिंग होम मुंबई में प्रातः काल में जीवन ज्योति बुझ गई !
इसका सदमा सभी समाजवादियों को हुआ था ! लेकिन डॉ. जी. जी. पारीख एकमात्र समाजवादी साथी है ! जिन्होंने उन्हें उचित श्रध्दांजलि के तौर पर युसुफ मेहरअली सेंटर की स्थापना करते हुए, उस सेंटर के जरिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में और मुख्य रूप से मुंबई के पास, पेण तहसील में तारा नाम की जगह पर, ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब, पिछडे समाज के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए, साठ वर्षों से अधिक समय से खुद जी जी की देख रेख में काम आज भी जारी है ! और अब तो मुंबई के बाहर उत्तराखंड उत्तर प्रदेश, गुजरात, तथा बिहार तथा जम्मू-कश्मीर में भी इस सेंटर के माध्यम से, ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब तथा पिछड़े वर्ग के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए युसुफ मेहरअली सेंटर के द्वारा बहुत ही अच्छा प्रयास चल रहा है !
जी जी आजादी के आंदोलन में भारत छोडो के समय 19 साल की उम्र में प्रथम बार जेल गए थे ! और 1975 के आपातकाल में भी जेल गए हैं ! लेकिन उन्हें बहुत ही दुख है, कि आजादी के पचहत्तर साल पूरे होने के बावजूद गोरे अंग्रेजों की जगह सिर्फ काले अंग्रेजो ने सत्ता पर कब्जा कर लिया ! और महात्मा गांधी की शारीरिक हत्या के साथ ही उनकी वैचारिक हत्या करना शुरू है ! और डाक्टर जी जी पारीख का मानना है, कि देश और दुनिया के सामने जो भी समस्याओं का समाधान एकमात्र महात्मा गाँधी जी के दिखाए गए रास्ते पर चल कर ही निकाला जा सकता है !
जी जी भले ही अपने जीवन के सौ वर्ष पूरे कर चुके हैं, लेकिन उन्हें बार-बार यह टीस महसुस करते रहती है कि हमने आजादी के आंदोलन के दौरान हमारे मन में देश की एक खास तस्वीर बनाई थी ! अनेकतामे एकता देश का बुनियादी मंत्र है ! जो हमें आजादी के आंदोलन ने दिया था ! हमें सिर्फ अंग्रेजों से ही नहीं सामाजिक कुरीतियों से भी आजादी चाहिए थी ! गांधी जी चाहते थे, कि हमारे शासक सेवक बन जाए, तो वह अंग्रेजों की तरह हम पर राज नही करेंगे ! बल्कि समाज और जनता की सेवा करेंगे ! मुझे लगता है कि शासक सेवक होना चाहिए ! ( सिर्फ जुमले के तौर पर, मैं तो प्रधान सेवक हूँ ! यह बोलना और पूरे देश पर एक मालिक के जैसे राज करना सेवक शब्द का अपमान है ! ) इस विचार को आजादी के बाद जितना महत्व देना चाहिए था नही दिया गया ! स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के देश बनाने की कभी इमानदार कोशिश ही नहीं कि गई !”
जी जी ने अपने जीवन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में और भी दर्द बाँटने की कोशिश की है ! कि आजादी के बाद, हमारे शासक वर्ग और जनता अंग्रेजो के जैसा बनने की इच्छुक हो गई ! हमारी अर्थव्यवस्था और राज्य-व्यवस्था उनकी नकल कर के ही चल रही है ! मुझ जैसे बहुत सारे लोगों को लगता है, कि शासकों ने आज़ादी के विचारों को नहीं समझा ! इसके लिए सिर्फ शासक वर्ग ही जिम्मेदार नहीं है ! हमारे जैसे लोग भी इसके लिए उतने ही जिम्मेदार हैं ! क्योंकि हम शासकों तक हमारी बात नही पहुंचा पाए ! इसीलिए आजाद हिंदुस्तान में जो सत्ता और ताकत आम आदमी के हाथों में जानी चाहिए थी, नहीं आई ! एक अभिजात्य वर्ग सत्ता पर काबिज हो गया !
ताकत नहीं त्याग से बदलता है देश !
जी जी ने कहा कि, युरोपीय देशों में चलने वाली चर्चाओं में, यह बात आम थी ! कि समाज बदलने के लिए ताकत की जरूरत है ! समाजवादी, मार्क्सवादी सभी ने मान लिया कि पॉवर की जरूरत है ! सब यह भी जानते थे, कि पॉवर भ्रष्ट करती है ! लेकिन हम इसे भूल गए ! और सत्ता में आकर समाज बदलने की कोशिश करने लगे ! जबकि कई समाजसेवियों ने बीना सत्ता के इस देश को बदला है ! भारत त्याग की इज्जत करता है, हमें यह बात समझनी चाहिए !
ग्लोबल वार्मिंग का समाधान गांधी के रास्ते से !
जलवायु परिवर्तन की समस्या आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है ! लेकिन इस से यूरोपीय देशों और अमेरिका की उपभोगवादी संस्कृति से नहीं निपटा जा सकता है ! इसके लिए हमें गांधी जी के रास्ते पर लौटना होगा ! वे साबरमती के किनारे बैठकर एक लोटा पानी से मुंह धोते थे ! ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना है, तो बापू का रास्ता ही एकमात्र विकल्प है ! अगर हम यूरोप या अमेरिका के जैसे जीवनशैली अपनाएं तो आठ पृथ्वीयां और लगेंगी ! इसलिए हमें मोटर की संस्कृति छोड़कर सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना होगा ! युवाओं को त्याग के लिए प्रेरित करने की जरूरत है ! रिय्यूज और रिसाइकलिंग हमारी संस्कृति का हिस्सा है ! इसे बढावा देने की जरूरत है !
सरकार से निराश होकर बना दिया युसुफ मेहरअली सेंटर !
देश की सरकारों ने विकास के गांधीवादी मॉडल को छोड़ दिया ! जिससे डॉ. जी. जी. पारीख को बहुत निराशा हुई ! इसलिए उन्होंने 1961 में स्वतंत्रता सेनानी युसुफ मेहरअली के नाम पर, एक एनजीओ की स्थापना की ! और गांधीवादी तरीके से समाज के पिछड़े, और वंचित तबके का जीवन बेहतर बनाने के लिए, कोशिश कर रहे हैं ! पिछले छह दशकों से भी समय से! युसुफ मेहरअली सेंटर देश भर में ग्रामीण, आदिवासि और शहरी क्षेत्रों में हजारों जरूरतमंद लोगों की जिंदगीमे बदलाव ला रहा है !
युसुफ मेहरअली सेंटर का शैक्षणिक कार्य !
संस्थान गुरुकुल के तरीके से शिक्षा देने वाले तीन मराठी स्कूलों के साथ, एक उर्दू स्कूल और एक जूनियर कॉलेज चलाता है ! यहां विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है ! 120 आदिवासी लड़कियों के लिए हॉस्टल बनाया गया है, जिसमें सरकार से किसी भी प्रकार का अनुदान नहीं लिया गया है !
युसुफ मेहरअली सेंटर की स्वास्थ्य सेवा !
युसुफ मेहरअली सेंटर ने रायगड जिले में गार्डी अस्पताल बनाया है, जहां लोगों का मुफ्त इलाज होता है ! रविवार को दूसरे इलाके के विभिन्न रोगों के एक्सपर्ट डॉक्टर आकर, लोगों की जांच-पड़ताल करते हैं ! हर साल यहां पर आंखों के 600 ऑपरेशन और 300 अन्य ऑपरेशन किए जाते हैं !
युसुफ मेहरअली सेंटर का महिला सशक्तीकरण !
महिलाओं को सिलाई, ब्युटी पार्लर कंप्यूटर, आदि का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है ! वैसे ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल की मदद से इंजीनियरिंग, उर्जा, पर्यावरण, गृह, स्वास्थ्य, पशुपालन, खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है !
युसुफ मेहरअली सेंटर का ग्रामीणों को प्रशिक्षण !
ग्रामीण और आदिवासी इलाकों के लोगों के लोगों को तेल, साबुन, मिट्टी के सामान, गोशाला, और केंचुए का खाद बनाने, तथा औषधि वनस्पति उगाने की ट्रेनिंग दी जाती है ! तथा बायोगैस, कम्युनिटी फार्मिंग भी सिखाई जाती है !
युसुफ मेहरअली सेंटर का आपदा में सहायता !
गुजरात के कच्छ मे भुकंप के बाद 322 घरों का पुनर्निर्माण करने के बाद, लोगों को दिया गया ! 550 महिलाओं को एंब्रायडरी की ट्रेनिंग, दो हजार बच्चों को पढ़ाने के लिए व्यवस्था की गई है !
वैसे ही सुनामी के बाद, तमिलनाडु के नागापट्टनम में 900 महिलाओं नारियल के पत्तों से, अलग-अलग सामान बनाने तथा आचार बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है !
मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, जम्मू – कश्मीर, और ओडिशा में भी आपदा प्रभावितों को पैरों पर खडे होने के लिए अलग – अलग कामो का प्रशिक्षण दिया जाता है !
डॉ. जी. जी. पारीख ने अपने सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कहा कि “वर्तमान समय में हमारे देश के हालात मंजूर नहीं है !
एकता में अनेकता मानने वाले मेरे जैसे लोग हिंदुत्व की विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकते ! अंग्रेज दमन करते थे ! लेकिन उन्होंने महात्मा गाँधी जी की जान नहीं ली, लेकिन आज कुछ भी नहीं हो रहा है ! सिर्फ विरोधियों को ईडी, सीबीआई के अंदर फसाया जा रहा है ! मेरी मान्यता है कि ईडी, सीबीआई के डर से भाजपा के भीतर बगावत नही होती है ! इसलिए मुझे आज के हालात बिल्कुल भी मंजूर नहीं है ! ” और बची हुई जिंदगी इसे बदलने के लिए ही समाप्त हो जाती है तो मुझे लगेगा कि मेरा जीवन सार्थक हुआ ! और मुझे भी लगता है कि हम सभी जीजी को चाहने वाले लोगों को उनके सपनों का भारत बनाने के लिए लग जाना चाहिए !
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