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मुझे नहीं लगता कि देश AI के लिए तैयार है-विनीत कुमार सिंह

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विनती कुमार सिंह ने बड़े पर्दे पर कई प्रकार के किरदार निभाए हैं लेकिन ट्रेडिशनल रोमांटिक रोल में नहीं दिखे हैं। दिल्ली के खाने-पीने के लिए उनका खास लगाव है। फिल्मों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग पर उन्होंने सुरक्षा और सही नीयत से इससे निपटने पर जोर दिया।

विनती कुमार सिंह ने बड़े पर्दे पर खूब अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं। हालांकि वह अभी तक ट्रेडिशनल रोमांटिक रोल में नहीं नजर आए। उनका कहना है कि अगर इस तरह का अच्छा रोल आता है तो वह काम करना पसंद करेंगे। अपनी पसंद के बारे में बात करते हुए उन्होंने दिल्ली के खाने-पीने का भी जिक्र किया। उनका कहना है कि दिल्ली का खाना-पीना उन्हें खूब पसंद है। पिछले दिनों वह दिल्ली आए तो बंगाली मार्केट में दिल्ली का लोकल स्वाद लेने भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के गोलगप्पे और छोले-भठूरे उनके फेवरिट हैं और वह इन्हें खाने के लिए तरसते हैं। आखिर वह फिल्मों में ट्रेडिशनल रोमांटिक रोल में नजर क्यों नहीं आते? क्या वह ऐसे रोल करना नहीं चाहते या उन्हें ऐसे रोल के ऑफर नहीं आते। इसके जवाब में विनीत ने कहा, ‘देखिए एक कलाकार के तौर पर आपके पास एक हद तक स्वतंत्रता होती है। जो चीज आपके पास आती है, आप उनमें से ही कुछ चुनकर आगे बढ़ सकते हैं। कई तरह की चीजें आती हैं लेकिन अभी तक उस तरह के रोल नहीं आए हैं। जिस दिन वैसे रोल आएंगे, उस दिन वैसा रंग भी दिखेगा। मगर हां, मैं काम करते रहना चाहता हूं, अच्छे लोगों के साथ काम करना चाहता हूं और अच्छी कहानियों का हिस्सा बनना चाहता हूं। बाकी भगवान की मर्जी। इतनी बड़ी दुनिया बनाई है तो कुछ तो सोचा होगा मेरे लिए।

बॉलिवुड दोबारा वापसी करेगा

मैच फिक्सिंग फिल्म जिस तरह से उलझी राजनीति की कहानी है, उसे देखते हुए इस पर एजेंडा फिल्म का आरोप भी लग सकता है? इस बारे में विनीत क्या सोचते हैं? वह कहते हैं, ‘कनवर खटाना जी, जिनकी किताब पर यह फिल्म है, उन्होंने आर्मी इंटेलिजेंस में एक लंबा वक्त बिताया है तो उनको बहुत सारी चीजों की जानकारी है, मसलन फील्ड में कैसे काम किया जाता है। वह सारी चीजें उन्होंने खुद अनुभव की हैं और ये कहानी उसी किताब पर आधारित है। यह किसी की बायॉपिक नहीं है बल्कि फिक्शन है लेकिन कहानी इतनी मजबूत है कि जब आप फिल्म देखेंगे तो यह चीज समझ आएगी कि जब किरदार में कॉम्प्लेक्स आता है तो वहां ड्रामा पैदा होता है। ऑडियंस ऐसे ही कहानियां पसंद करती हैं। मेरा फिल्म में जो किरदार है, उसके कई शेड्स हैं, वह बहुत सारी संवेदनशील चीजों से डील करता है।’

फिल्म में आर्मी ऑफिसर के रोल के लिए क्या-क्या तैयारियां कीं?

विनीत कहते हैं, ‘एक एक्टर के तौर पर यह मेरी जिम्मेदारी है कि जो रोल मुझे मिलता है, उसकी मैं तैयारी करूं। बाकी सेट पर कर्नल आहलूवालिया थे, तो छोटी-छोटी डिटेल्स भी ध्यान रखी जाती थीं।’ बॉलिवुड फिल्में फिलहाल बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहीं जबकि साउथ की पुष्पा 2 हिंदी की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई है। इस पर विनीत कहते हैं, ‘कहावत है कि उत्थान पतन के झूले पर संसार झुलाया जाता है। तो बॉक्स ऑफिस पर यह ऊपर-नीचे लगा रहता है। आप नीचे जाते हो तो ज्यादा सीखते हो। कहा भी जाता है कि असफलता सिखाती है और तब ही मंथन होता है। जब मंथन होता है तो अमृत निकलता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। अभी एक बढ़िया फिल्म आ जाएगी तो लोग उसकी बात करने लगेंगे। बहुत सारे क्रिएटिव लोग हैं जो अभी काम कर रहे होंगे, कुछ फिल्में बन रही होंगी। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक से एक फिल्ममेकर हैं, कमाल के राइटर हैं तो अच्छी चीजें आएंगी। यह बस एक फेज है।

‘AI को लेकर अभी तमाम सवाल सामने आएंगे’

फिल्मी दुनिया में आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खूब चर्चा हो रही है। आखिर वह फिल्ममेकिंग में AI का भविष्य कैसे देखते हैं? क्या वह इसे खतरा मानते हैं या संभावना? इस सवाल पर विनीत कहते हैं, ‘मुझे तो लगता है कि AI के लिए अभी देश पूरी तरह तैयार ही नहीं है। क्योंकि हमारी एक क्षमता होती है। अगर मैं किसी को बोलूं कि आप किसी छोटे टॉपिक पर 10 पेज लिख लाइए तो यह लिखना मुश्किल हो जाएगा जबकि AI वैसे 10 टॉपिक पर तुरंत लिखकर दे देगा। तो आप उस तरह की चीज से कम्पिटीशन करने जा रहे हैं। इसलिए आपको AI का इस्तेमाल करते बहुत सावधानी बरतनी होगी और तमाम चीजें सीखनी होंगी। साथ ही क्रिएटिव राइट्स को कैसे प्रोटेक्ट किया जाए, यह एक बड़ी समस्या थोड़े समय बाद सामने आएगी। इसे ऐसे समझिए कि आपकी फिल्म का सीक्वल है, आप उसमें काम नहीं कर रहे लेकिन जो उसमें काम कर रहा है, वह आपका ही चेहरा है।

 

इस बॉलीवुड हीरोइन ने पुर्तगाल की जेल से चिट्ठी लिख डॉ मनमोहन सिंह से मांगी थी मदद, अंडरवर्ल्ड डॉन था बॉयफ्रेंड

  • -फिल्मों और टीवी सीरियल में लंबे अरसे से अपनी धाक जमाए बैठी मोनिका बेदी 18 जनवरी को अपना 50वां जन्मदिन मना रही हैं। प्रेम कुमार बेदी और शकुंतला बेदी के घर जन्मीं एक्ट्रेस पंजाब के होशियारपुर की रहने वाली हैं। इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की है और आज जानी-मानी अदाकारा बनकर लाखों दिलों पर राज कर रही हैं। हम आज आपको इनकी पर्सनल लाइफ से जुड़ी एक दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं, जब इन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को लंबा-चौड़ा खत लिखा था और उनसे मदद मांगी थी।
  • -मोनिका बेदी ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत तेलुगू फिल्म ‘ताज महल’ से 1995 में की थी। इसके बाद उन्होंने सैफ अली खआन के साथ बॉलीवुड डेब्यू किया था। फिल्म ‘सुरक्षा’ में ये जोड़ी नजर आई थी। इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में सुनील शेट्टी, अर्जुन रामपाल, सलमान खान, संजय दत्त, गोविंदा, धर्मेंद्र जैसे सितारों के साथ काम किया।
  • -मोनिका बेदी ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को डेट किया था। हालांकि बाद में उन्हें और अबू सलेम को पुर्तगाल में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देश में घुसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एक्ट्रेस ने जेल में पांच साल काटे थे। 2004 में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को माफीनामा लिखा था और मदद मांगी थी।
  • -साल 2004 में मोनिका बेदी ने पूर्व प्रधानमंत्री से CBI की तरफ से उनके खिलाफ शुरू किए गए आपराधित कार्यवाही को रद्द करने की अपील की थी। एक सोर्स के हवाले से ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में बताया गया था कि एक्ट्रेस का लेटर पीएमओ को मिला था। जिसमें उनके खिलाफ प्रत्यर्पण के केस को रद्द करने और दूसरा मौका देने की गुजारिश की गई थी।
  • -मोनिका बेदी सिर्फ तीन साल की थीं, जब उनके माता-पिता 1979 में नॉर्वे के ड्रामेन में शिफ्ट हो गए थे। भारत में डॉक्टर की नौकरी कर रहे उनके पिता मोनिका के भाई के साथ नॉर्वे में कपडे़ की दुकान चलाने लगे थे।
  • -लेटर में मोनिका बेदी ने अनुरोध किया था कि उन्हें नॉर्वे जाने की इजाजत दीजाए, जहां उनके माता-पिता 18 साल पहले आकर बसे थे। उन्होंने ये भी लिखा था कि अबू सलेम से उनके संबंधों का पता लगाने के लिए पुलिस उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर सकती है।
  • -मोनिका बेदी ने लेटर में दावा किया था कि उन्हें एक एक स्टेज शो के दौरान अबू सलेम को अरसलाम अली के नाम से मिलवाया गया था। कहा गया था कि वह पाकिस्तान के एक बिजनेसमैन हैं। एक्ट्रेस ने खत में दावा किया था कि अबू सलेम की असली पहचान के बारे में देर से पता चला था। साथ ही अूबू सलेम ने ही उन्हें जाली पासपोर्ट हासिल करने के लिए मजबूर किया था। हालांकि उन्होंने इसका इस्तेमाल भारत या दुबई जाते समय कभी इस्तेमाल नहीं किया था।
  • -मोनिका ने ये भी दावा किा था कि उनका कोई गलत इरादा नहीं था। साथ ही जाली पासपोर्ट बनाने में अपना जुर्म कबूल करने के लिए CBI उनसे 1993 में हुए बम ब्लास्ट (अबू सलेम इस घटना का मास्टरमाइंड था) के बारे में भी पूछताछ करेगी, जिसके बारे में उनको जानकारी नहीं है। उन्होंने लिखा था, ‘जब ब्लास्ट हुआ था तब मैं 16 साल की थी और नॉर्वे में रह रही थी। सलेम के साथ मेरा रिश्ता बहुत लिमिटेड था। और पुर्तगाल में पकड़े जाने के बाद भी ये सीमित ही है। मुझे पता है कि मैंने गलती की है और मुझे बस दूसरा मौका चाहिए। मैं और मेरा परिवार, सलेम के साथ मेरे संबंधों की भारी कीमत चुका रहा है।’
  • -मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोनिका बेदी को अबू सलेम ने डेविड धवन की फिल्म ‘जोड़ी नंबर 1’ दिलवाई थी। इसमें संजय दत्त, ट्विंकल खन्ना और गोविंदा जैसे कलाकार थे। इसमें संजय दत्त की जोड़ी मोनिका बेदी के साथ बनी थी, जिससे एक्टर नाखुश थे और फिल्म छोड़ने वाले थे। लेकिन अबू सलेम के धमकाने से उन्होंने मूवी की। साथ ही संजू बाबा को ये निर्देश दिया था कि वह एक्ट्रेस को रोमांटिक सीन के दौरान कसकर न पकड़ें।
  • -मोनिका ने बाद में कई इंटरव्यूज दिए और उसमें बताया कि वह अबू सलेम के प्यार में थीं। लोगों ने उन्हें गोल्डडिगर भी कहा था। लेकिन असल में उन्होंने गैंगस्टर के साथ बहुत स्ट्रगल किया। ‘अबू के पास पैसा था। इसलिए लोगों का मानना ​​था कि मैं राजकुमारी की तरह रहती हूं। लेकिन मैंने उसके साथ सिर्फ मुश्किलें झेलीं और स्ट्रगल ही किया है। हम एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते थे। मैं उसके लिए सफाई करती थी, खाना बनाती थी, कपड़े धोती थी… असल में, मैंने उससे खाना बनाना सीखा था। अगर मैंने अच्छी जिंदगी देखी है, तो वह सिर्फ अपने माता-पिता के घर में या अपनी मेहनत की कमाई से। लोग कहते थे कि मैं पैसे के लिए उसके साथ हूं। लेकिन पैसा कहां है? मुझे मुश्किलों से कोई शिकायत नहीं है। यह सिर्फ उसका स्वभाव था जो आक्रामक और चिड़चिड़ा हो गया था। मुझे हैरानी है कि मुझे इस झंझट में क्यों घसीटा गया।’
  • -मोनिका बेदी ने ‘फिल्मफेयर’ को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘मुझे नहीं पता था कि वह अबू सलेम है। असल में, अगर उसने मुझे बताया भी होता कि वह अबू सलेम है, तो मुझे कुछ पता नहीं चलता। मैंने केवल दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के बारे में सुना था। उसने खुद को मेरे सामने अरसलान अली के रूप में पेश किया था- यह वह गलत पहचान थी जिसका वह अक्सर इस्तेमाल करता था। वह पुर्तगाल में भी इसी पहचान के कारण पकड़ा गया था। अगर उसने अपना असली नाम इस्तेमाल किया होता, तो वह बहुत पहले ही पकड़ा जा चुका होता।’
  • -मोनिका बेदी और अबू सलेम 9 महीने दोस्त रहे और फिर उन्होंने डेटिंग शुरू की दोनों फिल्में देखने और डिनर डेट पर जाने लगे। वह अबू सलेम के प्यार में दीवानी थीं। हालांकी जब उनकी दुबई की तीसरी ट्रिप थी, तब गैंगस्टर ने अपनी असली पहचान बताई थी। हालांकि एक्ट्रेस के मुताबिक, अबू सलेम सबकुछ नए सिरे से शुरू करना चाहते थे। अपना अतीत भूलना चाहते थे।
  • जिनके पास होगा AI का कंट्रोल, उनकी नीयत से पड़ेगा प्रभाव

अब एक्टर कहेगा कि मैंने तो इस फिल्म में काम किया नहीं, तो मेरा चेहरा कैसे! जबकि जिसके पास राइट्स हैं, वह कहेगा कि यह तो एक किरदार है, जो हमने बनाया था। वह कहेगा कि मैं सीक्वल बनाऊंगा लेकिन आपके साथ नहीं बनाऊंगा। हां, जो किरदार मैंने तैयार किया है, वह जरूर फिल्म का हिस्सा होगा। तो मेरे फिल्म एग्रीमेंट में वैसी कोई चीज नहीं होगी जिसके आधार पर मैं कुछ कह सकूं। मैं बस यह कह सकता हूं कि यह किरदार मैंने किया था, यह सुर मेरा था। तब मेकर कहेगा कि सुर आपका था, लेकिन किरदार तो मैंने तैयार किया था, आप इसके अंदर आए थे। तो जिस किरदार के अंदर आए थे, उसका अधिकार होगा या जो अंदर आया था, उसका अधिकार होगा, इस पर डिबेट होगी। ऐसे तमाम सवाल आने वाले समय में आएंगे। जिनके पास AI और उससे जुड़े नियमों का कंट्रोल होगा, उनकी नीयत से भी काफी प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि काफी कुछ उनकी नीयत पर होता है जिनके एक फैसले से लोगों की जिंदगियों पर असर पड़ता है। तो अगर उन जिंदगियों के बारे में नहीं सोचा गया तो क्या होगा? ऐसे तमाम सवाल आएंगे आने वाले दिनों में।

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