सपने पूरे करने हैं मुझे
पार्वती आर्य
गुलेर, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
सपने मुझे खुद ही पूरे करने हैं,
मंज़िले मुझे खुद तय करनी है,
राह आसान नहीं, पर चलना है,
हौसला रख कर मुझे करना है,
विश्वास से आगे को बढ़ना है,
अब पीछे मुझे नहीं हटना है,
हर मोड़ पर मुझे मंजिल पानी है,
हर कदम पर सही निर्णय लेनी है,
अब कदम नहीं मुझे डगमगाना है,
रोकेगी दुनिया, टोकेगी दुनिया मुझे,
हर कदम पर बाधाएं खड़ी करेगी दुनिया,
मगर अब कहीं मुझे नहीं रुकना है,
किसी के सामने नहीं झुकना है,
हर मंज़िल को पार करनी है,
हर सपने मुझे पूरे करने हैं।।
ज़माना आगे बढ़ गया
:–प्रियांशी
कक्षा :–IX
ग्वालदम गरुड़
बागेश्वर, उत्तराखंड
ज़माना आगे बढ़ चुका है,
और हम पीछे रह गए हैं,
लोग लोग करते-करते ही,
जाने कितने ईर्ष्या से जल गए,
हीरे की तलाश है सभी को,
अपने अंदर का हीरा खो बैठे,
लोग अपनी खुशियों की खातिर,
अपनों से ही बहुत दूर हो गए,
दुनिया की चाहत में बह रहे हैं,
अंदर से चिंता में मर रहे हैं,
आगे की सोचता कोई नहीं है,
समाज के डर से चुप रह गए हैं,
देखो, ज़माना आगे बढ़ चुका है,
और हम हैं कि पीछे रह गए हैं।।
आखिर क्या लिखूं कहानी अपनी?
पिंकी अरमोली
गरुड़, बागेश्वर,
उत्तराखंड
क्या लिखूं कहानी अपनी,
न अच्छी है और न बुरी है,
बहुत मुश्किलों से हूं ढली,
बस शुरू यही कहानी है,
कभी सूरज उग रहा है और,
कभी है कि शाम ढल रही है,
बस अपनी भी उम्र बढ़ रही है,
न जाने लोगो ने भी क्या सोचा है,
बस अपनी तो कहानी ऐसी ही है,
कभी घर की चारदीवारी में कैद हूं,
कभी लोगों की गंदी सोच से डरी हूं,
लगा किसी लोहे की जंजीरों से घिरी हूं,
क्या लिखूं कहानी कोई और अपनी,
न अच्छी है और न बुरी है,
बस ख़त्म यही एक कहानी है अपनी।।
इतिहास फिर दोहराया गया
नीतू रावल
कक्षा 12
गनीगांव, उत्तराखंड
आंसू सूखे नहीं थे अभी परिवारों के,
फिर से एक इतिहास दोहराया गया,
आज फिर समाज के दोहरे चरित्र द्वारा,
स्त्री के ही चरित्र पर सवाल उठाया गया,
नजर और नजरिया ही जिसका खराब है,
कहां से फिर वो सही साबित होगा?
मेरे कुछ सवाल हैं इस समाज से,
क्या ऐसा पहली बार हुआ है?
अभिमान को ठेस पहुंची एक नारी की,
मान सम्मान उसका तार तार हुआ है,
सूट पहनो तो दुपट्टा नहीं संभलता है,
जींस पहनो तो क्या लाज नहीं है?
हर किसी की आज गंदी नजर है,
लड़की कहां आज सुरक्षित है?
उसे अपने सपने पूरे करने नहीं देगी,
हाय रे ये दुनिया उसे जीने ना देगी।।
चरखा फीचर्स
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