मैंने ज़िंदगी से कुछ सीखा है
मनीषा छिम्पा
लूणकरणसर, राजस्थान
कुछ कहना था, पर चुप ही रहती हूँ,
कुछ दबी सी ख्वाहिशें, दबे ही रहने देती हूँ,
कुछ बेताबी हैं आज फिर कहीं इस दिल में,
आज इस बेताबी को फिर से जीने देती हूँ,
चलो आज भी मैं अपनी ज़रूरतें पूरी कर लूँ,
और ख्वाहिशें फिर अधूरी ही रहने देती हूँ,
मैं औरों की तरह बन नहीं सकती कभी,
चलो, खुद को आज मैं ही रहने देती हूँ,
सपनों की रंगीनियों में, जो छुपी है यादें,
उन महक से ही बुनती हूँ, सारे फसाने,
आसमान की ऊँचाइयों से सीखा है उड़ना,
हर नयी सुबह को मुस्कुरा कर गले लगाना,
मैंने सीखा है अपने मन की सुनना,
हर ख्वाब को अपने हाथों से गढ़ना,
चलो, आज फिर से जी लेती हूँ,
ख्वाहिशें कुछ अधूरी ही सही,
मगर ज़िंदगी को गुनगुना लेती हूँ।
खुश रहती है बेटी
पूजा बिष्ट
कक्षा 8
पोथिंग, कपकोट
उत्तराखंड
हर बार खुश रहती है बेटी,
जीवन में सब संभालती बेटी,
हर परिस्थिति में धैर्य रखती बेटी,
मां बाप का नाम रोशन करती बेटी,
अपने दुख को हमेशा दबाती बेटी,
और खुशियां सब में फैलाती बेटी,
ना कोई समझ है पाया है उसको,
ना कभी कोई समझ पाएगा उसको,
अपनों के लिए अक्सर लड़ जाती बेटी
मेरी छोटी सी दुनिया
कुमारी मनीषा
सुराग, गरुड़
उत्तराखंड
छोटी सी है दुनिया मेरी,
इसी में है ख़ुशियाँ मेरी,
ढेर सारे दोस्तों की यारी,
चमक रही है दुनिया मेरी,
ना आने दूंगी पाबंदी इसमें,
जैसा सोचा वैसा ना हो पाए,
जो सोचा वो करने है मुझे,
सब बंधनों से आगे बढ़ना मुझे,
जो सोचा है वो कर दिखाउंगी,
इस दुनिया को मैं भी बताऊँगी,
लड़की हूं कमज़ोर नहीं कोई,
सबको यह संदेश सुनाऊंगी।।
सोशल मीडिया दोस्त या दुश्मन?
पूजा गोस्वामी
कक्षा 12,
रोलियाना, गरुड़
उत्तराखंड
आज के युग में तकनीक का दौर आया,
बच्चों के दोस्त बच्चे नहीं फ़ोन बन गया,
ये दोस्त इतना सच्चा और ईमानदार निकला,
आठ महीने के बच्चे को अपना आदि बना बैठा,
ये दोस्त तो इतना पढ़ाकू भी निकला,
घर बैठे सब अच्छे से पढ़ा डाला,
माता पिता के साथ अब ना बैठते बच्चे,
फ़ोन से हर टाइम चिपके रहते हैं बच्चे
ये फोन दोस्त नहीं बच्चों का दुश्मन है,
उनकी मानसिक क्षमता का नाशक है,
बचो तुम इसकी गिरफ्त में आने से,
बच्चों, दूर रहो तुम इस तकनीक से।।
चरखा फीचर्स
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