अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

*उन्नति और सफलता चाहिए तो स्वभाव निश्चयात्मक बनाएं*

Share

           ~ राजेंद्र शुक्ला (मुंबई)

       बिजली के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखने वाले जानते हैं, कि ऋण और धन दो प्रकार की धाराएंँ मिलकर स्फुरण उत्पन्न करती हैं। मनुष्य शरीर में यह दोनों प्रकार की धाराएंँ विद्यमान हैं और उन्हीं के आधार पर जीवन के सारे कार्यों का संचालन होता है।

       किसी मनुष्य को देखकर, उसके गुणों को जानकर हम आसानी से मालूम कर सकते हैं, कि उसमें किस धारा का बाहुल्य है। निगेटिव को अनिश्चियात्मक और पॉजिटिव को निश्चयात्मक कहा जाता है। बाह्य प्रभावों से तुरन्त प्रभावित हो जाना और हर प्रकार की हवा की प्रवाह में बहने लगना, यह अनिश्चात्मक स्वभाव होगा और अपने निश्चय को दृढ़ रखना, बिना विचारे किसी के वाग्जाल में न फंँसना, विपत्ति, बाधाओं के होते हुए भी अपने पथ पर दृढ़ बने रहना यह निश्चयात्मक स्वभाव कहा जाता है।

       मनुष्यों के शरीरों की बनावट एक सी दिखाई देने पर भी उनमें छोटे-बड़े का जो असाधारण अन्तर देखा जाता है, उसका कारण कुछ और नहीं, केवल इन धाराओं की भिन्नता और उनकी मात्रा की न्यूनाधिकता है। बेशक विद्या, बुद्धि, धन और बल का भी अपना स्थान है, पर इन चारों वस्तुओं की भी जो जननी हैं और अनेक प्रकार की योग्यताओं का जिसमें से उद्भव होता है, उनका केन्द्र इन विद्युत धाराओं में ही है। 

      जिस व्यक्ति का निश्चयात्मक स्वभाव है, जिसके अन्दर धन विद्युत का बाहुल्य है, वह हर प्रकार की कठिनाइयों का मुकाबला करता हुआ सुख-दु:ख को बराबर समझता हुआ, कर्तव्य पथ पर आरुढ़  रहेगा और मन को गिरने न देगा, किन्तु जो ऋण विद्युत वाला है, उस अनिश्चय स्वभाव के मनुष्य को अपना छोटा सा कष्ट पहाड़ के समान दिखाई देगा और जरा सी विपत्ति आने पर किंकर्तव्य-विमूढ़ हो जाएगा। आज एक इरादा किया है, कल उसे बदल देगा और तीसरे दिन नया कार्यक्रम बना लेगा।

       हर प्रकार की उन्नति और सफलता एवं पतन और विफलता के बीज इन्हीं ऋण-धन स्वभाव में निहित है। क्या व्यापार, क्या नौकरी,  सभी कामों में उत्साही पुरुष संतोषजनक फल प्राप्त करेगा, किन्तु निराशा और निर्बलता के चंगुल में फंँसा हुआ व्यक्ति प्राप्त की हुई सफलता को भी गंँवा देगा।

       इसीलिए जो मनुष्य अपने जीवन को तेजस्वी और प्रतिभाशाली बनाना चाहते हैं, उनके लिए आवश्यक है, कि अपने अन्दर धन विद्युत की मात्रा में वृद्धि करें, इच्छा शक्ति को बढ़ाएंँ। बीमारी से बचने और उसे जल्द अच्छा कर लेने में भी यही नियम काम करता है। जिन्हें आत्मविश्वास है और इच्छा शक्ति को बलवान बनाए हुए हैं, वे अपनी मानसिक दृढ़ता के द्वारा ही छोटे-मोटे रोगों को मार भगाएंँगे और बीमारी से बचे रहेंगे।

       कदाचित बीमार भी पड़े, तो बहुत जल्द अच्छे हो जाएंँगे जबकि निराशावादी मामूली बीमारी को अपने आप इतनी बढ़ा लेते हैं, कि वही उनको प्राणघातक तक बन जाती है।

      जिस प्रकार लोग पैसा कमाना अपना कर्तव्य समझते हैं, उसी प्रकार  उन्हें चाहिए कि इच्छा शक्ति निश्चयात्मक स्वभाव धन विद्युत को भी बढ़ाने का प्रयत्न करें। पैसे के समान यह योग्यता आंँखों में दिखाई नहीं पड़ती, तो भी उसी के समान बल्कि उससे भी अनेक गुनी अधिक उपयोगी है। (चेतना विकास मिशन).

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें