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सम्राज्यवाद, मुस्लिम संगठन और भारत  विभाजन 

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*असग़र वज़ाहत*

बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि लगभग दस मुस्लिम संगठन भारत विभाजन के विरोधी थे। वे अंग्रेजी सरकार से विभाजन  न करने का आग्रह करते रहते थे। ज्ञापन आदि देते रहते थे लेकिन साम्राज्यवादी  शासन जिस देश को मजबूरी में आज़ाद  करता था उसके टुकड़े कर देता था ताकि वे आपस में लड़ते रहे और  एक सशक्त देश न बन सके। साम्राज्यवाद ने यहां यही अनीति  लागू की थी और उसके लिए मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग ने उसकी मदद की थी। अप्राकृतिक भारत विभाजन का परिणाम वही  निकला था जो साम्राज्यवाद चाहता था। देश में बड़ी बर्बादी और भयानक  हिंसा हुई थी। 

दोनों देश एक दूसरे से कई युद्ध कर चुके हैं । लगातार एक दूसरे के शत्रु बने हुए हैं। अपनी सैन्य शक्ति बनाए रखने  के लिए पश्चिमी देशों से खरबों डॉलर के हथियार खरीदते हैं।

साम्राज्यवाद की इस चाल को समझना जरूरी है।

वे मुस्लिम संगठन जो  भारत विभाजन के विरोधी थे। इन संगठनों के कुछ सदस्य विभाजन विरोध और हिंदू मुस्लिम एकता और शांति बनाए रखने के प्रयासों में मारे भी गए थे।

1.ऑल इंडिया आजाद मुस्लिम कान्फ्रेंस 

2.ऑल इंडिया जमहूर मुस्लिम लीग

3. ऑल इंडिया मुस्लिम  कांफ्रेंस

4.ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस 

5.ऑल इंडिया शिया पॉलिटिकल कांफ्रेंस

6. अंजुमन – ए- वतन बलूचिस्तान

7. जमात अहले हदीस

8.जमते उलमाए हिन्द

9. मजलिसे अहरार इस्लाम

10.खाकसार आंदोलन

*असग़र वज़ाहत*

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