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जन्मदिन पर विशेष:बीते एक बरस में सुशासन की बयार बहाई डॉ.मोहन यादव ने

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हर्षवर्धन पाण्डे

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ें रास्ता बन जाएगा

सियासत में बहुत कम ऐसे चेहरे हुए हैं जो अपनी सादगी, सौम्यता, सरलता और मनमोहनी मुस्कान के लिए जाने जाते हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में आप डॉ.मोहन यादव को एक विनम्रशील, व्यवहारकुशल जननेता के तौर पर देख सकते हैं। ऐसे दौर में जब राजनीति में जनसेवा करने वालों सेवाभावी लोगों की कमी होती जा रही है, उस समय डॉ. मोहन यादव जैसे नेता समाज के लिए रोल मॉडल बन जाते हैं।मौजूदा दौर की राजनीती में पारिवारिक पृष्ठभूमि से सियासत में आना बहुत आसान है लेकिन मूल्यों की राजनीति करते हुए जमीन से उठकर अपनी प्रतिभा के दम पर कम समय में देश के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की श्रेणी में अपनी जगह बनाना इतना भी आसान नहीं है। डॉ.मोहन यादव ने अपने संघर्ष और जनता के प्रति समर्पण से मध्यप्रदेश की राजनीती में एक नया मुकाम हासिल किया है जिसकी दूसरी मिसाल देखने को नहीं मिलती। सही मायनों में अगर किसी ने मध्यप्रदेश में बीते एक बरस में किसी ने सुशासन की बयार बहाई है तो वो नाम डॉ.मोहन यादव है।
भारतीय इतिहास में राजा विक्रमादित्य एक महान राजा के रूप में प्रसिद्ध थे। उनका शासन भारतीय उपमहाद्वीप के स्वर्णिम काल का प्रतीक माना जाता है जो उन्हें एक आदर्श शासक के रूप में स्थापित करता है। राजा विक्रमादित्य का उद्देश्य हमेशा जनकल्याण रहा। उनके शासनकाल में बुनियादी ढांचे का विकास बेहतरीन ढंग से हुआ। उन्होंने गरीब और असहाय लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएँ बनाई जो लोककल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करता था। वे अपने राज्य की स्थिति और लोगों की जरूरतों को समझते हुए नीतियाँ बनाते थे। प्रजा के प्रति अनुराग ने उन्हें भारतीय इतिहास का एक महान शासक बना दिया था। सही मायनों में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी उन्हीं पगचिह्नों लीक पर चलते हुए गौरवशाली मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध नजर आते हैं।
विनयशीलता, कर्मों में कुशाग्रता,बेहतरीन विजन, सकारात्मकता से ओत प्रोत नजर आने वाली मनमोहनी मुस्कान सहित तमाम नीति निपुणता उनकी कार्यशैली को सुन्दर बनाती है और यही अलहदा पहचान उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। डॉ. मोहन यादव का जन्म उज्जैन में एक गरीब परिवार में हुआ। उनके पिता पूनमचंद यादव बहुत मेहनती व्यक्ति थे जिन्होंने परिवार के बेहतर पालन-पोषण के लिए मिल में मजदूरी कर कठिन परिश्रम किया। उनकी माता लीलाबाई यादव ने घर को संभाला और अपने बच्चों में समाजसेवा के संस्कारों का बीज बोया। डॉ. मोहन यादव का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था लेकिन अध्ययन के लिए वह कठोर परिश्रम करने से कभी नहीं घबराए जिसके चलते बचपन से उनकी नींव मजबूत बन गई। उज्जैन की गलियों में बचपन में अठखेलियां करते और बाबा महाकाल के आशीर्वाद से उन्होंने समाजसेवा की अकेली राह चुनी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों से उनकी सोच पुष्पित और पल्लवित हुई। उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक अभ्युदय ने उनकी सोच को संवेदनशील बनाया। वे अक्सर अपने ओजस्वी भाषणों में उज्जैन के बाबा महाकाल की गौरवशाली परंपराओं का उल्लेख करते नजर आते हैं, जो महाकाल से उनके जीवन के गहरे जुड़ाव को बतलाता है। यही वजह है उज्जैन को मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी बनाने की दिशा में वह मजबूती के साथ अपनी कदमताल करते नजर आते हैं।
डॉ. मोहन यादव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन के स्थानीय स्कूलों से पूर्ण की। इसके बाद उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से विज्ञान में स्नातक (बी.एससी.) की डिग्री हासिल की। विज्ञान के प्रति उनकी रुचि ने उनकी विश्लेषणात्मक सोच को नया आकर देने का कार्य किया वहीं इसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की जिसने उनकी राजनीतिक समझ को गहरा करने का कार्य किया। उन्होंने कला में स्नातकोत्तर राजनीती विज्ञान और प्रबंधन में मास्टर्स (एमबीए) की डिग्री भी ली, जिसने उन्हें नीति निर्माण और प्रबंधन में कुशल बनाया। उनकी शैक्षिक यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव एमपी की शिवराज सरकार के गवर्नेंस में पीएचडी डिग्री का था, जिसने उन्हें एक गंभीर चिंतक के रूप में स्थापित किया। उनकी यह बहुमुखी प्रतिभा उन्हें प्रदेश के अन्य नेताओं से अलग करती है। विज्ञान, कानून, प्रबंधन, राजनीती और दर्शन का यह समन्वय उन्हें एक दूरदर्शी और प्रभावी नेता के रूप में स्थापित करता है।
डॉ. मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में मुकाम हासिल किया है।डॉ. मोहन यादव को एक आदर्श पत्नी के रूप में सीमा यादव मिली जो उनके जीवन की हर परिस्थितियों में मजबूत संबल बनी रही। उनका पारिवारिक जीवन सादगी से भरा हुआ है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे अपने परिवार के साथ संयम से रहते हैं। आज भी उनका परिवार जहां उज्जैन के सामान्य घर में रहता है वहीं डॉ. यादव खुद मुख्यमंत्री निवास में अकेले रहते हैं लेकिन उनके बच्चे सीएम हाउस में नहीं रहते हैं। उनका एक बेटा भोपाल में पढ़ रहा है। उसने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब एमएस कर रहा है। उनकी बेटी ने भी भोपाल से ही एमबीबीएस की पढ़ाई की। पिता के सीएम होने के बाद भी पुत्र और पुत्री भोपाल के सीएम हाउस समत्व में नहीं रहकर खुद हॉस्टल में रहते हैं। डॉ. यादव की पारिवारिक पृष्ठभूमि उनकी जनसेवा और सामाजिक कार्यों में झलकती है।मुख्यमंत्री का पद मिलने के बाद से लगातार नए उदाहरण पेश कर रहे डॉ. मोहन यादव अपनी सादगी की कई मिसाल पेश कर चुके हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव अपने बेटे वैभव के विवाह के लिए राजस्थान के पुष्कर पहुंचे जिस कार्यक्रम को पूरी तरह से निजी रखा गया और दोनों परिवारों के बेहद नजदीकी परिजन ही इस विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए। डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए दिन रात प्रदेश के विकास कार्य करते हुए अपने बेटे वैभव की शादी के सभी कार्यक्रमों में भी सहभागिता की और किसी भी दिन अवकाश नहीं लिया।
डॉ. मोहन यादव ने अपने एक साल के कार्यकाल में विकास, सुशासन और जनकल्याण को प्राथमिकता देकर मध्य प्रदेश में एक नई पहचान बनाई है। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें न केवल भाजपा के एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है। आने वाले वर्षों में उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश को नई ऊँचाइयाँ हासिल करने की उम्मीद है। अपने एक बरस से अधिक समय के छोटे से कार्यकाल में डॉ. मोहन यादव ने कई विकास कार्यों को बेहतरीन ढंग से अंजाम दिया है। विकसित भारत संकल्प यात्रा में 2 करोड़ से अधिक लोगों की भागीदारी हुई जिसमें 54 लाख से अधिक लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला। स्वामित्व योजना, मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना, हुकुमचंद मिल मजदूरों के समाधान जैसे कदमों ने सामाजिक न्याय को मजबूत करने का काम किया है। धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में श्रीराम वन गमन पथ, श्रीकृष्ण पाथेय, विक्रम संवत, वैदिक घड़ी की पुनर्स्थापना जैसे उनके सधे हुए कदमों ने मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर को नई ऊर्जा दी। मप्र में राजस्व महाअभियान भी चला,डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण भी किया गया जिसमें सीएम के निर्देश पर लाखों प्रकरणों का निपटारा हुआ। श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर पूरे प्रदेश में दीपावली मनाई गई, जो सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक बनी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी अनेक पहल हुई जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान मजबूत हुई। एक साल के छोटे से कार्यकाल में मोहन सरकार की बेहतर औद्योगिक नीतियों, बुनियादी सुविधाओं और बेहतर कनेक्टिविटी ने प्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर न केवल इंडस्ट्री के लिए नई राह खोल दी है बल्कि इसने स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की संभावनाओं को तेजी से बढ़ाने का काम किया है। जीआईएस 2025 के सफल आयोजन से डॉ.मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को दुनिया के नक़्शे पर चमका दिया। इस आयोजन ने निवेशकों के लिए कई ऐसे अवसर पैदा किए जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को भविष्य में मजबूत बनाएँगे बल्कि देश के समग्र विकास में भी अहम योगदान देंगे। इस समिट ने हृदयप्रदेश एमपी को निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने ब्रिटेन और जर्मनी की यात्रा कर मिशन निवेश को आगे बढ़ाया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश की पहचान एक निवेश-अनुकूल राज्य के रूप में मजबूत हुई। उनकी नीतियों ने औद्योगिकीकरण और शहरी विकास को प्राथमिकता दी, जो भविष्य में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखेगा।
मध्यप्रदेश के गरीब और मध्यमवर्ग के परिवारों ने कभी नहीं सोचा होगा परिवार में कोई सदस्य अगर बीमार पड़ गया तो उसे एयर एम्बुलेंस जैसी सुविधा मिलेगी लेकिन डॉ. मोहन ने अपने कार्यकाल में दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में 30 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए और जल्द ही इनकी संख्या 50 तक पहुंचने की योजना है। यह कदम प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। शिक्षा के क्षेत्र में भी नवाचार और गुणवत्ता पर जोर दिया गया, जो युवाओं के भविष्य को संवारने में सहायक होगा। सिविल सेवाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण को 33% से बढ़ाकर 35% करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक रहा। एक लाख से अधिक महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य हासिल किया गया जो महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। प्रदेश में स्मार्ट सिटी मिशन और स्वच्छ भारत सर्वेक्षण में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा। भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल परियोजनाओं का निर्माण तेजी से चल रहा है जिसकी कुल लागत 14,440 करोड़ रुपये है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए जिससे मध्यप्रदेश इस क्षेत्र में देश में अग्रणी बन गया साथ ही 70 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को भी इस योजना का लाभ देने की पहल शुरू की गई। प्रदेश में धर्मांतरण या रेप करवाने वालों को सीधे फांसी पर लटकाने के बड़े निर्णय से उन्होंने प्रदेश में एक नई नजीर पेश करने की कोशिश की है।
डॉ. यादव ने पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए कई कड़े फैसले लिए। तेज लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध और खुले में मांस बिक्री पर रोक जैसे कदम पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति उनकी संवेदनशीलता को दर्शाते हैं। इसके साथ ही जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जनन के लिए अभियान चलाया गया। जल गंगा संवर्धन अभियान अब इसी कड़ी में 30 मार्च गुड़ी पड़वा पर्व से चलना है। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल जैसी वृहद परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से हरित खेत-खलिहानों की दिशा में मजबूत कदम उठे हैं। एक पेड़ मां के नाम अभियान ने भी जनभागीदारी के साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया है।
पूरे प्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने विकास और प्रशासनिक दक्षता के नए आयाम स्थापित किए हैं। उनके कार्यकाल ने उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में विशेष पहचान दिलाई है। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव ने अपने गुड गवर्नेंस के मॉडल को सभी के सामने पेश किया है जिसमें जनता के हितों की अनदेखी होनी फिलहाल तो मुश्किल दिखाई दे रही है।शिप्रा नदी को स्वच्छ और प्रवाहमान बनाने की योजना हो या सिंहस्थ 2028 की तैयारी इन प्रयासों से मध्यप्रदेश की प्राचीन विरासत को नई पहचान मिली है। मोहन मॉडल प्रदेश में सबकी जुबान पर चढ़ रहा है। एमपी की जनता भी उनके निर्णयों पर हामी भरती नजर आ रही है। पक्ष और विपक्ष भी उनकी नीतियों और काम करने के अलहदा अंदाज का का तोड़ नहीं निकाल पा रहा है। डॉ.मोहन यादव पार्टी के संकल्प पत्र में किये गए वायदों को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और मोदी की हर गारंटी पूरा करने के लिए डॉ. मोहन यादव ने अपनी ऊर्जा लगा दी है।
डॉ. यादव के नेतृत्व में भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल की। विशेष रूप से कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भी विजय प्राप्त करना मौजूदा दौर में उनकी बड़ी राजनीतिक कुशलता का प्रमाण है। यह उपलब्धि उनकी लोकप्रियता और विजनरी नेतृत्व का परिचायक है। डॉ. मोहन यादव का अब तक का कार्यकाल एमपी के सुशासन, प्रगति और विकास का प्रतीक रहा है। उन्होंने चुनौतियों के बावजूद आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित किया। उनकी नीतियां और निर्णय मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में मध्यप्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं। आने वाले समय में डबल इंजन सरकार के माध्यम से प्रदेश में विकास की गाड़ी तेजी से नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है। सीएम के रूप में डॉ. यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को मध्यप्रदेश में लागू करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध नजर आते हैं। अपने सुशासन और साहसिक फैसलों से आज मध्यप्रदेश की राजनीति में अपने कद को डॉ. मोहन यादव ने नई बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया है। मध्यप्रदेश उनके नेतृत्व में प्रगति के पथ पर अग्रसर है। 25 मार्च 2025 को उनके 60वां जन्मदिन है। उनके जन्मदिन पर उन्हें अशेष शुभकामनाएं। सुदिनं जन्मदिनं तव। भवतु मङ्गलं जन्मदिनम्।।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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