अग्नि आलोक
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*अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मुद्दे को संसद से सड़क तक उठाए इंडिया गठबंधन* 

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*अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करना केंद्र और राज्य सरकारों की संवैधानिक जिम्मेदारी*

*अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते नफरत भरे भाषणों और हिंसक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई हेतु नागरिक समाज की अपील*

  स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ जी जी परीख, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, तुषार गांधी, फादर फ़्रेज़र, प्रो. राम पुनियानी, श्यामदादा गायकवाड, डॉ सुनीलम, तीस्ता सीतलवाड, शबनम हाशमी, जस्टिस कोलसे पाटिल (सेवानिवृत्त), इरफान इंजीनियर, डॉल्फी डिसूजा, फिरोज मीठीबोरवाला एवं गुड्डी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि *हम, भारत के लोग, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसात्मक घृणा अपराधों में चिंताजनक वृद्धि की निंदा करते हैं, जो हाल ही में संपन्न आम चुनाव के परिणामों के बाद चिंताजनक रूप से बढ़ गए हैं* हालाँकि भारतीय मतदाताओं का स्पष्ट फैसला ध्रुवीकरण और नफरत के विभाजनकारी अभियान के खिलाफ था, लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए ने इससे सबक लेने से इनकार कर दिया है। भाजपा नेताओं ने जोर-शोर से अपनी हार के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को जिम्मेदार ठहराकर उनके खिलाफ नफ़रत फैलाने में कोई कसर बाक़ी नही रखी, प्रधानमंत्री से लेकर राज्य नेतृत्व तक भाजपा नेताओं द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों को इस तरह से खुलेआम निशाना बनाया गया है और उनके खिलाफ हिंसक अपराधों को बढ़ावा दिया है। यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।

     हम लोकसभा में विपक्ष के नेता और और इंडिया एलायंस के घटक पक्षों के नेताओं और सांसदों से अपील करते हैं कि वे इस मुद्दे को तुरंत संसद में उठाएं और बढ़ते हिंसक हमलों की निंदा करते हुए सार्वजनिक बयान जारी करें और अल्पसंख्यकों को उनकी सुरक्षा के बारे में आश्वस्त करें। 

    इंडिया ब्लॉक के घटकों और उसके नेताओं को भी तुरंत बोलना चाहिए और संसद, राज्य विधानसभाओं और भारत की सड़कों पर इस मुद्दे को उठाकर अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए अपने कार्यकर्ताओं और नागरिकों को एकजुट करना चाहिए। हम सभी को एकजुट होकर इस विभाजनकारी साजिश को हराना होगा।’ आइडिया ऑफ इंडिया को बचाना होगा।

    भले ही मतदाताओं ने स्वयं प्रधान मंत्री द्वारा चलाए गए उग्र घृणा अभियान को पूरी तरह से नकार दिया, फिर भी वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजक और निराधार आरोप लगाना जारी रख रहे  हैं और इस प्रकार नफ़रत की आग में ईंधन डाल रहे हैं और हिंसक अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं; यह प्रधानमंत्री को शोभता नहीं है। उनकी पार्टी की कुटिल योजना नागरिकों का धार्मिक और जातियों के आधार पर ध्रुवीकरण करना है। हम  देश को सांप्रदायिक और जातिगत आधार पर विभाजित करने की भाजपा और एनडीए की नापाक साजिश को हराने के लिए एकजुट हैं।

      हम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अपील करते हैं कि वे नफरत भरे भाषणों और उनके कारण बढ़ती  हिंसा की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लें और केंद्र और राज्य सरकारों को अविलंब आवश्यक निर्देश जारी करें। अल्पसंख्यकों, जो भारत के नागरिक है, की रक्षा करना सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है।

     सर्वोच्च न्यायालय को स्पष्ट रूप से पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने और अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने और नफरत फैलाने वालों और घृणा अपराधों में लिप्त लोगों पर मुकदमा चलाने का आदेश देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को पुलिस को याद दिलाना चाहिए कि वे संविधान की सेवा के लिए हैं, उनके राजनीतिक आकाओं की नहीं।

     हम मोदी सरकार से भी अपील करते हैं कि वह अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धताओं पर कायम रहे और सार्वजनिक रूप से घृणा अपराधों की निंदा करते हुए एक बयान जारी करे और सभी राज्य सरकारों को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उपाय लागू करने का तुरंत निर्देश दे। एनडीए सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसने सत्ता संभालने से पहले संविधान की शपथ ली थी। इस प्रकार, बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के भारत के सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना उनका परम कर्तव्य है।

     भारत के नागरिक के रूप में, हम अपने अल्पसंख्यक बहनों और भाइयों को आश्वस्त करते हैं कि संकट की इस घड़ी में हम उनके साथ खड़े हैं। हमारे देश के अधिकांश लोग अल्पसंख्यकों के साथ खड़े हैं; और इस प्रकार उन्हें किसी भी तरह से अलग-थलग महसूस करने की आवश्यकता नहीं है। हम नैतिक रूप से उनकी रक्षा करने और उन्हें सुरक्षा और कल्याण प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हम अपने संविधान द्वारा गारंटीकृत भाईचारे, समावेशिता और राष्ट्रीय एकता के सिद्धांतों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहेंगे। ये हम कसम खाते हैं.

 *हम, भारत के लोग द्वारा जारी :* 

 77380 82170 , 90292 77751

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