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भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश पर अगले 25 साल में टूटेगा कहर! 

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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस इंफेक्शन की वजह से 3 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है

एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि साल 1990 से 2021 के बीच एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से दुनिया भर में हर साल दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई. सिर्फ इतना ही नहीं, आने वाले वक्त में भी इसका खतरा बनास्टडी के मुताबिक, अगले 25 सालों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस इंफेक्शन की वजह से 3 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है.

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से भविष्य में होने वाली मौतों में दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जिसमें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं.

2025 और 2050 के बीच इसकी वजह से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सीधे तौर पर कुल 1 करोड़ 18 लाख लोगों की मौत होने का अंदेशा है. यह बात ग्लोबल रिसर्च एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस प्रोजेक्ट के रिसर्चर ने कही है. एंटीबायोटिक, या एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस तब होता है जब संक्रामक बैक्टीरिया और कवक को मारने के लिए डिज़ाइन की गई दवाइयां बेअसर हो जाती हैं.

80 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी

रिसर्चर ने कहा कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से सबसे ज्यादा मौतें दक्षिणी और पूर्वी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के हिस्सों में होगी. इसके अलावा, 1990 और 2021 के बीच के आंकड़ों से पता चला है कि 70 सालों और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है और आने वाले सालों में यह बुजुर्ग लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा.

पांच साल से कम उम्र के बच्चे

वहीं इस बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की वजह से होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है. पिछले तीन दशकों में छोटे बच्चों में सेप्सिस और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से होने वाली मौतों में गिरावट एक उपलब्धि है. हालांकि यह भी पता चलता है कि छोटे बच्चों में इंफेक्शन कम होना आम तो हो गया है लेकिन उनका इलाज करना मुश्किल हो जाएगा।

मेट्रिक्स के एक प्रोफेसर और GRAM प्रोजेक्ट के रिसर्चर केविन इकुटा ने कहा कि बूढ़े लोगों के लिए एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस से खतरा आबादी की उम्र बढ़ने के साथ ही बढ़ेगा. अब समय आ गया है कि दुनिया भर के लोगों को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस से पैदा होने वाले खतरे से बचाने के लिए कार्रवाई की जाए. उनका अनुमान है कि हेल्थकेयर और एंटीबायोटिक दवाइयों तक बेहतर पहुंच से 2025 और 2050 के बीच कुल 92 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि यह स्टडी समय के साथ एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस का पहला ग्लोबल विश्लेषण है.

कैसे किया जाए बदलाव

IHME के लेखक मोहसिन नागावी के मुताबिक एंटीबायोटिक दवाओं के लिए बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल की आधारशिलाओं में से एक चिंता की एक वजह है और निष्कर्षों ने वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के महत्व पर प्रकाश डाला है. नागवी ने कहा, यह समझना है कि समय के साथ एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस से होने वाली मौतों के रुझान कैसे बदल गए हैं, और आने वाले वक्त में उनमें कैसे बदलाव की संभावना है. जिंदगी बचाने में मदद करने के लिए फैसला करना जरूरी है.

204 देशों के लोगों पर विश्लेषण

यह विश्लेषण 204 देशों के सभी उम्र के लगभग 52 करोड़ लोगों पर किया गया. इसके बाद स्टडी में सामने आया कि अगले 25 सालों में लगभग 4 करोड़ लोगों की मौत होने का अनुमान है. राइटर्स ने कहा 2022 में प्रकाशित GRAM प्रोजेक्ट के पहले अध्ययन के अनुसार, 2019 में, एंटीबायोटिक रेजिडेंस से होने वाली मौतें HIV/Aids या मलेरिया से होने वाली मौतों के मुकाबले ज्यादा थीं, जिससे सीधे तौर पर 12 लाख मौतें हुईं.

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