अनिल जैन
इंदौर में सरकारी खर्च पर प्रवासी भारतीयों का मजमा लगा है। प्रशासकीय अमला कृत्रिम संसाधनों के जरिए शहर को विकसित और सुंदर दिखाने की फूहड़ कोशिशों में जुटा हुआ है। किसिम-किसिम की मूर्खताओं के बीच सबसे खास बात यह है प्रवासी भारतीयों के सम्मान में शहर की सड़कों पर लगे बड़े होर्डिंग्स और अखबारों में छप रहे विज्ञापनों में इंदौर को ‘देवी अहिल्याबाई का शहर’ बताया जा रहा है। जबकि ऐतिहासिक तथ्य यह है कि इंदौर से अहिल्याबाई का कोई संबंध रहा ही नहीं।
दरअसल इंदौर को अहिल्याबाई का शहर बताने, मानने या समझने वालों को न तो इंदौर के इतिहास की जानकारी है और न ही होलकर रियासत की। अहिल्याबाई के बारे में भी ये लोग कुछ नहीं जानते। दिमाग से पैदल होने की वजह से जान भी नहीं सकते।
नर्मदा घाटी मार्ग पर स्थित इंदौर शहर को 307 साल पहले यानी 1715 में स्थानीय (कम्पेल गांव के) जमींदारों ने व्यापार केंद्र के रूप में बसाया था। उस समय इसका नाम इंद्रपुरी हुआ करता था।
यह नाम इसे यहां बने प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव मंदिर की वजह से मिला था। बाद में पेशवा के सेनापति और होलकर रियासत के संस्थापक मल्हार राव होलकर ने इसे अपनी राजधानी बनाया और अपभ्रंश होकर इसका नाम इंदूर हो गया, जो बाद में अंग्रेजों के समय इंदौर हुआ।
यह सही है कि मल्हार राव होलकर की बहू अहिल्याबाई इंद्रेश्वर महादेव को अपना आराध्य मानती थीं लेकिन शासन की बागडोर संभालने के तुरंत बाद वे अपनी राजधानी को इंदौर से स्थानांतरित कर महेश्वर ले गई थीं।
अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक शासन किया और तब तक उनकी रियासत की राजधानी महेश्वर ही रहा। उनकी मृत्यु के बाद तुकोजीराव होलकर (प्रथम) ने शासन के सूत्र संभाले और फिर से इंदौर को अपनी राजधानी बनाया।
इसलिए इंदौर को ‘मां अहिल्या की नगरी’ कहना सही नहीं है। वस्तुत: यह मल्हार राव होलकर और तुकोजीराव होलकर का शहर है।
जो लोग इंदौर को ‘देवी अहिल्याबाई का शहर’ बताते हुए प्रवासी भारतीयों के नाम पर खर्चीली नौटंकी में जुटे हुए हैं, उनका चाल-चलन भी अहिल्याबाई के शील, संघर्ष, जनसेवा और न्यायप्रियता से नहीं बल्कि तुकोजीराव होलकर (तृतीय) के व्यक्तित्व और कृतित्व से ही मेल खाता है….और यह नौटंकी भी तुकोजीराव की विलासी मानसिकता के अनुरूप ही है।
उल्लेखनीय है कि तुकोजीराव तृतीय को एक नर्तकी के साथ उनकी लफड़ेबाजी के चलते हुए हत्याकांड की आड़ में अंग्रेजों ने सत्ता से बेदखल कर दिया था।