खेल बजट ढाई गुना बढ़ाया लेकिन फायदा पूरे मप्र को क्यों नहीं
*** *धर्मेश यशलहा*
मप्र शासन का खेल बजट पिछले साल 347 करोड़ ₹था जिसमें 119 करोड़ ₹ खेलो इंडिया के भी शामिल थे, खेलो इंडिया युवा खेल में भी तो अधिक धन इवेंट्स मैनेजमेंट और वालियंटर पर ही स्वाहा हुए हैं, शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अब 2023-24 के खेल बजट को ढाई गुना बढ़ाया है, ऐसा बखान कर खूब वाहवाही लूटी जा रही है जबकि वास्तविकता क्या है? 738 करोड के खेल बजट में से 348 करोड₹ तो अकेले भोपाल में बरखेड़ा नाथु में बन रहे खेल परिसर (स्पोर्ट्स कांप्लेक्स)के लिए ही हैं, बाकी पूरे प्रदेश में स्टेडियम और खेल अधोसंरचना निर्माण के लिए 149 करोड ₹ ही है !!,
खेल अकादमियों के लिए 130करोड ₹ का प्रावधान है, राज्य शासन संचालित 13 खेल अकादमी हैं, बजट प्रावधान की अधिकतर राशि इंफ्रास्ट्रक्चर और उपकरणों (इक्विपमेंट)पर खर्च होना है,इस मद में 498 करोड़ ₹ हैं जिसमें से 348 करोड़ रुपए भोपाल के बरखेड़ा नाथु के हैं, बरखेड़ा नाथु में 100 एकड जमीन पर फिलहाल सीमा दीवार (बाउंड्री वाल)का काम चल रहा है, इस खेल परिसर के पहले चरण में पेवेलियन सहित एथलेटिक ट्रेक बिछेगा, स्टेडियम सहित दो हाकी टर्फ मैदान बनेंगे, *भोपाल* में तात्या टोपे नगर(की टी टी नगर) खेल परिसर, भदभदा रोड पर भोपाल साई एकेडमी और भेल खेल परिसर, ऐशबाग हाकी स्टेडियम पहले से ही मौजूद हैं, फिर और खेल परिसर की जरुरत क्यों है?
इंदौर की लगातार उपेक्षा की जा रही हैं, इंदौर में कोई खेल परिसर, स्टेडियम, इनडोर स्टेडियम, खेल छात्रावास नहीं हैं, इंदौर को प्रदेश की आर्थिक के साथ ही खेलों की राजधानी कहां जाता है लेकिन इंदौर में एक भी बड़ा शासकीय खेल परिसर और इनडोर स्टेडियम नहीं हैं, जो खेल मैदान बाकी है, वे भी अपनी दुर्दशा पर आंसु बहा रहे हैं, इंदौर में खेलों के विकास एवं स्टेडियम और अधोसंरचना निर्माण की कोई सुध नहीं ली जा रही हैं, इंदौर नगर निगम और इंदौर विकास प्राधिकरण भी सुस्त हैं, अभी तक सालों से पिपल्या हाना तरण ताल बन ही रहा हैं, इंदौर मप्र का सबसे बड़ा शहर (महानगर) है, इंदौर में तो बडे इनडोर स्टेडियम सहित चार बड़े खेल परिसर और आधुनिक चार खेल छात्रावास होना चाहिए,
एक अकेले नेहरु स्टेडियम और छोटे से अटल खेल परिसर से क्या होगा ? वहां भी अखेल गतिविधियां ही अधिक होती हैं, नेहरु स्टेडियम तो जर्जर होता जा रहा है, हर बार चुनावों की भेंट भी चढ़ जाता हैं और खेल गतिविधियों को ठप्प कर दिया जाता हैं, इस साल फिर विधानसभा चुनाव आने वाले हैं,जब तक नेहरु स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच होते थे तो उसकी मरम्मत और रंग रोनक हो जाती थी, होल्कर स्टेडियम बनने के बाद अब नेहरु स्टेडियम की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं, इंदौर में फुटबॉल स्टेडियम, एथलेटिक्स ट्रेक नहीं हैं, मल्हार आश्रम और चिमनबाग मैदान बहुत ओवर लोड हैं, वैष्णव स्टेडियम और खालसा स्टेडियम तो नाम के स्टेडियम हैं, संबंधित संस्थान उनका व्यावसायिक उपयोग करते हैं, वैष्णव स्टेडियम परिसर तो बिल्डिंग और बस स्टाप परिसर ही बन गया है!!सुपर कारिडोर में भी खेल परिसर अब तक तो सपना ही है!!
खेल बजट प्रावधान में इन जरुरतों पर गौर किया जाएगा तो ही इंदौर और प्रदेश में खेलों का विकास होगा, खेल छात्रवृत्ति और शालेय शिक्षा (लोक शिक्षण) में टीमों- खिलाड़ियों के लिए दैनिक भत्ता बढ़ोतरी, शालेय शिक्षा क्रीडा के खेल ढांचे और व्यवस्था में सुधार की बहुत गुंजाइश हैं , खिलाड़ियों, टीमों को स्कूलों -धर्मशालाओं में नहीं ठहराना पड़े, जिसके लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त खेल छात्रावास पूरे प्रदेश में जरुरी हैं, इंदौर में चार खेल छात्रावास बेहद जरूरी हैं ताकि स्पर्धाओं के आयोजन पर आवास और भोजन व्यवस्था के लिए दर-दर भटकना नहीं पडे, खेल मैदानों, इनडोर स्टेडियम, स्टेडियम को संरक्षण मिलना जरुरी हैं तभी हम खेलो इंडिया में अपने प्रदेश को और अधिक सफलता दिलवा सकेंगे, निजी प्रयासों को भी साधन और सुविधाएं मुहैया कराकर ही प्रदेश सरकार खेलों के विकास में अपना योगदान दे सकती हैं, जीतने पर तो सभी वाहवाही करते हैं, पुरस्कार देते हैं, देना भी चाहिए, पहले सरकार जीतने के लायक तो बनाएं, जो ऐसा कर रहे हैं- उन्हें ही सहयोग दे और उनकी आर्थिक मददगार बने जैसे बैडमिंटन में सरताज अकादमी निरंतर सक्रिय हैं, जिमनास्टिक में चिमनबाग जिमनास्टिक केंद्र हैं,
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदकों के सपने देख सकेंगे, बाल विकास युवा और नारी कल्याण भी होगा, जब वे खिलाड़ी बनेंगे तो भटकेंगे नहीं, शरीर स्वस्थ रहेगा तो, स्वास्थ्य सुधार होगा,
*** *धर्मेश यशलहा*
सरताज अकादमी
” *स्मैश* “