अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

आंतरिक गुलाम

Share

आजाद हुए हम गौरो से
मगर अभी नही हुए औरों से।
जीत चुके हैं हम औरों से
मगर हारे हुए हैं
अभी अपने विचारों से।
छोटे को बड़ा ,बड़े को छोटा
समझना अभी छोड़ा नहीं।
जाति-पाति के कठोर नियमों से
मुख भी अभी मोड नहीं।
क्षितिज से आर जीवन से पार
अभी कुछ देखा नही ।
धर्म कर्म के नाम पर शोषण
अभी तक छोड़ा नही।
जीवन के तराजू पर
कभी खुद को तोला नही।
महोबत के नाम पर जिस्म का शोषण
अभी तक छोड़ा नही।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
9876777233
7009313259

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें