सुसंस्कृति परिहार
हाल ही में चुनावी बांड से अवैधानिक वसूली मामले में भाजपा की असलियत उजागर हुई थी जिसका हिसाब किताब सुको ने 6मार्च तक तलब किया और चुनावी बांड की बिक्री पर रोक लगाई।उसके बाद अब यह ख़बर चौंकाने वाली है जिसने इनके चंदा वसूली के नए हथकंडे का खुलासा किया। लूटमार में माहिर भाजपा ने ईडी , सीबीआई और आईटी एजेंसियों के ज़रिए जो छापे डलवाए उसके ज़रिए तकरीबन 335 करोड़ रुपए वसूलने की जानकारी सामने आई है।इसकी पोल पट्टी पिछले दिनों कांग्रेस ने खोल कर रख दी है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने चंदा वसूलने के लिए ईडी और सीबीआई का गलत इस्तेमाल किया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इन जांच एजेंसियों की जांच कराना चाहिए। मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया है कि 2018-19और 22-23के बीच 30बड़ी कंपनियों पर ईडी सीबीआई ने कार्रवाई की और इससे 335करोड़ रुपए चंदा वसूली की गई।ये एजेंसियां वित्त मंत्रालय के अधीन है वहीं से सारी गतिविधियां संचालित होती हैं।
सांसद राहुल गांधी ने X पर लिखा है ‘चंदा दो -बेल लो या बिजनेस सुरक्षित रखो पी एम योजना के बारे में सुना है । हमारे पीएम वसूली भाई की तरह ईडी,आईटी, सीबीआई का दुरुपयोग कर चंदा का धंधा कर रहे हैं। मित्रों की कंपनी को फायदा और बाकियों के लिए अलग कायदा। मोदी राज में भाजपा को दिया अवैध चंदा और चुनावी बांड ही आराम से धंधा करने की गारंटी है।चंदे की धंधा इतनी बेशर्मी से चल रहा है कि मध्यप्रदेश की एक डिस्टिलरी के मालिकों ने बेल मिलते ही भाजपा को चंदा दिया।’
जो रिपोर्ट्स सामने आई है उनके मुताबिक राहुल गांधी की इन बातों की पुष्टि होती है। पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो भाजपा को720करोड़ रुपए दान में मिले,आप को114करोड़, कांग्रेस को 79.92 करोड़,बसपा को सिर्फ 20,000₹ मिले।जबकि चुनावी बांड के ज़रिए भाजपा को 1300करोड़ ₹की फंडिंग हुई और कांग्रेस को सिर्फ 171करोड़ रुपए मिले।
कांग्रेस ने इसीलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से तीन सवाल किए हैं नंबर एक, क्या सर बात पर सरकार फाइनेंस पर व्हाइट पेपर लेगी इनमें सोर्स के साथ यह भी बताएगी कि कैसे कॉरपोरेट कंपनियों की जांच एजेंसियो का दुरुपयोग करके दान देने मजबूर किया गया ?नंबर दो ,यह बताया जाए कि किस समय किन कर्म से भाजपा का खजाना भर गया क्या आप उन घटनाओं को पॉइंट टू पॉइंट खानदान पेश कर सकते हैं?नंबर3, अगर आप खंडन नहीं कर सकते हैं तो क्या आप इन संदिग्ध सौदों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करने तैयार है? हालांकि जवाब की उम्मीद करना फ़िज़ूल है लेकिन सवाल उठाना विपक्ष की जिम्मेदारी तो बनती ही है।
विदित हो यह काम इतने धड़ल्ले से चला कि कई जगह ईडी अधिकारी कहीं कहीं सतर्कता विभाग की ग़लती से रिश्वत लेते पकड़ लिए गए।दिसम्बर 23में तमिलनाडु के डिंडीगुल में ईडी के एक अधिकारी को एक डॉक्टर से 20लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था।तब यह बात समझ में आई थी कि कुछ अधिकारी यह गोरखधंधा कर सकते हैं।समय ऐसा ही है। पड़ताल करने पर पता चला कि इससे पहले नवम्बर 23 में ईडी इम्फाल के एक अधिकारी व उसके सहयोगी को कथित रूप से जयपुर के परिवादी से 15 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों ने बताया कि आरोपी चिटफंड मामले में गिरफ्तार नहीं करने के एवज में 17लाख रुपए मांगे गए थे।
इससे पहले जुलाई 21सीबीआई ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक उपनिदेशक स्तर के आईआरएस अधिकारी समेत कुल दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक, दोनों गुजरात में 5 लाख रुपये की कथित रिश्वत लेते समय रंगेहाथ पकड़े जाने पर गिरफ्तार हुए।
ये ईडी यानि प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है आम भाषा में कहें तो प्रवर्तन निदेशालय या ईडी एक जांच एजेंसी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े क्राइम और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन को लेकर जांच करती है
ये तीन मामले बताते हैं कि ईडी के अधिकारी किस तरह सरकार के संरक्षण में कथित भ्रष्टाचार में निमग्न रहे हैं आखिरकार उनके आचरण में ये बदलाव क्यों और कैसे आया है इसकी पोल पट्टी पिछले दिनों कांग्रेस ने खोल कर रख दी है ।खास बात ये है कि 2014के बाद इन एजेंसियों की कार्रवाई 95%विपक्षी नेताओं पर ही हुई है। राजनेताओं के खिलाफ ईडी मामलों में चार गुनी से अधिक वृद्धि जो अपने आप यह जाहिर करती है कि यह विपक्ष को तोड़ने के साथ साथ बड़ी रकम चंदा वसूली के लिए हुआ है। इसके अलावा भाजपा की आडिट रिपोर्ट भी यह बताती है कि उसे मिलने वाले चंदा में भारी-भरकम इजाफा हुआ है 2021-22 मेंं इनकी रकम 1917रोड़ से बढकर 2022-23 में 2167 करोड़ हो गई। चुनावी बांड की तरह ही सुको को इन एजेंसियों से प्राप्त रकम और सम्बंधित वित्त अपराधियों का खुलासा करना चाहिए। सरकार ने इन ईमानदार एजेंसियों का जिस तरह दुरुपयोग किया वह खेदजनक है।