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क्या दोसा चटनी खाना एक पाप है, सिन है,जिसकी बहुत आसानी से आदत पड़ सकती है

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अमिताभ शुक्ला  की वाल से…..
डोसा या दोसा एक वर्ल्ड फ़ेमस दक्षिण भारतीय व्यंजन है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ख़ूब पसंद किया जाता है. पनीर डोसा, प्लेन डोसा, टोमैटो डोसा, मैसूर मसाला डोसा, पिज़्ज़ा डोसा न जाने कितने प्रकार के डोसा आजकल उपलब्ध हैं.लेकिन परम्परा के हिसाब से मैसूर मसाला डोसा,रवा मसाला डोसा,प्याज मसाला डोसा और पेपर मसाला डोसा ही मिलता थामगर इनमें सबसे स्पेशल डोसा जो है वो है मैसूर का मसाला डोसा.ये डोसा बाहर से क्रिस्पी और अंदर से स्पंजी होता है. चटनी के साथ इसे खाने पर मज़ा ही आ जाता है. मसाला डोसा सिर्फ़ मैसूर में ही नहीं जहां जहां दक्षिण भारतीय गए जैसे  श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर  देशों में भी बड़े चाव से खाया जाता हैडोसा का पहला ज़िक्र पहली सदी के तमिल किताबों में मिलता है. हालांकि तब रागी से ही दोसा बनता था,पांचवी शताब्दी के तमिल संगम किताब में भी दोसे का जिक्र है लेकिन बारहवीं सदी में चालुक्य वंश के राजा सोमेश्वर तृतीय ने मनसोल्लास नामक ग्रंथ लिखा उसमे दोसे चटनी इडली इडियाप्पम अप्पम उत्तपम की विधि और सामग्री के बारे में विस्तार से लिखा,उसमे आलू का जिक्र है,तब दोसा चटनी आलू की सूखी या रसदार सब्जी के साथ सर्व किया जाता था,सांभर का जन्म काफी बाद में हुआ शिवाजी के सुपुत्र संभाजी के समय तंजौर शहर में,इसलिए शंभाजी के नाम पर सांभर नाम पड़ा, 
इतिहासकारों के अनुसार, तब कर्नाटक के उड्डपी के मंदिर के आस-पास की गलियां डोसा के लिए फ़ेमस थीं. तमिल साहित्य में भी इसका ज़िक्र है. कहते हैं किसी शाकाहारी व्यापारी के बावर्ची ने चुपके से शराब बनाने के लिए चावल में थोड़ा उरद दाल मिलाकर पीसकर एक दो दिन रखकर उससे शराब बनाना चाहता था,दूसरे दिन उसे लगा प्रयोग गड़बड़ हो गया तो उसने चावल दाल के घोल को तवे पर पेन केक की तरह बना दिया,ये लोगों को पसंद आया,चूंकि शराब निषिद्ध थी पाप समझा जाता था,इस घोल को फर्मेंट करने से थोड़ा अल्कोहल बन जाती है इसलिए इस व्यंजन का नाम रखा गया दोष जिसका मतलब कन्नड़ भाषा में पाप होता है,दोष मुट्टू चट मतलब पाप और उसकी बुरी आदत होता हैबाद में ये दोष दोसा हो गया ,इसी तरह चट या चटु मतलब स्थानीय भाषा में बुरी आदत होता था,इसलिए दोष चटनी या ऐसा पाप जिसकी आदत पड़ जाए,क्योंकि जो एक बार सही मसाला डोसा चटनी सांभर खा लेता है वो बार बार खाने के लिए मजबूर हो जाता है ये  एडिक्टिव होता है

Quinoa Dosa Recipe: How to Make Quinoa Dosa Recipe | Homemade Quinoa Dosa  Recipe - Times Food


वहीं बात करें मैसूर मसाला डोसा की तो इसका इतिहास मैसूर के महाराजा वडयार से जुड़ा है.कहते हैं कि एक बार उन्होंने मैसूर पैलेस में एक उत्सव का आयोजन करवाया था. इस उत्सव के अंत में बहुत सारा भोजन बच गया था. खाने की इस तरह बर्बादी देख उनका दिल बहुत दुखी हुआ. इसलिए उन्होंने अपने शाही रसोइयों से इसका उचित हल निकालने को कहा. तब उन्होंने बची हुई सब्ज़ियों में मसाले मिलाकर डोसे के साथ सर्व किया था. इस तरह मसाला डोसा की खोज हुई थी.मसाला डोसा से जुड़ी एक और कहानी है. इसके मुताबिक, पहले डोसा को आलू की सब्ज़ी के साथ ही परोसा जाता था. तब अधिकतर होटलों में ब्राह्मण ही इसे बनाया करते थे, जो किन्हीं कारणों से प्याज़ को हाथ तक नहीं लगाते थे. एक बार राज्य में आलू की कमी हो गई. तब उन्होंने थोड़े बहुत आलू के साथ प्याज़ को मिक्स कर सब्ज़ी बनाई और इसे छिपाने के लिए डोसे के अंदर सर्व किया पहले आलू की सब्जी अलग कटोरे में सर्व होती थी जो ज्यादा मात्रा में खा जाते थे लोग. इस तरह उन्होंने जाने-अंजाने में मसाला डोसा की खोज कर दी.
दक्षिण भारत के बाहर ये सबसे पहले मुंबई पहुंचा जहां उडुपी और कामथ शेट्टी होटल में थोड़ा आज की तरह के दोसे बनने लगे,दिल्ली में 1930 में एक सरदारजी ने जो पाकिस्तान वाले हिस्से से आए थे मद्रास काफी हाउस खोल दिया जो शायद आज भी चालू है,मद्रास काफी हाउस के पंजाबी मालिक ने दिल्ली में रहने वालों को दोसा खाना सिखा दिया ,फिर इंडियन काफी हाउस का जन्म हुआ और बहुत से शहरों में इंडियन काफी हाउस खुले और धीरे धीरे सारे देश में दोसा इडली लोकप्रिय होता चला गयासाल 2012 में वर्ल्ड फ़ेमस वेवसाइट HuffPost ने मसाला डोसा को दुनिया के टॉप 10 लज़ीज़ व्यंजनों में शामिल किया था. साथ भी ये कहा था इसे हर टूरिस्ट को अपने जीवन में कम से कम एक बार ज़रूर ट्राई करना चाहिए.

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