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क्या मोहन सरकार या माया की मेहरबानी है सीएम के जिले में राज करने लगे राजनारायण ?

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प्रणव बजाज

इंदौर में 4.70 करोड़ रुपये का आबकारी घोटाला, सहायक आयुक्त राजनारायण सोनी निलंबित मामले को क्यों दबाया गया इस पर कार्यवाही क्यो नही ?

इंदौर। हाल ही में उज्जैन संभाग के एक जिले से सीएम के जिले में पदस्थ हुए जिले के आबकारी मुखिया राज नारायण सोनी अब मन-मासोस रहे है,क्योंकि जिला फुटकर से मोनोपोली में चला गया है, हालांकि टॉप लेवल से पोस्टिंग पाए उक्त अधिकारी के कई मामले चर्चित चल रहे है और अपनी योग्यता से विभागीय जांच की फाइल पर भारी वजनदारी रख पोस्टिंग पाने में सफल हो पाए है। मगर सूत्रों की माने तो वर्तमान में 300 करोड़ के रेवेन्यू वाले जिले से 635 करोड़ के जिले में पोस्टिंग पाकर उक्त को जितनी खुशी होनी चाहिए उतनी उक्त अफसर के चहरे से जाहिर नही हो पा रही है। कारण आप हम सभी जानते है मगर कुछ गम खाकर बहुत कुछ फाइलों में निपटाया जा सकता है !आबकारी घोटाले में सहायक आबकारी आयुक्त राजनारायण सोनी को निलंबित कर दिया गया था लेकिन मामले को दबा दिया गया है। किसी थाना क्षेत्र में इनकी रिपोर्ट भी लिखाई गई थी । वहां के टीआई रिश्वतखोरी और शराब घोटाले में सोनी की लापरवाही सामने आई थी ? इससे पहले जिला आबकारी अधिकारी को भी निलंबित किया गया है। शराब ठेकेदारों ने अधिकारियों के संग मिलकर 4.70 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी। इस मामले में आबकारी आयुक्त ने पूर्व में सहायक जिला आबकारी अधिकारी राजीव उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया था। इस पर राजनारायण सोनी पर भी गाज गिरी थी। इसके बाद आबकारी विभाग में हड़कंप मच गया था।

दरअसल, ई टेंडर के माध्यम से जो शराब ठेके 2022-23 के लिए दिए गए थे, उनमें एमआईजी समूह का ठेका लेने वाला ठेकेदार मोहन कुमार अपनी बकाया जमा राशि चुकाए बिना ही भाग गया था। कलेक्टर मनीष सिंह ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए आबकारी अधिकारियों को नोटिस भी जारी किए थे। इसके बाद प्रमुख सचिव वाणिज्य कर को भेजे पत्र में शासन ने राजस्व क्षति का जिक्र किया था। इसमें सहायक आयुक्त आबकारी की लापरवाही सामने आई थी।

इसके साथ ही फर्जी एफडीआर की जांच न करने को गंभीर त्रुटि बताया है। इन्हीं कारणों से सहकारी आबकारी आयुक्त को निलंबित कर दिया गया है। शराब ठेकेदारों और अधिकारियों का एक सिंडिकेट था, जो फर्जी एफडीआर के जरिए शासन को चूना लगा रहे थे। इसके साथ ही ठेकेदार के खिलाफ भी कार्रवाई नही हो रही है । क्या मोहन सरकार या माया की मेहरबानी है जो आला अधिकारी आज उज्जैन शहर में बड़ी पोस्ट लेकर बैठे हुए हैं ! कहीं ऐसा ना हो मोहन के जिले में राज करने लगे राजनारायण ?

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