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पत्रकारिता विमर्श :  कंटेंट राइटिंग यानी ‘वीकली हाट

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पुष्पा गुप्ता

    _कंटैंट राइटर अब किसी प्रोडक्ट का प्रयोग कर के उस के बारे में नहीं लिखता. जो कंपनी की पीआर टीम बता देती है उसी को लिख देता है._

मीडिया आज पूरी तरह से व्यवसाय का रूप ले चुका है, इस से कंटैंट राइटर की लेखनी ने पैशन की जगह पेशे का रूप ले लिया है. आज लेखक कम, कंटैंट राइटर हर जगह खड़े हैं, जो सहीगलत का नजरिया पेश नहीं कर पाते.

        _कंटैंट राइटिंग के खराब होने का सीधा असर मानसिक खुराक पर पड़ता है. ग्राहक मुफ्त के चक्कर में सोशल मीडिया के वीकली हाट बाजार में परोसे जा रहे कंटैंट को देख रहा है. वह निष्पक्ष और जिम्मेदारीभरा नहीं होता है._

      अच्छे कंटैंट के लिए जरूरी है कि ग्राहक उस की अच्छी कीमत देने को तैयार हो. कंटैंट राइटर विचारों को परिपक्व बना कर सोचनेसम?ाने की ताकत और तर्कशक्ति को बढ़ाता है.

कंटैंट राइटिंग जब वीकली हाट में बदल जाएगी तो समाज पूरी तरह से बाजार के अधीन हो जाएगा.

      _बाजार पैसे खर्च कर के जो समझाएगा, वही समाज को समझने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. निष्पक्ष पत्रकारिता और चौथा स्तंभ जैसी बातें बेमानी हो जाएंगी._

        मीडिया का विस्तार हो रहा है. इस का प्रभाव कंटैंट राइटिंग पर भी पड़ रहा है. फिल्मों से ले कर यूट्यूब चैनल तक हर तरफ नएनए विस्तार दिख रहे हैं.

कंटैंट राइटर यानी लेखक हर विधा में खुद को परफैक्ट मान कर अंधी दौड़ में जुट गया है. कंटैंट राइटिंग एक तरह से ‘वीकली हाट’ यानी साप्ताहिक बाजार जैसी हो गई है, जहां बड़ी और अच्छी कंपनियों की नकल वाला सामान सस्ती कीमत पर बिक रहा है.

     _सस्ता होने के कारण यह सामान बिक भले ही जा रहा पर उपयोगी साबित नहीं हो रहा है._

    [चेतना विकास मिशन]

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