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70 साल पहले नेहरू-लियाकत समझौते के विरोध में बना जनसंघ, 3 से 303 लोकसभा सीट तक पहुंचने का सफर

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आज से ठीक 70 साल पहले एक पार्टी का गठन हुआ। नाम था जनसंघ। 1975 में इमरजेंसी बाद चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी के विरोध में इसका विलय भी बाकी विरोधी पार्टियों की तरह जनता पार्टी में हो गया। लेकिन, 29 साल बाद ही ये एक नए नाम और चुनाव चिह्न के साथ अस्तित्व में आई। नाम भारतीय जनता पार्टी, आज ये दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है।

लेकिन, जनसंघ के जन्म की वजह क्या थी? जनसंघ का गठन कैसे हुआ? लोकसभा चुनावों में जनसंघ का प्रदर्शन कैसा रहा? जनसंघ से भाजपा बनने की क्या कहानी है?

नेहरू-लियाकत समझौता क्या था?

आजादी के साथ ही देश का बंटवारा भी हुआ। बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों ही भीषण दंगों से पीड़ित थे। यही नेहरू-लियाकत समझौते की वजह बना। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में कहा गया था कि दोनों देश अपने-अपने देश में अल्पसंख्यक आयोग गठित करेंगे। इसका विरोध करते हुए नेहरू सरकार के उद्योगमंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस समझौते को मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाला बताया था। नेहरू-लियाकत समझौते में 4 अहम बातें थीं…

1. प्रवासियों को विस्थापन के दौरान सुरक्षा दी जाएगी। अपनी संपत्ति बेचने के लिए ये लोग सुरक्षित आ-जा सकेंगे।

2. अपहरण की गई औरतों को वापस परिवार के पास भेजा जाएगा। जिन अल्पसंख्यकों की संपत्ति पर अवैध कब्जा किया गया उन्हें वो वापस की जाएगी।

3. दोनों देशों में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन अवैध होगा, अल्पसंख्यकों को बराबरी और सुरक्षा के अधिकार दिए जाएंगे। अल्पसंख्यकों के खिलाफ किसी भी तरह का कुप्रचार नहीं चलाने दिया जाएगा।

4. युद्ध को भड़काने वाले और किसी देश की अखंडता पर सवाल खड़ा करने वाले प्रचार को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा।

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