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कमलाजी को मरने छोड़ दिया था नेहरूजी ने..इससे ज्यादा नीचता और क्या हो सकती है..?

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राजन शर्मा

Whatsapp पर ये मैसेज खूब चलता है कि जब स्वर्गीय कमला नेहरूजी की तबियत खराब थी तब नेहरूजी ऐय्याशी कर रहे थे और कमलाजी को लावारिस मरने छोड़ दिया था..अब इससे ज्यादा नीचता और क्या हो सकती है..? जो ये लोग कर रहे है..!!

1931 के अंत से कमलाजी की तबियत खराब रहने लगी..जुलाई 1934 को उन्हें शायद पहली बार TB का पता चला..ईलाज शुरू किया गया.. TB sanatorium भोवाली, नैनीताल में ईलाज शुरू हुवा..10 मार्च से 15 जुलाई 1935 तक उनका भोवाली में ईलाज हुवा.. Dr L. S. White उनका ईलाज कर रहे थे..इसी ईलाज से उन्हें काफी फायदा हुवा और वो स्विट्ज़रलैंड जाने के लायक सेहत बना पायी..

कहाँ थे नेहरूजी इस वक्त..? तो जवाब ये है..!!

जब कमलाजी भोवाली में ईलाज करवा रही थी तब नेहरूजी को अंग्रेजो ने अल्मोड़ा जेल में कैद कर रखा था..हॉस्पिटल का रेकॉर्ड बताता है कि नेहरूजी 6 बार कड़े पुलिस पहरे में कमलाजी से मिलने गये.. अंग्रेजो ने अनुमति दी थी..आप भी जाकर वो विजिटर रजिस्टर देख सकते है..225 एकर का ये TB हॉस्पिटल आज भी मौजूद है.. जिस कमरे में कमलाजी का ईलाज हुवा था उसका नाम अब ‘कमला कॉटेज’ है..वो उनकी याद में संजो कर रखा गया है…

उस वक्त TB का कोई ईलाज नही होता था..तड़प तड़प कर मौत हो जाती थी TB रोगियों की..कम से कम भारत मे तो ईलाज नही था..कमलाजी को स्विट्ज़रलैंड में ईलाज करवाने का फैसला किया गया..

बाकी का इतिहास बताने के पहले जरा टाइम मशीन में सवार हो जाइये.. 1930 का वो दौर याद कीजिये..भगत सिंह की फांसी, डांडी नमकयात्रा, लाहौर पूर्ण स्वराज, हरिजन यात्रा, असहयोग और भी अनगिनत आंदोलन..भारत में आज़ादी की हवा बहुत जोर से बह रही थी.. नेहरूजी और सुभाषचन्द्र युथ आइकॉन बन चुके थे..जिम्मेदारी इतनी की रातों की नींद बस 2 घण्टे..नेहरूजी और सुभाषचंद्र की दोस्ती और कमलाजी का ईलाज- दोस्ती की एक अनकही दास्तान सुनिये..

कमलाजी को स्विट्जरलैंड लाया गया ईलाज के लिये.. उनदिनों विदेश यात्रा आजकी तरह आसान नही होती थी..नेहरूजी खुद गये कमलाजी का ईलाज करवाने लेकिन भारत वापस आना पडा और फिर गिरफ्तार कर लिये गये..इंदिराजी अकेली अपनी माँ की सेवा कर रही थी स्विट्ज़रलैंड में..

सुभाषचंद्र उस वक्त वियेना में थे..जैसे ही उन्हें मालूम हुवा वो वियेना से Badenweiler आ गये कमलाजी और इंदिराजी का साथ देने के लिये…सुभाषचन्द्र ने कमलाजी के ईलाज की पूरी जिम्मेदारी सम्हाल ली..अंग्रेजो ने फिर भी नेहरूजी को जेल से नही रिहा किया..बहुत कोशिशों के बाद नेहरूजी को रिहाई मिली.. 28 फ़रवरी 1936 को स्विटज़रलैंड के लोज़ान शहर में कमला नेहरू ने अंतिम साँसें लीं..उनके मृत्यु के समय सुभाषचंद्र, नेहरुजी के साथ-साथ, इंदिराजी, नेहरु की माता स्वरुपरानी जी और डॉ अटल वहां मौजूद थे..

~ विभिन्न लेखों से संग्रहित…

        –राज ढल

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