अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन कर रहा हर दिन 80,000 लीटर साफ पानी का दुरुपयोग

Share

कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से इस बारे में सारी जानकारी देने के लिए और समय मांगा कि उसे पानी कहां से मिलता है। क्रिकेट एसोसिएशन से एम चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में चार बोरवेलों के बारे में जानकारी साझा करने को कहा गया था। उनसे पूछा गया था कि इन बोरवेलों को कब खोदा गया, उनसे कितना पानी लिया गया, और क्या बोर्ड के पास इसके लिए अनुमति है।

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन को अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के बारे में विवरण देने का निर्देश दिया है। साथ ही दो मई, 2024 को दिए इस निर्देश में उनसे पूछा गया कि वो प्लांट कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है। उनके पास अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त, 2024 को होगी।

बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि स्टेडियम विभिन्न स्रोतों से पानी का उपयोग कैसे करता है। इस मामले में 17 अप्रैल, 2024 को मुख्य और कार्यकारी अभियंता सहित चैल्लाघट्टा घाटी के अधिकारियों ने स्टेडियम के प्रतिनिधियों के साथ एम चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम का निरीक्षण किया था।

बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने स्टेडियम को कावेरी जल कनेक्शन प्रदान किया है। स्टेडियम आवासीय क्षेत्रों, रसोई, पार्टी हॉल और प्रति दिन करीब 500 मेहमानों की क्षमता वाले रेस्तरां के लिए हर महीने औसतन 2212 किलोलीटर ताजे पानी का उपयोग करता है।

इसके अतिरिक्त, स्टेडियम चार बोरवेलों का भी उपयोग कर रहा है। यह भी ध्यान दिया गया है कि इन बोरवेलों में पानी के उपयोग को मापने के लिए जल प्रवाह मीटर नहीं लगाया गया है।

निरीक्षण के अनुसार, स्टेडियम का अपना खुद का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) है, जिसकी क्षमता 200 किलोलीटर प्रतिदिन है। यह संयंत्र निरीक्षण के दौरान चालू पाया गया। 2017 से, बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) छह रुपये प्रति किलोलीटर की दर से उपचारित सीवेज जल की आपूर्ति कर रहा है। इस उपचारित सीवेज जल का उपयोग बागवानी और पीने के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है। वर्तमान में, सीवेज उत्पादन कम हो गया है क्योंकि सीवेज का प्रवाह नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “स्टेडियम द्वारा अपनी 200 किलोलीटर प्रति दिन की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए बीडब्ल्यूएसएसबी से पर्याप्त सीवेज नहीं मिला है।” इस उपचारित जल का उपयोग बागवानी के लिए किया जाता था। रिपोर्ट में स्टेडियम के लिए पानी की कुल खपत का ब्यौरा दिया गया है:

ताजा पानी: 80,000 लीटर प्रतिदिन

उपचारित जल: 64,000 लीटर प्रतिदिन

वर्षा जल संचयन या खरीदा पानी: 50,000 लीटर प्रतिदिन

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एनजीटी ने 21 मार्च, 2024 को इंडिया टुडे में छपी एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तलब की थी। इस खबर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जल संकट के बावजूद बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम को आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 के लिए उपचारित पानी की आपूर्ति की जाएगी।

एक अप्रैल 2024 को इस मामले में एनजीटी ने कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बेंगलुरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड, बेंगलुरु के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। इन सभी को दो मई 2024 से पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया था।

रेवाड़ी में तालाब के जीर्णोद्धार और कायाकल्प का मामला, एनजीटी ने प्रगति पर मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हरियाणा तालाब और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीडब्ल्यूडब्ल्यूएमए) को खरखड़ा गांव में एक तालाब के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के प्रयासों के संबंध में हुई प्रगति पर रिपोर्ट दाखिल करने का कहा है। तीन मई 2024 को दिया यह निर्देश हरियाणा में रेवाड़ी जिले के खरखड़ा गांव के एक तालाब के जीर्णोद्धार से जुड़ा है।

एचपीडब्ल्यूडब्ल्यूएमए की ओर से दाखिल कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 फरवरी, 2024 को ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद, प्राधिकरण ने खरखड़ा गांव में तालाब के जीर्णोद्धार और कायाकल्प को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया में दो चरण शामिल हैं: योजना और बहाली, जिसके पूरा होने का अनुमानित समय 299 दिन का है।

इसके अतिरिक्त, यह भी जानकारी दी गई है कि मौजूदा समय में मामला सरकार से प्रशासनिक अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है। यह भी प्रस्तुत किया गया है कि मंजूरी हासिल करने के साथ निविदाएं जारी करने, अनुबंध देने सहित अन्य आवश्यक प्रक्रियाएं चार महीने के भीतर पूरी कर ली जाएंगी।

यमुना से एकत्र किए नमूनों पर रिपोर्ट दाखिल करे सीपीसीबी: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन मई 2024 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से यमुना नदी से एकत्र किए गए नमूनों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इसके लिए ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी को चार सप्ताह का समय दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ अगस्त, 2024 को होगी।

पूरा मामला दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा यमुना नदी के किनारे स्थापित सीवेज उपचार संयंत्रों के खराब प्रदर्शन से जुड़ा है।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की निगरानी के अनुसार, केवल 15 सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) आवश्यक अपशिष्ट मानकों को पूरा कर रहे हैं। बाकी एसटीपी मानकों पर खरे नहीं उतरते। 37 परिचालन एसटीपी में से केवल 34 में ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली (ओसीईएम) स्थापित है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नमूने एकत्र कर लिए हैं, लेकिन रिपोर्ट अभी लंबित है।

Add comment

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें