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लालू की ललकार, नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात…बिहार में सियासी माहौल गरमाया 

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पटना: बिहार में कास्ट सर्वे और रिजर्वेशन पर ‘कटीली पॉलिटिक्स’ जारी है। इस बीच, पटना में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात ने सियासी पारे को बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच लंबे समय के बाद हुई मुलाकात को लेकर प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ गया है। दरअसल, मुख्यमंत्री मंगलवार को मुख्य सचिवालय पहुंचे थे। कुछ देर के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव भी वहां पहुंचे। इसके बाद बिहार की राजनीति में तरह-तरह की चर्चा होने लगी। हालांकि, ये मुलाकात काफी लंबे समय तक नहीं चली, फिर भी प्रदेश की सियासत गर्म हो गई। कई तरह के कयास लगाए जाने लगे।

पटना में हुई नीतीश और तेजस्वी की मुलाकात

नीतीश-तेजस्वी मुलाकात को लेकर सूत्रों का कहना है कि सूचना आयुक्त की नियुक्ति होनी है, जिसमें विपक्ष के नेता की भी सहमति ली जाती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव जब बाहर निकले तो उन्होंने खुद ही स्थिति सामने रख दी। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कुछ नियुक्तियां होनी है, जिस पर चर्चा हुई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इसकी विधिवत जानकारी देगी।

वहीं, बिहार में बढ़े आरक्षण की सीमा को नौवीं अनुसूची में शामिल कराने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सीएम से बात हुई है। मामला कोर्ट में है। हमने भी कहा कि हम भी कोर्ट पहुंच गए हैं। आप अपनी बात को कोर्ट में रखिए, हम भी अच्छे से अपनी बात रखेंगे। जातीय जनगणना और आरक्षण को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसे लेकर जमकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है।

जेडीयू की ओर से मंत्री विजय चौधरी ने संभाला मोर्चा

बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद जातीय जनगणना के आधार पर बढ़ाए गए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग कर रही है, वहीं सत्ताधारी जदयू ने इसे नकारते हुए कहा कि जब पटना उच्च न्यायालय ने इस कानून को ही निरस्त कर दिया है तो किस कानून को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग कर रहे हैं। बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को राजद की इस हमदर्दी को ढोंग बताया और कहा कि राजद श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। लेकिन, बिहार की जनता जानती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व की सरकार ने जातीय गणना का निर्णय लिया था।

उन्होंने कहा, ‘आज की तिथि में जब यह कानून ही नहीं है तो नौवीं अनुसूची में शामिल करने की बात कैसे की जा सकती है? जब यह कानून को पास किया गया था तो तत्काल मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अनुरोध किया था। सरकार इस मामले में कदम उठा चुकी है। इसके बाद पटना उच्च न्यायालय ने उस कानून को ही निरस्त कर दिया।’

विजय चौधरी ने कहा कि हमको आश्चर्य होता है, जो लोग कहते हैं कि इस कानून को नौवीं अनुसूची में डाला जाए तो किस कानून को डाला जाए? आज तो वो कानून ही रद्द है, तो सबसे पहले समझने की बात है। उन्होंने कहा कि बिहार में जो जातीय गणना हुई, उसमें जो आंकड़े आए, उसके आधार पर पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों के लिए बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाई। इसे सरकार ने लागू भी कर दिया। इससे लोगों को लाभ भी मिलने लगा। इसके बाद कुछ लोगों ने न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका लगाई। पटना उच्च न्यायालय ने उस कानून को निरस्त कर दिया। इसका अर्थ होता है कि वह कानून ही रद्द हो गया। इस फैसले के खिलाफ सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई है।

कास्ट सर्वे पर लालू यादव ने BJP-RSS को लपेटा

इस बीच, तेजस्वी यादव के पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जाति आधारित गणना के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ टिप्पणी की है। इसके बाद भाजपा और राजद नेताओं के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया। भाजपा की बिहार इकाई के नेताओं ने राजद सुप्रीमो की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि वो ‘गुंडों की तरह बात कर रहे हैं।’

जाति आधारित गणना के मुद्दे पर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए लालू प्रसाद ने कहा था, ‘इन आरआरएस/भाजपा वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औकात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं कराएंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा।’

बीजेपी नेताओं ने एक साथ बोला लालू यादव पर हमला

लालू यादव की टिप्पणी पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘राजद गुंडों की तरह बात कर रहा है…उनकी भाषा मूल रूप से गुंडों की भाषा है। उन्हें ये सब बंद कर देना चाहिए…हमें धमकाने की कोशिश न करें… हम ऐसी चीजों से नहीं डरते…आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें और उनकी पार्टी को करारा जवाब देगी।’ इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘लालू प्रसाद खुद एक अभिशाप हैं…वे बिहार के लिए एक गाली हैं। लालू ने बिहार को क्या दिया है? उन्होंने राज्य की छवि खराब की है। हमने संकल्प लिया है कि बिहार को उन लोगों से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाएंगे जिन्होंने बिहारी शब्द को गाली बना दिया है।’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी सांसद संजय जायसवाल ने कहा, ‘लालू यादव झूठ बोल रहे हैं…बिहार में जातिगत सर्वेक्षण हुआ था और भाजपा ने इसका समर्थन किया था…लालू यादव ऐसा क्यों कर रहे हैं? कांग्रेस शासित राज्यों में जहां जातिगत सर्वेक्षण नहीं हुआ है, वहां सवाल नहीं उठाना चाहिए। दरअसल लालू यादव को पता ही नहीं है कि क्या बोलना है।’

इस बीच, लालू प्रसाद के बयान का बचाव करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा और आरएसएस के लोग आरक्षण के पूरी तरह खिलाफ हैं। यही कारण है कि वे देश में जातिगत जनगणना नहीं चाहते हैं। लालू जी ने जो भी कहा है, वह बिल्कुल सही है।’

JDU ने लालू यादव को दिलाई 15 साल की शासन की याद

जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद पर हमला बोला। उन्होंने जातिगत जनगणना पर दिए लालू प्रसाद के बयान पर सवाल खड़े किए। बोले, उन्होंने सिर्फ अपने परिवार को सशक्त बनाया, लेकिन बिहार के लिए कुछ नहीं किया। जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा, ‘1990 से 2005 तक तो वह बिहार के मुख्यमंत्री रहे। फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री रहीं। इन 15 वर्षों में पंचायती व्यवस्था में भी आरक्षण का फैसला नहीं ले पाए। उन्होंने परिवार के सशक्तिकरण के सिवा बिहार के जनता के लिए क्या किया है? केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी यूपीए सरकार पर दबाव बनाकर जातीय जनगणना का फैसला ले सकते थे। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अब बिहार ने रास्ता दिखाया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जातिगत जनगणना संभव हुई है। न केवल जातीय सर्वे बल्कि आंकड़ों के आधार पर गरीब परिवारों की पहचान कर उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं की नींव रखी जा चुकी है।’

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