अग्नि आलोक
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दीप जलते नहीं जलाए जाते है

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दीप जलते नहीं
जलाए जाते है।
मोहब्बत की नहीं
निभाई जाती है।
खुशियां आती नहीं
लाई जाती है।
अपने बनते नहीं
बनाए जाते है।
कर्म दिखाए नहीं
किए जाते है।
हमसफर दिखाया नहीं
बनाया जाते है।
सत्य समझाया नहीं
समझा जाता है।
श्री राम बनाए नहीं
कर्मो से बना जाता है।

डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
rajivdogra1@gmail.com

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