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 लेनिन जिन्होंने किसानों मजदूरों की राजसत्ता कायम की

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मुनेश त्यागी 

महान व्लादिमिर इलयिच लेनिन  की पुण्यतिथि (21 जनवरी 1924) के अवसर पर उन्हें शत शत नंदन वंदन  और क्रांतिकारी अभिवादन। लेनिन महान जिन्होंने रूस में पहली सर्वहारा कांति की और किसानों मजदूरों को अपना भाग्य विधाता बनाया।  लेनिन के नेतृत्व में रूस में एक ऐसी सरकार कायम की गई जिसमें किसान और मजदूरों के कल्याण का बोलबाला था जो किसान और मजदूरों की सरकार थी जो आम जनता के हित की सरकार थी।

    लेनिन अपनी युवावस्था में ही एक अध्ययनशील, पढ़ाकू और मजदूरों के लिए संघर्षरत हो गए थे। वह अपने जीवन काल के शुरुआत में ही मार्क्स के शिष्य हो गए थे और मार्क्सवाद में विश्वास करने लगे थे। उनका मानना था कि किसान मजदूर एकता कायम करके एक क्रांतिकारी क्रांतिकारी पार्टी के माध्यम से ही समाज में  बुनियादी परिवर्तन किया जा सकता है, समाज का क्रांतिकारी परिवर्तन किया जा सकता है और समाज में क्रांति की जा सकती है। उनके इन्हीं विचारों की वजह से जारशाही ने उन्हें देश निकालें दिए, रूस के बाहर भेजा, बेहद कठिन जिंदगी जीने पर मजबूर किया मगर लेनिन अपने सिद्धांतों और आदर्शों से टस से मस न हुए और वे विदेशों में रहते हुए रूसी क्रांति का, रूसी मजदूर किसान आंदोलनों का नेतृत्व करते रहे।

    अपने इन्हीं सिद्धांतों को लेकर महान लेनिन ने रूस में 1917 में क्रांति की और दुनिया में सबसे पहले 1917 में किसानों मजदूरों का राज और सत्ता कायम की और किसानों मजदूरों को अपना भाग्य विधाता बनाया और सामंती और पूंजीवाद के मानने वालों की इस बात का खंडन किया कि किसान और मजदूर अपनी सत्ता कायम नहीं कर सकते अपना राज नहीं चला सकते अपनी सरकार नहीं बना सकते।

    लेनिन एक बहुत अध्यनशील, पढ़ाकू और एक बड़े लेखक थे। उन्होंने अपने जीवन में “मजदूरों के मित्र कौन हैं?”, “एक कदम आगे दो कदम पीछे”, “क्या करें?”, “साम्राज्यवाद पूंजीवाद के अंतिम अवस्था है”, “राज और क्रांति”, “वामपंथी कम्युनिज्म एक बचकाना मर्ज”, जैसी अनेक महत्वपूर्ण किताबें लिखीं, जिनका अध्ययन करके दुनिया के करोड़ों लोगों ने लेनिन के आदर्शों को अपनाया और अपने-अपने देशों में क्रांतिकारी सरकार और क्रांतिकारी सताएं कायम कीं, पूंजीवाद का विनाश किया। मार्क्स और लेनिन के विचारों से प्रभावित होकर दुनिया के अनेक देशों में क्रांतियां हुईं, मजदूरों और किसानों के राज्य कायम हुए, उनकी सरकारें बनीं, उनकी सत्ता बनी और लोग किसान मजदूर इतिहास में पहली बार, अपने भाग्य विधाता बने।

     लेनिन के विचारों पर चलकर कम्युनिस्टों ने सामंती और पूंजीपतियों की इस बात का खंडन किया की मजदूर और किसान क्रांतिकारी नहीं बन सकते, अपनी सरकार और सत्ता कायम नहीं कर सकते, क्रांतिकारी समाज का क्रांतिकारी रूपांतरण नहीं कर सकते। दुनिया में आज भी बहुत से मुल्क है जहां लेनिनवाद के अनुसार सरकारी कायम की गई और जनता का कल्याण किया गया और हजारों साल पुराने अन्याय, शोषण, जुल्म, अन्याय, भेदभाव, जातिवाद और नस्ली भेदभाव का खात्मा किया।

    सबसे पहले रूस, चीन, पूर्वी यूरोप, क्यूबा, वियतनाम, कोरिया, मंगोलिया, में लेनिनवावादी सरकारें कायम की गईं। आज भी दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में किसानों मजदूरों के संघर्ष सबसे तेज हैं जो लेनिनवादी सिद्धांतों और आदर्शों पर चलकर अपने जीवन में नव निर्माण कर रहे हैं।

      लेनिन ने दुनिया को सत्ता का प्रयोग किसान और मजदूरों और आम जनता के हित के लिए करना सिखाया। उन्होंने सत्ता का इस्तेमाल चंद लोगों की खुशियों के लिए, चंद लोगों की तानाशाही के लिए, चंद लोगों के कल्याण के लिए नहीं किया और ना ही उन्होंने सत्ता का प्रयोग अपने लिए, अपने परिवार के लिए, अपने रिश्तेदारों के लिए किया।

      उन्होंने दुनिया को दिखाया कि कैसे किसान और मजदूरों की सत्ता का प्रयोग और सरकार का प्रयोग, जनता के कल्याण के लिए, किसानों के कल्याण के लिए और  मजदूरों के कल्याण के लिए किया जा सकता है। पूरी दुनिया में लेनिन ने  यह सिद्धांत प्रतिपादित किया की अर्ध पिछड़े देश में कैसे कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में क्रांति की जा सकती है और कैसे क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सकता है।

     लेनिन की क्रांति इस मायने में सबसे बड़ी घटना थी कि उसने इंसान इंसान के बीच में समता, समानता, न्याय, भाईचारे, शांति और  स्वतंत्रता की कामना स्थापना की। उसने जातियों का भेद मिटाया, जातिवाद का खात्मा किया।  सबसे पहले आदमी को आदमी बनाया, इंसान का हमदर्द बनाया और आपस में भाईचारा कायम किया।

      क्रांति ने दिखाया कि क्रांतिकारी समाज कैसे औरतों को बराबरी का दर्जा दे सकता है यह रूस की पहली समाजवादी क्रांति थी जिसका नेतृत्व लेनिन कर रहे थे जिसने दुनिया में पहले पहल स्थापित किया और दुनिया को दिखाया कि कैसे पूरी जनता को आधुनिक और वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान की जा सकती है, कैसे सबको काम मुहैया करा जा सकता है  कैसे सब को मुफ्त इलाज दिया जा सकता है और कैसे जमीन का वितरण करके कृषि समस्या का निपटारा किया जा सकता है और किसान और मजदूर को अपना भाग्य विधाता बनाया जा सकता है और कैसे नस्ली और जातिवाद की समस्या का समाधान किया जा सकता है।

    महान लेनिन की क्रांति ने यह भी स्थापित किया कि यदि नेतृत्व सही है तो वह किसान और मजदूर को अपना भाग विधाता बना सकता है, रूस की क्रांति ने यही सिद्ध किया और असल बात यह है कि इस क्रांति का प्रणेता और नेता और कोई नहीं बल्कि लेनिन के नेतृत्व में वहां की कम्युनिस्ट पार्टी और बोलशेविक  पार्टी थी।

    यह कॉमरेड लेनिन ही थे कि जिन्हें दुनिया की कम्युनिस्ट, प्रोग्रेसिव, प्रगतिशील, बौद्धिक और जनवादी ताकतों ने “क्रांति का जनक” माना और उन्हें इतिहास में “लेनिन द ग्रेट” यानी “महान लेनिन” की उपाधि से सम्मानित किया। लेनिन इस उपाधि को पाने के लिए सबसे ज्यादा हकदार थे क्योंकि उन्होंने समाज का नक्शा बदला। समाज में क्रांतिकारी प्रस्थापना स्थापित की और दुनिया को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, अन्याय, शोषण, जुल्म और भेदभाव की बुनियादी समस्याओं से निजात दिलवाई और और दुनिया में सबसे पहले समता समानता धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित समाज की स्थापना की।

       महान लेनिन भारत की आजादी के, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समर्थक थे। उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्यवाद द्वारा भारत की गुलामी की जंजीरें तोड़ने की वकालत की थी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया था। 1920 में लेनिन ने भारत में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना में मदद की थी और एमएन राय की थीसिस में बदलाव किए थे। यह लेनिन की सरकार ही थी जिसने भारत में स्थापित भारत की पहली सरकार को मान्यता प्राप्त की थी जो 1915 में काबुल में स्थापित की गई थी और जिस के राष्ट्रपति राजा महेंद्र प्रताप सिंह और प्रधानमंत्री बरकतुल्लाह खान थे। यह लेनिन की महानता ही थी की अपनी फांसी के समय शहीदे आजम भगत सिंह अपने समय के महान नेता कामरेड लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।

    दुनिया के महान पुत्र  कॉमरेड लेनिन महान को शत शत नमन वंदन और क्रांतिकारी सलाम।

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