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लोकसभा चुनाव 2024 … एकजुट होते नहीं दिख रहे हैं विपक्षी दल

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देश में अब लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। वर्ष 2014 और 2019 में अकेले दम पर बहुमत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने नए साल के पहले ही माह से तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया गया है। लखनऊ के बाद अब दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हो रहा है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर योजना तैयार की गई है। हालांकि, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अन्य पार्टियों ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में जीत के बाद से उत्साहित हैं। जिलावार दौरे कर रहे हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी ‘चलो गांव की ओर’ कार्यक्रम के जरिए अपनी तैयारियों को धार देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी यूपी के तीन जिलों से होकर गुजरी है। इस यात्रा ने प्रदेश में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना शुरू किया है। हालांकि, भाजपा की तैयारी आगे दिख रही है। दिल्ली में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यूपी से सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य एवं ब्रजेश पाठक, पार्टी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत कई सीनियर नेता भाग ले रहे हैं।

पार्टी ने पहले ही शुरू किया अभियान

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जीत दर्ज करने के साथ ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को शुरू कर दिया है। पार्टी 80 सीटों वाले इस अहम राज्य में अपनी पकड़ को मजबूत रखने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है। इसको लेकर जिला स्तर पर बैठकों का दौर चल रहा है। प्रदेश के 75 जिलों को तीन भागों में बांटकर शीर्ष तीनों नेताओं ने जिम्मेदारी ली है। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के स्तर पर जिलावार पार्टी को मजबूत करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। भाजपा ने जिलों के उन इलाकों को चिह्नित किया है, जहां पार्टी का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव 2019 और यूपी चुनाव 2022 के दौरान खराब रहा था।

पार्टी उन तमाम इलाकों में बूथ स्तरीय कमेटी की बैठक कर घर-घर जाकर पार्टी की नीतियों को पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। वोटरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का हवाला दिया जा रहा है। पूर्व की सरकारों के कार्यकाल के दौरान की स्थिति पर चर्चा की जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भूपेंद्र सिंह चौधरी के चयन के बाद इस कार्य में तेजी आई है।

अब लोकसभा वार चल रही है समीक्षा

भाजपा ने अब लोकसभा वार समीक्षा शुरू कर दी है। स्थानीय नेताओं के साथ बैठकों का दौर लगातार चल रहा है। इस क्रम में पार्टी उन तमाम जीती सीटों पर चुने गए सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार कर रही है। स्थानीय कार्यकर्ताओं से सांसदों का फीडबैक लिया जा रहा है। क्षेत्र में पार्टी के प्रति आम लोगों की सोच के बारे में भी जानकारी ली जा रही है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी की 80 में से 71 सीटों पर दर्ज की थी। अपना के दो सांसदों को जोड़ लें तो एनडीए 73 सीटों पर जीती थी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी- बसपा के बहुचर्चित गठबंधन के बाद भी भाजपा को 62 सीटों पर जीत मिली थी। अपना दल दो सीटों पर जीती। सपा और बसपा गठबंधन 15 सीटों पर जीती। वहीं, कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली। राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे। इन तमाम स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति तैयार की जा रही है।

भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में शनिवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक लखनऊ में हुई। इसमें यूपी विधान परिषद की शिक्षक-स्नातक सीटों पर होने वाले चुनाव पर चर्चा की गई। इस बैठक के बाद भूपेंद्र चौधरी ने पांचों सीटों पर भाजपा की जीत का दावा किया। साथ ही, कहा था कि बैठक में 17 लोकसभा सीटों की भी समीक्षा की गई। यह समीक्षा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के पहले एक बड़ा संदेश था। दरअसल, भाजपा अगले चुनाव में कई सांसदों का टिकट काट सकती है। इसका कारण परफॉर्मेंस, क्षेत्र में अपीयरेंस और लोगों के बीच उनके प्रति गुस्से का भाव हो सकता है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के लिए महत्पवूर्ण यूपी की रिपोर्ट को पेश किया जा सकता है। यहां से भविष्य की रणनीति तय होगी।

विपक्षी दल खुद को मजबूत बनाने की कर रहे तैयारी

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में 49.4 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। मतलब, पार्टी का चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर यूपी में किसी प्रकार का विरोध नहीं दिखा। संसदीय क्षेत्रों में बने समीकरणों के कारण पार्टी 16 सीटों पर हारी। लेकिन, आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप चुनावों में जीत के साथ भाजपा ने समाजवादी पार्टी के दुर्ग में सेंधमारी की है। इससे निपटने के लिए अब मुख्य विपक्षी दल सपा ने तैयारियों को तेज कर दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जिलों का दौरा कर संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा के कोर वोट बैंक सवर्ण और ओबीसी में सेंधमारी की कोशिश कर रहे हैं। गैर यादव ओबीसी वर्ग को साधने के लिए यूपी नगर निकाय चुनाव के ओबीसी आरक्षण के मसले को जोरदार तरीके से उठाया जा रहा है। साथ ही, माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण को बचाने को लेकर भी प्रयास करते दिख रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी भी अपनी तैयारियों को धार दे रही है। पार्टी दलित-मुस्लिम समीकरण को एक बार फिर जमीन पर उतारने की कोशिश करती दिख रही है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर ‘एकला चलो रे’ नीति का ऐलान किया है। ग्रामीण इलाकों में पार्टी की पकड़ को मजबूत बनाने और युवाओं को साधने की रणनीति पर बसपा काम करती दिख रही है। वहीं, कांग्रेस यूपी में उस स्तर पर अभी तक प्रयास करती नहीं दिख रही है। राहुल गांधी की यात्रा को छोड़ दें तो पार्टी का वोटरों को साधने का अभियान जमीन पर उतरता नहीं दिख रहा है। विपक्ष का बिखराव भी भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है। एक तरफ भाजपा 50 फीसदी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ, विपक्षी दलों के वोटों का बंटवारा होता दिख रहा है। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्णय पर यूपी की भी नजर होगी।

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