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सामयिक:चीतों के नाम पर भी लुभावनी प्रतिस्पर्धा!

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सुसंस्कृति परिहार

 पर्यटन दिवस पर साहिब के ट्वीट ने नामीबिया से आए चीतों के नाम सुझाने का जो आग्रह किया है वह एक ऐतिहासिक काम है।अब तक जानवरों के नाम वनविभाग के अधिकारी उनके व्यवहार को देखकर उन्हें नाम दे देते थे।उनका यह अधिकार अब आम लोगों को मिल गया है यह पर्यटन दिवस की उपलब्धि माना जायेगा।एक से एक नाम आयेंगे उनमें से साहिब चयन कर उनका नाम रखेंगे । संभावित है इस समय कोई बड़ा उत्सव भी आयोजित हो  जाए। मुझे याद आता है शताब्दी पुरुष अमिताभ बच्चन की जब पोती हुई तो उन्होंने भी उसके नाम के लिए फेन्स से सुझाव आमंत्रित किए थे। उनमें से एक नाम आराध्या चयन हुआ था। यहां तो आठ चीते  हैं और साहिब की भक्त मंडली इतनी विशाल है कि लगता है करोड़ों नाम उन तक पहुंचेंगे। उन्हें थोड़ी सी हिंट ये भी करनी चाहिए थी कि कितने नर और कितने मादा हैं तो थोड़ा आसान हो जाता।दूसरा इसमें इतने नाम आने की संभावना है कि अलग विभाग होना चाहिए जो सभी नामों का ब्यौरा रख सके और आप तक पहुंच सके।यह सूची सुरक्षित रखी जाए ताकि आगे आने वाले चीता वंश के लिए फिर ये आयोजन ना करना पड़े।कोई किसी का नाम चुरा ना ले इसकी भी व्यवस्था हो।

 वैसे याद दिला दें ,अमूनन हमारे यहां परम्परा है कि हम लोग बच्चे के जन्म का समय और तारीख पंडित जी को बताते हैं वह राशि के साथ बच्चे के नाम के लिए तीन चार नाम सुझाते हैं मसलन,अर्जुन, अभिमन्यु, इत्यादि। आमतौर से जो धर्मग्रंथों के पात्रों के हुआ करते हैं । लोगों को जब वे नाम पसंद नहीं आते तो यह भी रास्ता सुझाया जाता हैं कि ‘अ’ अक्षर से नाम की शुरुआत हो तो चलेगा।तब बच्चे का नाम अमित,आरव में से रख दिया जाता है यह ट्रेंड आज भी चल रहा है।

चीतों के लिए बिना जन्म मुहूर्त जाने यदि नाम दिए जाते हैं तो इससे अनिष्ट होने की संभावना है उनसे जो आपका और आमजन का मोह जुड़ चुका है वह अपने पुत्र पुत्री से भी ज्यादा है इस दृष्टि से तो यही लाज़िम है कि उनकी जन्मावलि पहले पंडित को दिखाई जाए  उसके बाद जो नाम इन आठ चीतों को वे दें उसके बाद ,उन प्रथम अक्षरों पर नाम मांगे जाएंगे तो चीतों के जीवन की सुरक्षा संभव है वरना अनर्थ को आमंत्रित करना है। वैसे भी चीता भारत भू से विदा हो चुका है।इतनी दूर से वे लाए गए हैं उनका जीवन  कैसे समायोजित होगा पशु चिकित्सा शास्त्री और पर्यावरण विदों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। हमें पंडित परम्परा का निर्वहन करना ही चाहिए।

हमारे देश में वैसे भी आजकल जो माहौल है उसमें बाहर से आई मानव कौमों के प्रति जो नफरत का भाव जोर मार रहा है वे कितने परेशान हैं इस बात पर भी विचार होना चाहिए जब मानव नस्ल में तथाकथित शिक्षा के बाद भी यह यक्ष प्रश्न मौजूद है तो जानवरों से क्या अपेक्षा की जा सकती है अभी चीते सुरक्षित बाड़े में है जिस दिन वे खुले अभ्यारण्य में जायेंगे उनका हाल बुरा होगा। तेंदुओं के बीच उनकी दाल मुश्किल से गलेगी। बताया जाता है कि आए हुए चीते पालतू हैं जो और भी खतरनाक है।मानव के साथ रहे चीते जंगल के जानवरों के बीच फिसड्डी साबित होंगे ।ठीक उसी तरह जिस तरह घर में पला तोता जब कभी पिंजड़े से भाग खड़ा होता है तो कौवे उसे मार डालते हैं।

बहरहाल, साहिब की चीतों के नाम बताओ आयोजन में शामिल हों।आपका नाम गिनीज बुक में शामिल हो सकता है संभव है आज़ादी के अमृत काल समाप्ति तक यदि चीते सकुशल रहते हैं तो आप सबका भी अभिनंदन हो।काम पर लग जाइए,चीता नाम का चिंतन बहुमूल्य है। इससे आपकी तमाम परेशानियों का देखते देखते हल हो जाएगा एक माह का समय है इसे भरपूर जीएं।देश आपका एहसानमंद होगा। यहां यह बात बहुत तकलीफ़देह है लोग साहिब के आठ साला कार्यकाल को आठ चीतों से जोड़कर देख रहे हैं।कुछ लोगों ने देश की समस्याओं को चीतों की नाम से जोड़ने का अद्भुत काम किया है वे चीते की तेज रफ्तार को मंहगाई, बेरोजगारी,तेजी से गिरते रुपए से जोड़कर देख रहे हैं।ये ग़लत है।अभी काफी समय है चिंतन करिए यह देशहित में है।समय ना गंवाएं।

चीते सकुशल रहें ये बहुत ज़रूरी है आपका त्याग और सहयोग राष्ट्र के प्रति आपका समर्पण दर्शाता है।हमारे देश की परम्परा रही है अतिथि देवो भव।चीतों में देव देखें। उन्हें सहृदयता से लें। मेहमान के लिए जान देने की नौबत भी आए तो पीछे ना हटे।सुंदर नाम सुझाएं और सुंदर भाव रखें।साहिब को नामों का इंतजार रहेगा।आमीन।

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