भोपाल)। ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों की मेहरबानी से चौथी बार सत्ता पर काबिज हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकार की कार्यशैली को देखकर तो यही लगता है कि महान समाजवादी विचारक रहे डॉ. राम मनोहर लोहिया कहा करते थे कि सत्ताधीशों की दो जुबानें होती हैं, तो वहीं लोगों की यह धारणा है कि जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वो दिखता नहीं है, इसी कार्यशैली पर मध्यप्रदेश की भाजपा के नेता शिवराज सिंह चौहान की सरकार चल रही है उनके प्रशासन में बैठे उन अधिकारियों की जो वर्षों तक शिवराज की कथनी और करनी की कार्यशैली को समझ गये हैं वह भी उनके मुखाग्रबिन्द से निकली घोषणाओं का अर्थ भलीभांति निकालने में माहिर हो गये हैं ऐसे ही कुछ उदाहरण कोरोना जैसी इस महामारी के दौरान जब लोगों को अपनी और अपने परिवार की जान बचाने से जूझ रहे थे तब हमारे यह सत्ताधीश शंख ढपोलशंख की स्थिति में आकर रोज नित्य नई-नई घोषणायें करते नजर आ रहे थे लेकिन हकीकत में यदि उन घोषणाओं का क्रमवार अध्ययन किया जाए तो आज तक की गई कई घोषणाओं के सरकार द्वारा आदेश तक जारी नहीं हुए क्रियान्वयन की तो बात छोडि़ए? यह स्थिति कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के दौर की है, जिसमें सत्ता में बैठे नेता और प्रशासनिक अधिकारी जनता को फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर गुमराह करते रहे बात जहां तक माफियाओं की करें तो इस सरकार की कार्यशैली के चलते माफियाओं को भले ही दस फुट जमीन के अंदर गाडऩे की घोषणा शिवराज सिंह करते नजर आतेे हों लेकिन इस घोषणा की हकीकत यह है कि उनके प्रशासन में बैठे अधिकारी सत्ता के मुखिया की कार्यशैली के अनुरूप माफियाओं को खत्म करने की बजाये उन्हें बढ़ावा देने के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं ऐसी कई घटनाओं की चर्चा की जा सकती है लेकिन हाल ही में आबकारी विभाग की प्रमुख सचिव के द्वारा अपने विभाग के अधिकारियों पर भरोसा न करते हुए जिस प्रकार से अपने ही वर्ग के इन्दौर के आयुक्त के द्वारा धार जिले की दो शराब फैक्ट्रियों की जांच कराने में तत्परता दिखाई उससे यह लगने लगा था कि अब शराब माफियाओं पर अंकुश कसने की मंशा इस सरकार ने बना ली है लेकिन बाद में उन्हीं प्रमुख सचिव ने जिन आबकारी विभाग के अधिकारियों पर उन्हें भरोसा नहीं था उन्हीं विभाग के अधिकारियों के द्वारा आयुक्त द्वारा धार जिले की शराब फैक्ट्रियों की आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच कराने का आदेश जारी कर दिया, यही नहीं जांच के दौरान इंदौर कमिश्नर ने उक्त शराब की फैक्ट्री में पांच ट्रक शराब से लदे गुजरात जाने के लिये जब्त किये थे जिससे यह साबित हो गया था कि इंदौर के उन अवैध शराब कारोबारियों पर गुजरात में अवैध शराब के कारोबार करने का आरोप लगते थे, वह साबित हो गये। यही नहीं इस शराब फैक्ट्री से जिस आबकारी अधिकारी को हटाया गया अब उसी फैक्ट्री में धार जिले के एडीओ चतुर्वेदी इंदौर से गुजरात में अवैध शराब के कारोबारियों को बढ़ावा देते रहे अब उन्हें इसी शराब फैक्ट्री में पदस्थ करने के बाद यह साबित हो गया कि यह सरकार माफियाओं को खत्म करने की भले ही घोषणा करती हो लेकिन उसकी कथनी और करनी में अंतर यह है कि वह माफियाओं को बढ़ावा देने में भी हमेशा तत्पर रहती है।
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