नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव रिजल्ट में कांग्रेस पार्टी में एक शख्स का कद जबरदस्त मजबूत हुआ है। दरअसल, देश की सबसे पुरानी पार्टी के टॉप पोस्ट पर होने के लिए आपको परसेप्शन की लड़ाई जीतनी होती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए भी यही बात थी। कर्नाटक चुनाव जीत में भी खरगे के लिए चीजें बदलेंगी। यहां इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि10 साल तक देश के पीएम रहे मनमोहन सिंह को भी इस अवधारणा की लड़ाई का सामना करना पड़ा था। उन्हें तो कमजोर पीएम तक कहा गया, जिसपर गांधी परिवार का नियंत्रण है। ये तब था जब मनमोहन के नेतृत्व में पार्टी ने 2009 में दोबारा जीत हासिल की थी।
परसेप्शन की लड़ाई में हुए मजबूत
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी इससे अलग नहीं होंगे। पर कहते हैं न परसेप्शन की लड़ाई में खरगे ने कर्नाटक जीत के साथ अपनी छवि मजबूत तो जरूर कर ली है। जब से खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनपर गांधी परिवार के वर्चस्व का आरोप लगाती रही थी। भगवा दल आरोप लगाती थी खरगे केवल स्टांप हैं और आखिरी बात तो गांधी परिवार की मानी जाती है।
सोलीलादा सरदारा (Solillada Sardara) के नाम से मशहूर खरगे अजेय योद्धा माने जाते रहे हैं। उन्होंने एस एम कृष्णा, धरम सिंह और सिद्धारमैया को आगे बढ़ाया और अपना स्थान दिया। कर्नाटक चुनाव में खरगे पार्टी के सबसे आक्रामक चेहरे के रूप में सामने आए थे। पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए वो अपने उदार और दलित टैग का इस्तेमाल करते थे। जब उनके ‘जहरीले सांप’ बयान को बीजेपी ने मुद्दा बनाया तो उसे भी खरगे ने बड़ी चतुराई से जवाब दिया था
आलोचकों को दे दिया करारा जवाब
खरगे की हाजिरजवाबी और कर्नाटक में कांग्रेस जीत ने उनकी मजबूती पर मुहर लगा दी है। खरगे ने इस जीत के साथ ही अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया। उन्होंने इस जीत के साथ यह भी साफ कर दिया है कि वह अपने राज्य के आज भी सिकंदर हैं। बतौर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का यह पहला बड़ा चुनाव था और वे इसमें खरे उतरे हैं।