*चुनाव के दिन तक जारी रहेगा भाजपा का प्रचार*
हरनाम सिंह
लोकसभा चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपनी नीतियों को लेकर मतदाताओं के सामने हैं। प्रचार के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित आदर्श आचार संहिता का पालन करना सभी के लिए जरूरी होता है। बावजूद इसके जब सभी दलों का प्रचार अभियान बंद हो जाएगा तब भी भारतीय जनता पार्टी का प्रचार चुनाव के दिन तक जारी रहेगा। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी की नीतियों को प्रचारित करने वाली अनेक फिल्मों की कतार लगी हुई है। ऐसी ही फिल्मों में एक फिल्म “स्वातंत्र्य वीर सावरकर” भी है जो 22 मार्च को हिंदी और मराठी भाषा में प्रदर्शित हुई है।
*सरकार समर्थित फिल्में लाभ का सौदा*
फिल्म उद्योग में आनेक निर्माता- निर्देशकों ने अवसरवादी रुख अपनाते हुए कई ऐसी फिल्मों का निर्माण किया है जो गलत तथ्यों पर आधारित है, यही नहीं ये फिल्में सुनी- सुनाई प्रचलित अवधारणा के आधार पर देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगड़ने का काम करती है। सरकार समर्थित ऐसी कई फिल्मों को मनोरंजन कर से छूट मिलती है। भाजपा और सरकार इनका प्रचार करती है। नेता अपने खर्चे पर दर्शकों को थिएटर तक ले जाते हैं। इन फिल्मों का प्रचार केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्री करते हैं। एक फिल्म का प्रचार तो स्वयं प्रधानमंत्री ने भी किया है। लाभ की गारंटी की उम्मीद पर बहती गंगा में हाथ धोने के लिए इतिहास में दफन कई अर्ध सत्य, धारणाएं इतिहास की सच्ची घटनाएं बताकर दर्शकों को परोसी जा रही है।
*कश्मीर से केरल तक घृणा का व्यापार*
भाजपा, सरकार और संघ की नीतियों के अनुरूप ये फिल्में समाज में विद्वेष फैलाने, स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को नीचा दिखाने का काम कर रही है।
*द कश्मीर फाइल्स*
वर्ष 2022 में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर आधारित विवेक अग्निहोत्री की फिल्म “द कश्मीर फाइल्स” ने निर्माता को अकूत कमाई करने का अवसर दिया। इस फिल्म को देखकर देश में कई स्थानों पर सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ। फिल्म को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत में देश की बदनामी हुई। सिंगापुर ने इस फिल्म को इस आधार पर प्रदर्शित करने से इनकार कर दिया कि यह फिल्म धार्मिक सद्भाव के लिए घातक है। लेकिन भारत में सरकार को धार्मिक सद्भाव की जरूरत ही नहीं है। इसलिए उसने इसे प्रचारित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
*द वैक्सीन वार*
करोना काल में सरकार की असफलता पर पर्दा डालने के लिए
विवेक अग्निहोत्री ने “द वैक्सीन वार” फिल्म बनाकर स्वदेशी के नाम पर देशभक्ति परोसी थी। हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही।
*द केरला स्टोरी*
गत वर्ष अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर बदनाम करने वाली “द केरला स्टोरी” फिल्म प्रदर्शित हुई थी। विवादित इस फिल्म को भाजपा शासित राज्यों में कर मुक्त कर दिया गया, वहीं पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सरकारों ने अपने राज्यों में फिल्म प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
*मैं अटल हूं*
इस वर्ष जनवरी माह में पूर्व प्रधानमंत्री जनसंघ- भाजपा के नेता अटल बिहारी वाजपेई के जीवन पर आधारित “मै अटल हूं” फिल्म प्रदर्शित हुई थी। यह फिल्म भी दर्शकों के लिए तरस गई थी।
*बस्तर: द नक्सली स्टोरी*
विपुल शाह की इस फिल्म को भी प्रोपेगेंडा फिल्म बताया जा रहा है। आदिवासियों की समस्याओं को दरकिनार कर फिल्म के माध्यम से वामपंथियों को टारगेट किया गया है। फ्लॉप हो चुकी या फिल्म भी लोकसभा चुनाव के दरमियान भाजपा की मददगार बनेगी
*आर्टिकल- 370*
फिल्म के नाम से ही ज्ञात होता है कि यह फिल्म भाजपा की नीतियों का प्रचार है। कश्मीर से धारा 370 हटाना भाजपा का चुनावी वादा था। यह फिल्म भी चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाएगी।
संसदीय चुनाव प्रचार में भाजपा के लिए माहौल बनाने के लिए कई और फिल्में प्रदर्शित होगी।
*गोधरा और साबरमती रिपोर्ट*
यह दो फिल्में वर्ष 2002 में गुजरात में हुए नरसंहार की सच्चाई पर पर्दा डालने के उद्देश्य से बनाई गई है। सत्य घटना पर आधारित बताकर फिल्म गोधरा 1 मार्च को प्रदर्शित होना थी लेकिन सेंसर बोर्ड ने अनुमति नहीं दी है।
गोधरा से चली ट्रेन में लगी आग की कथित सच्चाई को उजागर करने का दावा करने वाली ऐसी ही दूसरी फिल्म *साबरमती रिपोर्ट* यह फिल्म भी प्रदर्शन के लिए तैयार है दोनों फिल्मों को चुनाव घोषणा का इंतजार है।
*जेएनयू*
दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) भाजपा और संघ परिवार के निशाने पर रहा है। इस विश्वविद्यालय की बौद्धिक क्षमता को चुनौती देने में असफल भाजपा और उसके नेता सांसद रवि किशन ने “जेएनयू – जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी” नाम से फिल्म बनाई है। फिल्म के लिए जारी प्रचार पोस्टर में कहा गया है “क्या एक यूनिवर्सिटी पढ़ाई के नाम पर देश को तोड़ सकती है” पोस्टर में एक तरफ हंसिया- हथोड़ा चिन्ह के साथ लाल सलाम का झंडा है, दूसरी तरफ जय श्रीराम के साथ भगवान ध्वज। फिल्म 5 अप्रैल को रिलीज होगी।
*रजाकार*
स्वतंत्रता मिलने के बाद भी हैदराबाद रियासत का भारत में विलय नहीं हो पाया था। इसी दौरान निजाम के सैनिक रजाकारों द्वारा विलय के समर्थकों पर किए गए अत्याचारों को फिल्म में दिखाया गया है। सच्ची घटनाओं पर आधारित होने के दावे के बावजूद फिल्म का टीजर सामने आते ही इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी है ।भाजपा नेता गुडुर नारायण रेड्डी द्वारा तेलुगु में निर्मित इस फिल्म पर आरोप है की फिल्म के माध्यम से सांप्रदायिक तनाव बढ़ाकर राजनीतिक लाभ लिया जाएगा। यह फिल्म भी चुनाव के दौरान ही रिलीज होगी।