अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

दूध में पानी या पानी में दूध?

Share

शशिकांत गुप्ते

जाँच की आँच में झुलसने वालें कहतें हैं, यह तो बदले की भावना है। स्वायत्त संस्थाओं का दुरुपयोग है। जाँच के समर्थक कहतें हैं जाँच होने दो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
अव्वल तो यह प्रश्न उपस्थित होता है कि, इनदिनों दूध भी खालिस मिलता है क्या?
ऐसी मान्यता है कि, पक्षियों में हंस नामक पक्षी में ही यह कुदरती गुण है कि,वह दूध में से पानी अलग कर सकता है। हंस के आहार के बारें में भी ऐसी मान्यता है कि, हंस हीरें और मोतीं का ही भक्षण करता है।
उक्त मान्यताओं को कलयुग में झुठला दिया है।
सन 1970 में प्रदर्शित फ़िल्म गोपी में गीतकार राजेद्रकृष्णजी ने एक गीत के माध्यम से उक्त मान्यता को एकदम उलट कर रख दिया है।
गीतकार राजेद्रकृष्णजी ने कलयुग के यथार्थ प्रकट करते हुए यह गीत लिखा है।
गीतकार ने कल्पना की है कि, कभी भगवान रामचन्द्रजी और सीताजी आपस में चर्चा कर रहें होंगे। सीताजी ने रामचन्द्रजी के समक्ष अपनी जिज्ञासा प्रकट की होगी कि, कलयुग में मानव का आचरण कैसा होगा? मानवीय सभ्यता की क्या गति होगी? संस्कार और संस्कृति की क्या स्थिति होगी? आदि आदि।
गीतकार ने उन्ही जिज्ञासाओं को गीत में स्पष्ट किया है।
हे रामचंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
हंस चुगेगा दाना दुन का
कौआ मोती खाएगा

एक विचारणीय मुद्दा है, जब कलयुग में हंस स्वयं ही अपने ओरिजलन आहार से वंचित होगा तो वह दूध में से पानी को क्या खाक अलग कर पाएगा?
इस संदर्भ में यह किस्सा प्रासंगिक है।
एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा अपने शहर में ईमानदार कितने और बेईमान कितने हैं? यह कैसे ज्ञात किया जा सकता है?
बीरबल ने कहा एक हौद निर्मित करतें हैं, और ऐलान करतें हैं कि, जो भी ईमानदार होगा वह इस हौद में एक लौट दूध डालेगा।
जब हौद भर जाएगा तब लौटे से दूध बाहर निकाल कर गिन लेंगे जितने लौटे दूध उतने ही ईमानदार हैं।
बादशाह की आज्ञा से हौद बनाया गया, जो ईमानदार थे उन्होंने दूध ही डाला और बहुत से स्वयं के हाथों की लकीरों पर अवलंबित रहने वाले,कोई हाथों में सफाई के लिए झाड़ू थामे,कोई खीचड़ फैलाने में विश्वास रखने वाले, कोई साइकल सवार कोई हाथी की सवारी करने वालें आदि आदि ने अपनी चतुराई का प्रदर्शन करते हुए एक एक लौटा पानी ही डाला।
जब हौद भर गया तब उसमें से लौटा भर कर निकालने के बाद दो राय बनी।
एक राय तो यह बनी कि, भले ही हौद में कुछ लोगों ने दूध की जगह पानी डाला होगा,इससे कम से कम हौद में भरे पानी का रंग दूधिया तो हो गया, यह राय विचार निश्चित ही किसी उदारमना की ही होगी।
दूसरी एकदम सियासी राय बनी है। जो दूध की जगह पानी डालने में निपुण हैं,वे वर्तमान सत्ता के साथ शरणागत हो जाएं तो शर्तिया दूध के धुले हो जाएंगे।
दूध में से पानी भले ही अलग न हो?
कलयुग के बारें में सीताजी की यह भी जिज्ञासा है?
सिया ने पूछा ‘भगवन!
कलयुग में धर्म – कर्म को
कोई नहीं मानेगा?
तो प्रभु बोले
धर्म भी होगा कर्म भी होगा
परंतु शर्म नहीं होगी
जिसके हाथ में होगी लाठी
भैंस वही ले जाएगा
जो होगा लोभी और भोगी
वो जोगी कहलाएगा

उपर्युक्त मुद्दों पर विचार करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि कलयुग में दूध में से पानी अलग होना असंभव है। अब तो दूध पर भी जी एस टी लग गई है। दूध में पानी की मात्रा ज्यादा बढ़ने की सम्भवना बढ गई है।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें