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मोबाइल बन चुका है बड़ा ‘टाइम खाऊ’ वजह

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सुंदर चंद ठाकुर

क्या आपको भी महसूस हो रहा है कि जीवन में अचानक समय बहुत कम हो गया है। क्या आप भी सुबह उठने के साथ-साथ समय की कमी के अहसास से भर जाते हैं और दिनभर समय को पकड़ने के लिए भागते ही रहते हैं। क्या आपको भी अपनी फिटनेस के लिए टाइम नहीं मिल पा रहा, आप भी अपने शौक पूरे नहीं कर पा रहे, आप पर भी ऑफिस के काम का बेहिसाब बोझ है, आप भी परिवार को समय नहीं दे पा रहे और एक अच्छी गहरी नींद के लिए तरस रहे हैं। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो हैरान न हों क्योंकि महानगरों में रहने वाले ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही हो रहा है बशर्ते कि कोई परम सत्य को न पा गया हो क्योंकि वहां पहुंचे किसी व्यक्ति को एक बित्ते से मोबाइल फोन में खुलती दुनिया आकर्षित नहीं कर सकती, बांध नहीं सकती। जबकि ज्यादातर लोगों के लिए मोबाइल एक बड़ा ‘टाइम खाऊ’ वजह बन चुका है। जिस तरह यह सुबह आंख खुलते-खुलते ही हाथों में आ जाता है और आपके साथ-साथ बैडरूम से निकलकर टॉयलेट, ड्राइंग रूम, किचन वगैरह होता हुआ डाइनिंग टेबल पर भी आपके साथ ही बैठता है और साथ घर से निकलकर रात नींद में आंख बंद होने तक आपके हाथ में बना रहता है, काफी समय तो यही आपका खा जाता है। जैसा कि सारी टीनऐज पीढ़ी जवाब देती है अगर यह मान लें कि आप मोबाइल पर ही अपने सारे काम करते हो, तो भी आप इस बात से इंकार नहीं करेंगे कि कम-कम करके भी यह आपके 3-4 घंटे खा जाता होगा।

अब अगर आपको यह बताया जाए कि भले ही नारायण मूर्ति ने भारतीयों के लिए काम के घंटे बढ़ाकर प्रतिदिन 11-12 घंटे करने की बात कही थी, पर दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो महज 3-4 घंटे का क्वॉलिटी काम करके ही बेहतरीन जीवन जी रहे हैं, तो आपके पैरों तले जमीन खिसक सकती है। जितने घंटे आप मोबाइल से खुद को एंटरटेन करने में खर्च करते हैं, उतने ही घंटे काम करके कोई आराम और ऐश्वर्य का जीवन कैसे जी सकता है। आपके दिमाग में सवाल उठना लाजिमी है। लेकिन वाकई ऐसे लोग हैं। उनका यह मानना है कि उन्होंने अध्यात्म की राह पर चलकर आपनी शारीरिक और मानसिक फिटनेस को इतना ऊंचा उठा दिया है कि अब वे अपने फोकस को जरा भी हिलने नहीं देते। न सिर्फ इतना, उनका तो यह भी मानना है कि कम काम करने से उनमें ऊर्जा का ऊंचा स्तर बना रहता है जिसके चलते वे सुपर क्रिएटिव काम कर पाते हैं और ऐसा करने की वजह से उन्हें दूसरों की तुलना में ज्यादा सफलता मिलती है और वे सफलता के एक पॉजिटिव चक्र में घूमते हुए ऊपर उठते चले जाते हैं।

जिन लोगों को यह बात थोड़ी अविश्चसनीय लग रही है, वे चाहें तो डेविड कदावी की किताब ‘माइंड मैनेजमेंट नॉट टाइम मैनेजमेंट’ पढ़ सकते हैं। इस किताब में भी उन्होंने अपनी कहानी बताई है कि किस तरह उन्होंने मल्टी टास्किंग की मार से बाहर निकलकर क्रिएटिव टास्किंग का स्वर्ग खोजा और अब कैसे वे वहीं मौज कर रहे हैं। आप भी अगर उस राह जाना चाहे हैं तो सबसे पहले तो अध्यात्म की राह सुनकर नाक-मुंह सिकोड़ना बंद करें। जी हां, क्योंकि अक्सर इस राह को लोग सांसारिक सफलताओं के खिलाफ मानकर चलते हैं लेकिन सचाई यह है कि अध्यात्म आपको फालतू चीजों से निकालकर आपके फोकस को बढ़ाता है। कभी मौका मिले तो स्टीफन कोवी की किताब ‘सेवन स्प्रिचुअल लॉज ऑफ सक्सेस’ पढ़िएगा और लगे हाथ जय शेट्टी की किताब ‘थिंक लाइक अ मोंक’ पर भी नजर मार लीजिएगा। जय शेट्टी की कमाई पर भी गौर किया जा सकता है। वे अपने पॉडकास्ट, किताबों आदि से लगभग 56 करोड़ रुपये कमा लेते हैं। इसलिए समय नहीं है का रोना बंद करें और ध्यान, प्राणायाम के अभ्यास अपना मानसिक फोकस बढ़ाएं और खूब रेस्ट करें ताकि आपमें हमेशा एनर्जी बनी रहे जिसका उपयोग आप ज्यादा क्रिएटिव काम करने में करो जो बदले में आपको त्वरित सफलता दे।

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