मुनेश त्यागी
गरीबी मुमकिन है,
महंगाई मुमकिन है
भ्रष्ट आचार मुमकिन है,
बेरोजगारी मुमकिन है,
पेंशन छीनना मुमकिन है,
शिक्षा में कटौती मुमकिन है,
हिंदू मुस्लिम झगड़े मुमकिन हैं,
किसानों पर हमले मुमकिन हैं,
नफरत की राजनीति मुमकिन है,
पूंजीपतियों द्वारा लूट मुमकिन है,
“इंडिया ऑन सेल” मुमकिन है मुमकिन है,
सरकारी संस्थाओं की गुलामी मुमकिन है।
जनता पर और ज्यादा टैक्स लगने मुमकिन हैं,
मजदूरों को आधुनिक गुलाम बनाना मुमकिन है।