अग्नि आलोक
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मेरा मुर्शिद

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मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के गम ले आओ
उन गमों को
मेरे मुर्शद की एक मुस्कुराहट से
घायल कर जाओ।

मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के दर्द भरे अश्क़ ले आओ
उन अश्कों को
मेरे मुर्शद की एक निगाह से
कायल कर जाओ।

मेरी महफिल में अगर
तुम आओ तो
सारे शहर के जख़्म ले आओ
उन जख्मों को
मेरे मुर्शद के एक नाम से
भरकर चले जाओ।

डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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