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सोशल मीडिया में बोलने की आजादी और जनहित के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत

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सोशल मीडिया के इस्तेमाल में बोलने की आजादी और जनहित के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। हमारे समाज के सामाजिक ताने-बाने के पुनर्निर्माण के लिए समुदायों और व्यक्तियों के बीच सामाजिक संपर्क को पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता है। जैसा कि आप जानते हैं कि हर चीज के अपने फायदे और नुकसान होते हैं

प्रियंका सौरभ

हाल के दिनों में सोशल मीडिया जनमत और प्रचलित सामाजिक विमर्श को प्रभावित करने का एक शक्तिशाली साधन बन गया है। कम कीमत, व्यापक व आसान पहुंच और स्मार्टफोन की उपलब्धता के कारण सोशल मीडिया अलग ताकत बनकर उभरा है। सोशल मीडिया ने एक दोधारी तलवार की तरह काम किया है, जहां इसने एक तरफ लोकतांत्रिक भागीदारी के रास्ते को चौड़ा किया है, वहीं समाज में नफरत और हिंसा के प्रसार के बारे में चिंताओं को जन्म दिया है। सोशल मीडिया आज हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है तथा अपनी भूमिका निभाते हुए यह समाज और व्यक्तियों पर अत्यधिक प्रभाव डालता है। 21वीं सदी की पीढ़ी के लिए यह जीवन जीने का एक नया तरीका बन गया है। तो एक समय था जब लोग एक-दूसरे से व्यक्तिगत रूप से मिलते और बात करते थे। लोग अपना ज्यादातर समय परिवार के सदस्यों के साथ बिताते थे और लोग उनके रिश्ते को भी महत्व देते थे, इसलिए पहले की पीढ़ियों के साथ यही स्थिति थी। लेकिन आज सब कुछ बदल गया है, लोग अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं और अब आप अपने जीवन में मिलने वाले लोगों से दूर रहकर भी आसानी से जुड़े रह सकते हैं और आप उनके जीवन के बारे में भी अपडेट प्राप्त कर सकते हैं और जान सकते हैं कि वे क्या हैं? वे जीवन में क्या कर रहे हैं? इसी तरह सोशल मीडिया ने समाज के पूरे ढांचे को बदल दिया है।म सब जानते हैं कि दिन-रात में चौबीस घंटे होते हैं, और यही घंटे हर इंसान के लिए होते हैं। इन्हीं घंटों का इस्तेमाल हर व्यक्ति करता है। फर्क बस इतना है कि इन घंटों का सही इस्तेमाल करने वालों के पास नतीजे कुछ और निकलते हैं। जो इन घंटों का इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पाते उनके लिए भविष्य में परिणाम सुख देने वाला नहीं होता। अब आप सोच रहे होंगे कि इंटरनेट और समय के इस हिसाब का आपस में क्या संबंध है? तो इसे ऐसे समझिए कि जिस इंटरनेट के जरिए हम समय बचाने का दंभ भरते हैं, वही इंटरनेट आपके जीवन के समय का बहुत बड़ा हिस्सा ले रहा है। अब यहीं पर यह समझना जरूरी है कि जो समय आप इंटरनेट पर बिता रहे हैं, उसमें से कितना समय आप सही इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले एक दशक में भारत के गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा बढ़ा है। ऐसा नहीं कि यह इस्तेमाल पूरी तरह से खराब और गलत हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि उसका किस हद तक इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

सोशल मीडिया ने उत्पीड़ित, हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज देकर और व्यापक दर्शकों के साथ उनके दृष्टिकोण को साझा करके सार्वजनिक स्थान का लोकतंत्रीकरण किया है। सोशल मीडिया ने खोजी पत्रकारिता, पर्यावरण, प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक केंद्रित पत्रकारिता जैसे नए क्षेत्रों में सूचनाओं के तेजी से प्रसार को सक्षम बनाया है। राजनेताओं और सरकारों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग उनकी पहल के लिए समर्थन जुटाने और बहस, विज्ञापन व सामाजिक अभियानों के माध्यम से उनके समर्थन को व्यापक बनाने के लिए किया गया है। सोशल मीडिया उपयोगकर्ता की प्राथमिकताओं को एकत्र करता है और उनका उपयोग उस सामग्री को वैयक्तिकृत करने के लिए करता है जहां व्यक्तियों को एक ही प्रकार की सामग्री से अवगत कराया जाता है, जो मौजूदा विश्वासों को मजबूत करने और राय के ध्रुवीकरण में योगदान देता है। नफरत और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए सोशल मीडिया को कैसे विनियमित किया जा सकता है? घृणास्पद भाषण और हिंसा को विनियमित करने के लिए सरकार, नागरिक समाज और सामाजिक के बीच प्रभावी प्रवर्तन तंत्र और सक्रिय सहयोग के साथ स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की तत्काल आवश्यकता है।

सोशल मीडिया के इस्तेमाल में बोलने की आजादी और जनहित के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। हमारे समाज के सामाजिक ताने-बाने के पुनर्निर्माण के लिए समुदायों और व्यक्तियों के बीच सामाजिक संपर्क को पुनर्जीवित करने की तत्काल आवश्यकता है। जैसा कि आप जानते हैं कि हर चीज के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। यहां तक कि सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलू भी हैं। सबसे पहले इसमें आपका बहुत समय लगता है। आप अंततः अपने परिवार के सदस्यों के बजाय सोशल मीडिया पर अधिक समय व्यतीत करते हैं और दूसरी बात यह है कि इसने पीछा करने, ट्रोलिंग जैसे बहुत सारे उपद्रवों को भी आमंत्रित किया है जो वास्तव में आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और लोगों के जीवन को भी वास्तव में खराब कर सकता है। इसलिए आपको सामाजिक उपयोग करना होगा मीडिया को बहुत सावधानी से उपयोग करें और सोशल मीडिया का उपयोग करते समय आपको बहुत सुरक्षित रहने की भी आवश्यकता है।

प्रियंका सौरभ कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं

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