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झूठ और फरेब की बुनियाद पर खड़ा नया भारत

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गिरीश मालवीय

जुलाई 2017 में नीति आयोग की मीटिंग में देश के सभी मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने (प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी) कहा था कि ‘2022 का नया भारत जनता का संकल्प’ है. यानी यह वादा किया गया था कि 2022 तक नया भारत ‘न्यू इंडिया’ बनाना है.

2022 शुरू होने में महज 17 दिन बचे हैं. अपने आसपास जरा नजर दौड़ा कर देखिए, आपको क्या बदलता हुआ नजर आता है ? कौन-सा ‘न्यू इंडिया’ आपको नजर आ रहा है ?

इस आलेख के साथ जो आपको कोलाज नजर आ रहा है, यह उन खबरों की हेडलाइन से बना है जिनके वादे मोदी जी ने देश की जनता से किये थे. हालांकि यह वादे 2019 के लिए किए गए थे लेकिन बेहद खूबसूरती के साथ इन वादों को पूरा करने का लक्ष्य 2022 कर दिया गया. जैसे,

2017 में प्रधानमंत्री द्वारा यह वादा किया गया कि ‘2022 तक हिंदुस्तान के हर परिवार के पास अपना पक्का घर होगा. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 3 करोड़ और शहरी क्षेत्र में 1 करोड़ घरों के निर्माण का संकल्प लिया गया है.’ क्या 4 करोड़ पक्के मकान बन गए हैं ?

नरेंद्र मोदी ने सबके लिए 24 घंटे लगातार बिजली देने का लक्ष्य भी 2022 ही रखा था, क्या सभी देशवासियों के घरों में 24 घण्टे सातों दिन बिजली आ रही है ?

मई 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले, मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी आखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान बनाने का ऐलान किया था. उससे पहले 2014 से 2018 के बीच के चार सालों में 14 एम्स बनाने की घोषणा की गई थी. 2018 से 2022 के बीच मोदी जी द्वारा घोषित कितने एम्स चालू हो गए हैं ?

नरेंद्र मोदी ने 28 फरवरी, 2016 को उत्तर प्रदेश के बरेली में एक किसान रैली को संबोधित करते हुए आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि आने वाले 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तो किसानों की आय दोगुनी हो चुकी होगी. हम देख रहे हैं कि ‘आय’ तो दुगुनी हुई नहीं बल्कि हाय दुगुनी हो गयी.

2015 में किये गए नरेंद्र मोदी के वादे के अनुसार 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बन जाने थे. कितने स्मार्ट सिटी बने हैं ? नमामि गंगे में गंगा कितनी साफ हुई है ? मेक इन इंडिया के तहत कितने कारखाने लगे हैं जरा गूगल कर के बताइये ?

जब गूगल करेंगे तो आपको पता चलेगा कि 2014 के बाद से अब तक लगभग 10 हजार विदेशी कम्पनियों ने अपना कामकाज भारत से समेट लिया है.देश की पहली बुलेट ट्रेन 2022 तो छोड़िए 2026 तक भी चल जाए तो बड़ी बात मानिएगा !

जुलाई 2017 में नीति आयोग की मीटिंग में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से यह भी कहा था 2022 का ‘न्यू इंडिया’ भारत की आशाओं और आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है और इसको पूरा करने की ज़िम्मेदारी उनकी है जो सत्ता में हैं. क्या प्रधानमंत्री 2022 में अपनी असफलता को स्वीकार करेंगे ?

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