अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

शिवरात्रि: शिव परिवार में तो बस सौहाद्र और प्रेम का भाव ही परिलक्षित होता है

Share

डॉ. रीना रवि मालपानी

महाशिवरात्रि पर हम शिवशक्ति की आराधना करते है। गृहस्थ जनों के लिए शिव परिवार एक आदर्श रूप है। शिवशक्ति के विवाह में शिव ने पार्वती की अनेकों रूप में परीक्षा ली, परन्तु माँ ने अपनी अटूट श्रृद्धा और निष्ठा शिव के प्रति न्यून न होने दी। माँ ने शिव के सच्चे स्वरुप को पहचान लिया और उनके प्रति समर्पित हो गई। गृहस्थ जीवन की श्रेष्ठता तो शिव-पार्वती की शक्ति को समझने में निहित है। शिव परिवार तो एक अनुकरणीय परिवार है, जो कार्तिक और गणेश जैसे पुत्रों से सुशोभित है। यदि आप शिव परिवार का सूक्ष्म विश्लेषण करेंगे तो देखेंगे कि शिव का वाहन नन्दी बैल, माता का वाहन सिंह, एकदन्त गजानन का वाहन मूषक और कार्तिकेय का वाहन मयूर, शिव के गले में सर्प विद्यमान है। सर्प, चूहा, मोर यह सब जातिगत दृष्टि से परम शत्रु की श्रेणी में आते है, वहीं सिंह और बैल भी उसी श्रेणी में आते है। पर शिव परिवार में तो बस सौहाद्र और प्रेम का भाव ही परिलक्षित होता है।


उमापति की एक अनूठी विशेषता यह भी है कि वह सभी को समान दृष्टि से देखते है। उनकी आराधना चाहे देव करें या दानव, भूत या गन्धर्व, भोलेनाथ सभी पर प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते है। भगवान शिव का विवाह तो सभी युवा वर्ग के लिए शिक्षा का प्रेरक प्रसंग है। शिवशंकर अपने विवाह में सादगी और सच्चाई से गए। उन्होंने कोई झूठी शान और आडम्बर प्रस्तुत नहीं किया। उन्होंने सभी को अपनी बारात में समान सम्मान दिया। देवता, भूत-प्रेत, यक्ष, गन्धर्व इत्यादि सभी को अपनी बारात में सम्मिलित किया।
शिव सदैव सादगी प्रिय और उच्च विचार रखते है। महादेव की संज्ञा प्राप्त करने वाले शिव शम्भू कोई राजमुकुट धारण नहीं करते है। कोई कीमती वस्त्र एवं बहुमूल्य आभूषण उनकी शोभा नहीं बढ़ाते है। वे सर्प की माला और बाघम्भर धारण करते है, पर यह सारे नियम परिवार के लिए नहीं है। वे माता और पुत्रों को मूल्यवान वस्त्र एवं आभूषण धारण करवाते है। नीलकंठ होने के कारण स्वयं आक, धतूरा, बिल्वपत्र, जल एवं दूध स्वीकार करते है परन्तु पुत्र को मोदक खिलाते है। परिवार के मुखिया होने के कारण वे सबकी खुशियों का ध्यान रखते है एवं कभी-कभी शमशान में निवास कर गृहस्थ संत बनने का सन्देश भी देते है। शिव की जटाओं में गंगा और मस्तक पर चन्द्रमा विराजमान है और गले में विष है, जो यह समझाते है कि विष पीकर भी जीवन में शांत रहना चाहिए और अपना मानसिक संतुलन बनाए रखना चाहिए। शांतिपूर्वक हम किसी भी समस्या का समाधान सही तरीके से कर सकते है यह शिक्षा हमें शिव देते है।
शिव की सरलता अपने भक्तों के लिए तो अनूठी है। उनके पूजन के लिए किसी प्रतिमा और मूर्ति की आवश्यकता नहीं है। यदि आपके पास कोई संसाधन नहीं है तो आप मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसका भी जल से अभिषेक कर सकते है और वह भी न कर पाए तो मात्र अंगूठे को ही लिंग स्वरुप मानकर शिव का ध्यान एवं पूजन अर्चन कर ले। शिव मानस पूजा में तो मन से की गई पूजा को भी शिव स्वीकार करते है।
आशुतोष को अतिशीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है और शिवरात्रि तो इसके लिए श्रेष्ठ दिन है। महाशिवरात्रि पर हम भी भक्ति की अविरल धारा को शिवशक्ति से प्राप्त कर अपने जीवन को नवीन दिशा प्रदान कर सकते है। तो आइयें हम इस शिवरात्रि शिवशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन में नवीन आशा, उमंग, उत्साह एवं नवीन आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करें। शिवशक्ति की सत्ता तो जीवन की पूर्णता को दर्शाती है, साथ ही शिवशक्ति का अर्द्धनारीश्वर स्वरुप जीवन में पुरुष और स्त्री के समान महत्त्व को उजागर करता है। शिवशक्ति का अनुसरण कर जीवन में हम आनंद और ज्ञान की धारा भी प्रवाहित कर सकते है। कभी भी जीवन में शुष्कता न आने दे, अर्थात आनंद को समाप्त न होने दे, क्योंकि शिव तो सदैव आनंद स्वरुप में ही विद्यमान रहते है।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें