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‘पाकिस्तान-मूल’  के ऋषि सुनक को भारत के हिंदुत्ववादियों द्वारा अपनाने पर

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 पी जे जेम्स

ऋषि सुनक,  ब्रिटेन के नए  प्रधानमंत्री बने हैं। इनका जन्म 12 मई 1980 को साउथेम्प्टन, यूके में अफ्रीकी मूल के माता-पिता के यहाँ हुआ था। वे जन्म से एक ब्रिटिश नागरिक हैं।  जबकि भारत में भगवा गिरोह,

सुनक द्वारा  भगवद गीता के आधार पर लिए   शपथ के साथ उनके भारतीय वंश का पता लगाकर उन पर दावा ठोक रहे हैं।लेकिन उपलब्ध रिकॉर्ड इस दावे की पुष्टि नहीं करते हैं।  क्योंकि, ऋषि सुनक के दादा-दादी का जन्म आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक शहर  गुजरांवाला में हुआ था, जहां से वे 1930 के दशक में नैरोबी चले गए थे।  दूसरी ओर, उनके नाना तांगानिका, आधुनिक तंजानिया से थे।  सुनक के पिता का जन्म 1949 में नैरोबी में और माता का जन्म तंजानिया में हुआ था।   दोनों के परिवार 1960 के दशक में इंग्लैंड आ गए थे।  इसलिए, भारतीय मूल के सुनक के हिंदुत्व के दावों के विपरीत, उनकी पुश्तैनी जड़ें पूरी तरह से अफ्रीका और आंशिक रूप से आधुनिक पाकिस्तान से संबंधित हैं।

 जाहिर है, सुनक के हिंदुत्व  पर अपना दावा ठोकना आरएसएस के प्रतिक्रियावादी “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद” के अनुरूप है, जिसके अनुसार धर्म को राष्ट्रीयता और नागरिकता का मानदंड होना चाहिए और यह इस रूढ़िवादी पूर्वानुमान पर आधारित है जो बुर्जुआ लोकतंत्र और  जागरण

 और आधुनिकता’  के  मूल आदर्शों  के भी खिलाफ है।  दूसरी ओर, ब्रिटेन में बढ़ते अप्रवासी नव-नाजी प्रवृत्तियों के बावजूद, ब्रिटिश प्रधान मंत्री के रूप में सुनक की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि अब भी सर्वोच्च पद सभी धर्मों और जातीय पृष्ठभूमि के लोगों के लिए खुला हो सकता है।  इस संदर्भ में, आम चुनाव के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्यक्ष अफ्रीकी मूल के ओबामा का उदय, सुनक की तुलना में तुलनात्मक रूप से एक सराहनीय उदाहरण था।  बेशक, उन्हें ब्रिटेन के पहले गैर-श्वेत पीएम के रूप में माना जा सकता है।

 साथ ही, सुनक पर संघी फासिस्ट ताकतों का दावा पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट पूंजी के आगे उनकी लार टपकाने वाली दासता के अनुरूप है।  क्योंकि, सनक पूरी तरह से कॉर्पोरेट समर्थक, धुरदक्षिणपंथी नवउदारवादी और एक प्रतिबद्ध ब्रेक्सिटियर हैं। जिनकी बोरिस जॉनसन के नेतृत्व के  तहत राजकोष के चांसलर के रूप में नीतियां आज ब्रिटेन के अभूतपूर्व राजनीतिक-आर्थिक संकट के लिए भी जिम्मेदार हैं, जिसने 2 महीने के भीतर 3 प्रधानमंत्रियों  को सत्तासीन किया । प्रो-ब्रेक्सिट नीतियों और झूठे वादों सहित  कॉर्पोरेट परस्त नीतियों, प्रो-कॉरपोरेट टैक्स-कटौती के परिणामस्वरूप 15 वर्षों में ब्रिटिश उत्पादकता में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे बेरोजगारी  भयावह स्तर पर पहुंच गई है, बढ़ती मुद्रास्फीति, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा का लाभ जनता को ठीक तरह से न मिलनाऔर   लिज़ ट्रस का  नवीनतम विफल मिनी बजट जिसने अति अमीरों को 45 बिलियन पाउंड (₹ 4.21 लाख करोड़) की कर छूट प्रदान की, जिससे बाजारों में गहरी हलचल हुई, जिसके लिए कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में सुनक भी जवाबदेह हैं।

 जाहिर है, सनक के पास   6850 करोड़ रुपए की संपत्ति  है, वे ब्रिटिश इतिहास के सबसे धनी प्रधानमंत्री हैं जो उन्हें भारतीय नव-फासीवादियों के लिए भी पूजनीय बनाते हैं।  उनका विवाह इंफोसिस के संस्थापक भारतीय अरबपति नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता से हुआ है, जो इस आत्मीयता के लिए एक अतिरिक्त कारक है।  सच कहें तो सुनक के ब्रिटिश पीएम बनने पर भारतीयों को गर्व महसूस करने की कोई बात नहीं है, बल्कि वह कॉरपोरेट-नव फासीवादी वैश्विक शासक वर्गों की उस श्रेणी से संबंधित है, जो दुनिया भर में मजदूर वर्ग और सभी उत्पीड़ितों के घातक दुश्मन हैं।

 पी जे जेम्स

महासचिव

भाकपा( माले) रेड स्टार

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