मुनेश त्यागी
असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी, राहुल गांधी द्वारा ओबीसी का अपमान करने का राग अलाप रही है। अभी-अभी खबर मिली है कि देश को धोखा देकर, हजारों हजारों करोड़ रुपए लेकर भागे कई लोग जो मोदी हैं, वे ओबीसी नहीं हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर मोदी सरकार ने, बीजेपी ने और तमाम हिंदुत्ववादी शक्तियों ने पिछले 10 सालों में सत्ता में रहते हुए ओबीसी के लिए क्या कार्य किया है?
क्या सरकार बताएगी कि सुप्रीम कोर्ट में कितने ओबीसी जज है? हाई कोर्ट में कितने ओबीसी जज हैं? जिला अदालतों में कितने ओबीसी जज हैं? क्या सरकार यहां बताएगी कि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों में कितने ओबीसी बाबू और क्लर्क हैं? कितने ओबीसी सरकारी वकील नियुक्त किए गए हैं?
शिक्षा के क्षेत्र में क्या सरकार बताएगी कि पिछले 10 सालों में कितने ओबीसी प्रोफेसर नियुक्त किए गए हैं? कितने ओबीसी शिक्षक नियुक्त किए गए हैं? कितने ओबीसी इंटर कॉलेज और हाईस्कूल में नियुक्त किए गए हैं? कितने बाबू और दूसरे कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं?
यही हाल स्वास्थ्य का है। क्या सरकार बताएगी कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कितने ओबीसी डॉ नियुक्त किए गए हैं? कितने ओबीसी डॉक्टर बनने की प्रक्रिया में है? कितनी स्टाफ नर्स नियुक्ति गई हैं? कितने ओबीसी बाबू अस्पतालों में नियुक्त किए गए हैं?
क्या बीजेपी बताएगी कि उसने ओबीसी के विकास के लिए आईएएस, आईपीएस और आई एफ एस में कितने लोगों की नियुक्तियां कराई हैं? कितने लोगों को आरक्षण देकर रोजगार दिया है? कितने लोगों को मुफ्त में ट्यूशन कराए हैं? कितने लोगों की फीस माफ की है? कितने ओबीसी को स्वास्थ्य लाभ मोहिया कराये गये हैं? उसके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। वह ऐसा कभी नहीं करेगी, क्योंकि उन्होंने ओबीसी के विकास के लिए कुछ किया ही नहीं है।
देश की कई राज्य सरकारें ओबीसी और जाति गणना, जाति जनगणना को लेकर हरकत में आई हुई हैं तो आखिर बीजेपी अपने शासित राज्यों में जातिगत गणना क्यों नहीं करवा रही है? वह क्यों नहीं बता रही है कि उसके द्वारा शासित राज्यों में कितने ओबीसी बच्चों को रोजगार दिया गया है? कितने ओबीसी बच्चों को लोन दिया गया है? कितने ओबीसी बच्चों को शिक्षा ऋण दिया गया है? कितने ओबीसी बच्चों को बैंक लोन देकर अपने निजी व्यापार खोलने में मदद की गई है?
बीजेपी के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे वह यह दिखा सके कि उसने ओबीसी जातियों के लिए फलां फलां काम किया है। अब सिर्फ बुनियादी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए, जनतंत्र पर किए जा रहे हमलों से ध्यान हटाने के लिए, जनता की आजादी का गला घोटने के अभियान से ध्यान हटाने के लिए, जनता की बेरोजगारी, शिक्षा, भ्रष्टाचार, महंगाई से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी और सारे हिंदुत्ववादी संगठन अब ओबीसी का राग अलाप रहे हैं। हम पूरे विश्वास के साथ क्या सकते हैं कि बीजेपी ने ओबीसी की लिए कुछ नहीं किया है। उसने ओबीसी को सिर्फ वोट बैंक में तब्दील करके रख दिया है और अब वह ओबीसी के लोगों को गुमराह करके, इस वोट बैंक को भुनाने की असफल कोशिश कर रही है।
ये ताकतें जो अब ओबीसी की बदनामी और मानहानि का राग अलाप रही हैं, ये सब वही हैं जो 1990 के दशक में ओबीसी को दिए गए हक और अधिकारों का विरोध कर रही थीं, उनके आरक्षण का विरोध कर रही थीं, उनको शिक्षा स्वास्थ्य और दूसरे क्षेत्रों में किए गए विकास का विरोध कर रही थीं और इन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के विरोध में, कमंडल अभियान शुरू किया था और जनता का ध्यान मंडल की सिफारिशों से हटाकर कमंडल अभियान की ओर मोड़ दिया था।
आजादी के इतिहास में भाजपा 15 साल सत्ता में रही है। पांच साल बाजपेई सरकार और दस साल मोदी सरकार सत्ता में है। क्या बीजेपी और हिंदुत्ववादी ताकतें यह बताने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने इन पंद्रह सालों में बीजेपी ने ओबीसी के लिए क्या किया है? उनकी शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार के लिए क्या किया है? क्या उनका आरक्षण उन्हें दिया गया है? क्या उन्हें नौकरियों में तरजीह दी गई है? क्या उनके लिए पर्याप्त शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बैंक लोन का इंतजाम किया गया है? हम चाहेंगे कि जिस प्रकार ये ताकतें ओबीसी को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं, वे देश की जनता के सामने वे तमाम आंकड़े पेश करें, कि उन्होंने ओबीसी के लिए यह यह काम किया है।