डॉ. प्रिया
यूटेराइन कैंसर को एंड्रोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है। यह पूरे विश्व की महिलाओं को प्रभावित करता है। यह कैंसर आम तौर से मेनोपॉज़ पूरा कर चुकी महिलाओं में देखने को मिलता है। यद्यपि यह कैंसर वृद्ध महिलाओं को होता है, लेकिन आजकल युवा महिलाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं।
इसके लक्षणों में से एक है मूत्रत्याग करते वक्त या/और सेक्स के दौरान होने वाला दर्द, जिसे अक्सर नजरंदाज कर दिया जाता है.
यूटेराइन कैंसर के कारण :
1. उम्र :
यह ज्यादातर 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को होता है।
- हार्मोन का असंतुलन :
प्रोजेस्टेरोन के बिना एस्ट्रोजन का स्तर ज्यादा होने से एंडोमेट्रियल हाईपरप्लेसिया हो सकता है, जो कैंसर से पूर्व की अवस्था है।
3.मोटापा :
शरीर में अत्यधिक फैट के कारण एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। - परिवार में इतिहासः परिवार में यूटेराईन या कोलोन कैंसर का इतिहास इसके जोखिम को बढ़ा देता है।
- जीवनशैलीः
शारीरिक गतिविधि की कमी और अस्वस्थ आहार भी जोखिम को बढ़ाता है।
पेशाब/ सेक्स के समय दर्द सबसे कॉमन संकेत :
मूत्रत्याग और सेक्स के दौरान दर्द अक्सर मूत्रनली के संक्रमण (UTI) या अन्य छोटी समस्याओं के कारण भी होता है। यह यूटेराइन कैंसर का संकेत भी होता है। यह दर्द ट्यूमर की वजह से ब्लैडर पर दबाव पड़ने के कारण या फिर कैंसर प्रभावित कोशिकाएं मूत्र प्रणाली में फैल जाने के कारण हो सकता है।
यूटेराइन कैंसर के अन्य लक्षण हैं :
~योनि से होने वाला रक्तस्राव
~पेल्विक हिस्से में दर्द
~यौन क्रिया के दौरान दर्द और खिंचाव महसूस होना
~अचानक वजन घटना
युवा महिलाओं में भी बढ़ रहे हैं यूटेराइन कैंसर के मामले :
पहले यूटेराइन कैंसर वृद्ध महिलाओं को होता था। लेकिन वर्तमान में युवा, खासकर 30 से 40 साल की महिलाओं में भी यह बढ़ रहा है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय महिलाओं में यूटेराईन कैंसर के ज्यादा मामले सामने आए।
महिलाओं के कैंसर में 4 प्रतिशत मामले यूटेराईन कैंसर के थे, जिससे पीड़ित युवा महिलाओं की संख्या बढ़ी। इसके मुख्य कारणों में मोटापा और जीवनशैली हैं।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यूटेराइन कैंसर शुरू होते ही पकड़ में आ जाने से इलाज के परिणाम बेहतर हो जाते हैं। इसलिए लक्षणों को पहचानना और तुरंत मेडिकल परामर्श लेना बहुत आवश्यक होता है।
निम्नलिखित लक्षण प्रकट होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए-
~मूत्रत्याग/सेक्स करते वक्त लगातार दर्द होना
~योनि से असामान्य रूप से रक्तस्राव होना
~पेल्विस में दर्द बने रहना
~योनि से स्राव निकलना
~मूत्रत्याग समय में परिवर्तन।
कैसे किया जाता है इसका निदान?
लक्षण प्रकट होने पर डॉक्टर द्वारा निम्नलिखित परीक्षण कराए जा सकते हैं-
- पेल्विस का परीक्षण :
यह परीक्षण गर्भ या अन्य प्रजनन अंगों में किसी भी विकार को महसूस करने के लिए किया जाता है।
2.ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड :
यह परीक्षण चित्रों द्वारा एंडोमेट्रियम की मोटाई देखने के लिए किया जाता है। - एंडोमेट्रियल बायोप्सी :
इसमें गर्भाशय की लाईनिंग से एक नमूना लेकर उसका पैथोलॉजिकल परीक्षण किया जाता है। - हिस्टेरोस्कोपी :
इसमें सीधे गर्भाशय के अंदर देखा जाता है।
रोकथाम के उपाय और जागरुकता:
यूटेराइन कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने, खासकर युवा महिलाओं के लिए जागरुकता और समय पर इलाज आवश्यक हैं। इसकी रोकथाम के कुछ उपाय हैं-
~नियमित जांच
~पेल्विस की वार्षिक जांच और पैप स्मियर
~परिवार में कैंसर का इतिहास रहने पर जेनेटिक काउंसलिंग और टेस्टिंग आवश्यक है।
~हार्मोन का स्तर नियंत्रित रखें।
अगर मेनोपॉज़ के लक्षणों के दौरान जरूरत पड़े, तो अपने डॉक्टर से हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) लें। प्रोजेस्टेरोन के बिना एस्ट्रोजन से यूटेराईन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियां लंबे समय तक लेने से एंड्रोमेट्रियल कैंसर का जोखिम कम हो सकता है , क्योंकि वो हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करती हैं।
जीवनशैली में सुधार :
पोषक आहार और नियमित व्यायाम द्वारा वजन को नियंत्रण में रखें।
रिलैक्सेशन की तकनीकों और अभ्यास द्वारा तनाव को नियंत्रित करें।
धूम्रपान न करें और मदिरा सेवन में संयम रखें।
चलते-चलते :
भारत में खासकर युवा महिलाओं में यूटेराइन कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके बारे में जागरुकता, समय पर निदान एवं प्रभावी प्रबंधन बहुत आवश्यक हो गए हैं।
लक्षणों को समय पर पहचानने और सही मेडिकल इलाज द्वारा इससे बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का मुख्य फोकस महिलाओं को इस समस्या के जोखिमों और लक्षणों के बारे में शिक्षित करने और जोखिमों को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने पर विचार होना चाहिए।
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