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पेरेंटिंग : क्या आप अपनी संतान से दुःखी हैं?

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डॉ. विकास मानव

   आज एक हायर एजुकेटेड, ऑफिसर पिता मेरे पास आये थे. आउट ऑफ़ स्टेट यूनिवर्सिटी के पास पीजी में रहकर अपने इंजिनियरिंग कर रहे पुत्र से वे बेहद अपसेट थे. उसके साथ उसका सेवारत बड़ा भाई भी अपने मित्र के साथ सिफ्ट हो गया है उसको मेंटेन करने के लिए. फिर भी उसकी मेंटल सेचुएशन नहीं सुधर रही. पुत्र किस स्थति में है : हमारे जबाब से आप अंदाजा लगा सकेंगे.
 मैंने उनसे कहा की मैं आपकी ओर से उसे एक लेटर लिख रहा हूँ. अपनी id से उसे भेजो. अगर पॉजिटिव जबाब नहीं आता है, तो मै आपके साथ उसके पास चलूँगा. बेटे का जबाब आया. वह सबकुछ समझ गया. और आज से ही खुद का सुधार करने में लग गया है.
_आपकी संतान भी घर से बाहर रहती होगी. अगर कभी उसमें ऐसे सिम्पटम्स नजर आएं तो आप उनको समझा सकते हैं._

मेरे जूनियर !
इस बार यहाँ से जाने से पहले तुम्हारा इमोशन हमारे प्रति दिखा था. याद है तुमको? हमें हक़ करके, यह कहकर तुम रो रहे थे : “आप मेरे लिए लिए इतना कुछ कर रहे हैं. थैंक्स मम्मी-पापा.”
हमें गर्व हुआ था की, हमारा बच्चा कितना समझदार है. हमें समझता है.

लेकिन ~
तुम्हारी मेंटल सेहत चौपट हो रही है. उसके कारण फिजिकल सेहत भी मिट्टी में मिल रही है. पढ़ाई में पिछड़ रहे हो. जिम जाने से भी बच रहे हो. क्लास में अटेंडेंस भी कम हो रही है. किसी से बात तक करना तुमको गंवारा नहीं अब.
तुम टोटली अन-शोसल/ जंगली होते जा रहे हो. आखिर कहाँ थमेगी तुम्हारी यह स्पीड? को-ऑपरेटिव, आदर्श भाई और हर पहलू पर सक्सेज उसके दोस्त की संगति के बाद भी तुम इतने सेल्फ-सेन्ट्रलाइज्ड कैसे?

ऐसे तो वे करते हैं, जो :
(1). सोशलमिडिया एडिक्ट होते हैं
या
(2). ड्रग्स एडिक्ट होते हैं,
या
(3) सेक्स/हैंडप्रैक्टिस एडिक्ट होते हैं.
तुम इन तीनों में से एक भी नहीं हो सकते. इतना नीचे तो तुम नहीं ही गिर सकते : जनता हूँ मैं.

तो जनाब, प्लीज!

बी प्रैक्टिकल.
व्यवहारिक बनो.
समाज में रहना है.
सोसायटी+वर्क, संबंध सब मेंटेन करना है.
जंगल जाकर जंगली जानवर नहीं बनना है.

यहाँ के अपने दोस्तों से भी तुम कुछ काम का ग्रहण नहीं किए. यहाँ के तुम्हारे सारे दोस्त अब तक हम सब से फेमली टर्म्स निभाते हैं. यहाँ तक की तुम्हारी बे-जान सी मित्र गुनगुन भी.
एक कॉल कर दो तो ये तुरंत हाजिर मिलते हैं बेचारे. किसके कारण? तुम्हारे कारण.
तुम इन तक से बात नहीं करते. क्या तुम मानसिक रोगी हो चुके हो? इस तरह का मनोरोग तो सुसाइड तक पहुंचा देता है.

ऐसा है तो पागलखाने में भर्ती होने से पहले, आओ और मेरे साथ चलकर साईक्रेटिस्ट से मिलो. या बोलो मैं योग्य डॉक्टर को लेकर वहाँ आऊं. वर्ना तुम पढ़ तक नहीं पाओगे, बाकी कुछ की तो बात ही छोड़ो.

आदेश नहीं दूंगा. उम्मीद करता हूँ की आज से ही सबकुछ सही करने में लग जाओगे.
~ तुम्हारे पापा.

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