शशि कांत गुप्ते
सियासी क्रिकेट में मैच टॉस उछाल कर छापा और काटा देखकर शुरू नहीं होता है।सियासी मैच में बहुत सी टीम एक साथ मैदान उतरती है।
सियासी क्रिकेट मैच,असली क्रिकेट मैच जैसा नहीं होता है।सियासी क्रिकेट में सभी टीमें सिर्फ बैटिंग करना चाहती है।फील्डिंग कोई भी टीम करना नहीं चाहती है।
सियासी क्रिक्रेट में सभी टीमें फील्डिंग मतदाताओं से करवातीं हैं। मतदाता जिंदगी भर फील्डिंग ही करतें रहतें है।
सियासी क्रिक्रेट में मैच जीतने के लिए निश्चित रन नहीं भी बनतें हैं तो भी जीतने वाली टीम प्रतिस्पर्द्धी टीम के खिलाडियों को
खरीद लेती है और उनके बनाएं हुए रन अपने रनों में जोड़ लेती है। यह होती तो है जोड़ तोड़, पर इसे खरीद फरोख्त कहतें हैं।
यह खरीद फरोख्त होती तो है इंसानों की लेकिन सियासी भाषा में इसे Horse trading (घोड़ों की बिक्री)) कहतें हैं। बिकने वालें इंसानों को हॉर्स( घोड़ों) की उपमा क्यों दी जाती है। यह बहुत ही रहस्यमय मुद्दा है। इसे सियासी क्रिक्रेट की भाषा में Strategy अर्थात रणनीति कहतें हैं। सियासी खेल में रणनीति शब्द बहुत असमजंस्यता भरा लगता है, कारण सियासत में रण तो समझमें आता है,लेकिन नीति समझ के बाहर है।
सियासी क्रिक्रेट हो या असली क्रिक्रेट हो खिलाड़ियों की खरीद फरोख्त होती है यह एकदम सही बात है।
सियासी क्रिक्रेट में या असली क्रिक्रेट हो खिलाड़ियों का मोल भाव खिलाड़ियों की औक़ात पर निर्भर होता है।
मतदाताओं से सिर्फ फील्डिंग ही करवाई जाती है। फील्डिंग के लिए मतदाताओं को खेल के पिच मतलब सत्ता से बहुत दूरी पर खड़ा किया जाता है।
मतदाताओं विजयी टीम द्वारा उछालें हुए जुमलों को झेलना पड़तें हैं।मतदाता बेरोजगारी, महंगाई,शिक्षा,चिकित्सा जैसे मुद्दों की बॉलिंग करती रहती है।
विजयी टीम अपने सियासी हथकंडों से हर तरह की समस्याओं की बॉलिंग को आश्वासनों की बैटिंग से रोक देती है।
पहली बार कृषकों की टीम बहुत ही मजबूती से मैदान में उतरी है।कृषकों की टीम बारह महीनों तक जोरदार आंदोलन रूपी बॉलिंग की और विजयी टीम को बैक फुट पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया।
विजयी टीम को भ्रम था कि अपने पास दो सशक्त अंपायर हैं। जो कूटनीति में माहिर हैं।अपनी टीम को कभी भी पराजित होने नहीं देंगे।
विजयी टीम का भ्रमपूर्ण गुरुर का सुरूर उतर गया।
सियासी क्रिक्रेट में एक खास बात होती है। कुछ टीमें सशक्त टीम की ‘बी’ टीम बनकर खेलती है। ये बी टीमें मतदाताओं को ऐसा दर्शाती है कि ये टीमें सशक्त टीम के विरोध में मैच खेल रहीं हैं।यह टीमें असल में बी टीमें ही होती है।
क्रिक्रेट का खेल असली हो या सियासी खेल महंगा ही होता है।
क्रिक्रेट के खेल की एक खास बात है। क्रिकेट का खेल बारिश होने पर खेला नहीं जाता है।बारिश में मैदान गिला हो जाता है। ज्यादा गीला होने पर मैदान में कीचड़ हो जाता है।ज्याद कीचड़ दलदल में परिवर्तित हो जाता है।
दलदल का परिणाम सर्वविदित है।
शशिकांत गुप्ते इंदौर