इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय समान नागरिक संहिता पर विवाद, महाराष्ट्र की राजनीति में मची हलचल, 3 जुलाई को मानव इतिहास के सबसे गर्म दिन के रूप में दर्ज किया जाना, मध्यप्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ता प्रवेश शुक्ला का आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने का वीडियो वायरल होना, शिवपुरी जिले में दो दलित युवकों की पिटाई, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाए जाने के मुद्दे को लेकर सुनवाई के लिए पांच जजों की बेंच का गठन करना, मध्यप्रदेश में एक महिला को कार के बोनट पर जबरन बैठाकर घुमाने के आरोप में तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाना, तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच का गठन करने का आदेश, बीजेपी द्वारा तेलंगाना, झारखण्ड, पंजाब और अरुणाचल प्रदेश में अपने अध्यक्षों का बदलना, 20 जुलाई से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत, कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त की सुरक्षा बढ़ाने पर विचार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी पर रोक की अवधि को बढ़ाना, गुजरात हाईकोर्ट द्वारा मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखना आदि रहे.
चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान वरिष्ठ पत्रकार मीना कोटवाल, न्यूज़लॉन्ड्री के वरिष्ठ संवाददाता प्रतीक गोयल, न्यूज़लॉन्ड्री के पॉडकास्ट प्रमुख शार्दूल कात्यायन और अवधेश कुमार शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
मध्यप्रदेश में मानवता को शर्मसार करने वाले घटनाक्रम से चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल सवाल करते हैं, “प्रवेश शुक्ला के बारे में लोगों को क्या जानना चाहिए? उसके क्या कारनामे रहे हैं और इस मामले में पुलिस की क्या भूमिका रही?
इसके जवाब में प्रतीक गोयल कहते हैं, “प्रवेश शुक्ला, बीजेपी के विधायक का प्रतिनिधि है. उसका किरदार एक उद्दंड व्यक्ति का रहा है. प्रवेश शुक्ला द्वारा शराब पीकर मारपीट करना, लोगों की जमीनों पर कब्जा करना और उन्हें धमकाना आदि आमतौर पर किया जाता है. हालांकि, आदिवासी युवक पर पेशाब करने का यह मामला एक साल पहले का है, जब पीड़ित एक दुकान पर रिचार्ज कराने आया था. इसी दौरान प्रवेश शुक्ला आया तो उसने पीड़ित पर पेशाब करना शुरू कर दिया.”
प्रतीक आगे कहते हैं, “मध्यप्रदेश के उस इलाके में निम्न वर्ग का इतना शोषण होता है कि उनमें खौफ घर कर गया है. यही वजह है कि पीड़ित प्रवेश शुक्ला का विरोध भी नहीं कर सका. वहीं, जब यह शुक्ला के कारनामे का वीडियो वायरल हुआ तो उसके परिवार ने प्रवेश की गुमशुदगी की झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी. हालांकि, यह मामला सिर्फ किसी पर पेशाब करने या अत्याचार करने का नहीं है, इसके बहुत गहरे मायने हैं, जिनपर विचार होने चाहिएं.”