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गोधरा से एक बार फिर धार्मिक धुर्वीकरण कराने की तैयारी

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सनत जैन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 साल बाद लोकसभा चुनाव के दौरान 2002 में हुए गोधरा कांड की याद दिलाते हुए विपक्ष पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को हाल ही में दिए गए बयान में लपेटने की कोशिश की है।इसे राजनीतिक हलकों में आश्चर्य के रूप में देखा जा रहा है। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस 6 कोच में गोधरा में आग लगी थी।तब गुजरात में नरेंद्र भाई मोदी मुख्यमंत्री थे। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी।

गुजरात सरकार ने कहा था, कि कार सेवक जिस डब्बे में बैठे हुए थे। उसमें एक धर्म विशेष के लोगों ने आग लगाई है। जिसे गोधरा कांड के नाम से जाना गया। इसके बाद गुजरात में भारी नरसंहार हुआ। गुजरात में हुए दंगों में हजारों लोग मारे गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने मुख्यमंत्री मोदी से राजधर्म निभाने की अपील की थी। अटल बिहारी वाजपेई उनका इस्तीफा लेना चाहते थे। तत्कालीन उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बीच इस्तीफे को लेकर मतभेद होने के कारण गुजरात मे नरेंद्र मोदी की सरकार बची रही। गोधरा दंगो के लगभग 9 माह बाद दिसंबर 2002 में विधानसभा के चुनाव हुए।

जिसमें भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से जीत हासिल हुई। उसके बाद लगभग 14 महीने बाद मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार शपथ ली। मोदी का गुजरात मॉडल और हिंदू प्रयोगशाला की सफलता के रूप में इसे जाना गया। 2002 के बाद हिंदी भाषी राज्यों में धार्मिक धुर्वीकरण का प्रयोग गुजरात मॉडल के रूप में किया गया। जिसके कारण मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों में बड़ा लाभ भाजपा को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार ‎के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव पर ‎निशाला साधा है। उन्होंने 2004 में यूसी बनर्जी कमेटी का गठन किया था।17 जनवरी 2005 को कमेटी की रिपोर्ट आ गई थी। जिसमें बताया गया था, कि ट्रेन में आग दुर्घटनावश लगी थी। ट्रेन के कोच में आग किसी के द्वारा नहीं लगाई गई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट को गुजरात सरकार ने ठुकरा दिया था।

गुजरात सरकार ने मार्च 2002 मे नानावटी शाह आयोग से गोधरा कांड की जांच कराई जा रही थी।18 दिसंबर 2008 को इसकी रिपोर्ट आई। जिसमें गोधरा कांड को पूर्व नियोजित साजिश बताया गया। इसकी रिपोर्ट आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर गोधरा कांड को लेकर जो आरोप लग रहे थे। उससे उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी। 22 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर गोधरा कांड का उल्लेख किया है। निश्चित रूप से एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी गोधरा की याद दिलाकर,धार्मिक ध्रुवीकरण को तेज करना चाहते हैं। अगले पांच चरणों में उत्तर प्रदेश की 62 और देशभर की 352 लोकसभा सीटों के चुनाव होना है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के बाद जो ध्रुवीकरण होना था,वह नहीं हुआ। धारा 370 लागू करने के बाद, कश्मीर घाटी और लद्दाख में भाजपा चुनाव नहीं लड़ पा रही है। महंगाई, बेरोजगारी और भारी टैक्सेशन के कारण जनता के बीच सरकार से नाराजी बढी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डबल इंजन की सरकारों के होते हुए,पिछले 10 वर्षों में हिंदुओं को मुसलमानो से डराने का जो अभियान चलाया जा रहा है। वह मतदाताओं को अब प्रभावित नहीं कर रहा है। ‎किसी को भी ज्यादा ‎दिनों तक डराकर नहीं रखा जा सकता है।

गोधरा को एक बार फिर लोकसभा चुनाव में लाकर क्या धार्मिक धुर्वीकरण कराने की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री ने जो आरोप सोनिया गांधी, लालू प्रसाद यादव के ऊपर लगाया है। उनका गोधरा कांड से कोई लेना-देना नहीं था। केंद्र सरकार की भूमिका बहुत सीमित थी। नानावटी शाह आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ही सारी कार्रवाई गुजरात सरकार के ‎निर्देशन में हुई। कानून व्यवस्था राज्य का अधिकार है। 2024 के लोकसभा चुनाव मे सोनिया गांधी, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को निशाने पर लेना है। जो यह बताता है,गोधरा को जिंदा करके 2024 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लड़ना चाहते हैं। यह उनके लिए एक बड़ा जोखिम भी हो सकता है। उन्होंने यह जोखिम उठाया है, तो इसके पीछे कोई ना कोई बड़ा कारण तो होगा।

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