अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

हजारों निर्दोषों को सरकारी तबाही से बचा लिया पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने

Share

मुनेश त्यागी 

       हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद सरकार ने एक सोची समझी साजिश और बदला लेने की मंशा से एक समुदाय विशेष के मकानों दुकानों को बहाने की मुहिम शुरू की और एकतरफा रूप से अपनायी गई साजिश को अंजाम देते हुए चार सौ से ज्यादा मकानों और दुकानों को सरकार ने नेशनाबूद कर दिया। हजारों लोगों को सड़कों पर ला दिया और हजारों लोगों, बच्चों और महिलाओं को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया।

       ऐसे में सम्मानित पंजाब और हरियाणा चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार की इस असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमानी कार्यवाही पर रोक लगाते हुए बुलडोजर द्वारा मकान दुकान गिराने की कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोक दिया। उच्च न्यायालय ने सरकार की इस मनमानी कार्रवाई पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या यह “नसली सफाये” की कार्यवाही नहीं है?

       उच्च न्यायालय ने लोर्ड एक्टन को उद्धृत करते हुए कहा कि “सत्ता भ्रष्ट करती है और निरंकुश सत्ता पूरी तरह से भ्रष्ट कर देती है।” उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार की मकान और दुकान ढाहाने की इस बदनियती पूर्ण कार्यवाही पर बहुत सारे सवाल उठाए हैं कि क्या एक समुदाय विशेष के लिए इमारतों घरों और दुकानों को कानून और व्यवस्था के नाम पर गिराया जा रहा है?

     उसने दूसरा सवाल किया कि क्या सरकार कानून और व्यवस्था का मनमाना और गैरकानूनी बहाना बनाकर “नसली सफाया” करने की मुहिम नहीं चला रही है? अदालत में हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज कि उस टिप्पणी पर आश्चर्य व्यक्त किया जिसमें उन्होंने कहा था की बुलडोजर “इलाज” का हिस्सा है।

        उच्च न्यायालय ने आगे पूछा कि क्या मकान और दुकानों को ढाई जाने से पहले कोई आदेश या नोटिस दिए गए थे और क्या यह सब कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया को अपनाये बिना ही किया जा रहा है? उसने आगे सवाल किया की क्या इन मकानों दुकानों और घरों को ढाये जाने से पहले सरकार द्वारा इन लोगों को कोई नोटिस दिया गया था?

      इस अदालती आदेश के बाद, हरियाणा सरकार  मकान ढहाने की बुलडोजर द्वारा मकान तोडने की मुहिम को रोकने पर मजबूर हो गई है। इस प्रकार उच्च न्यायालय ने मकान ढहाने का स्वत: संज्ञान लेकर हजारों निर्दोष लोगों को बेघरबार होने और भूखों मरने से बचा लिया है। सरकार की इस मनमानी और गैरकानूनी करवाई के बाद चार सौ से ज्यादा मकान और दुकानें जमीनदोज कर दी गई हैं, हजारों लोगों को बेघर करके भूख के कगार पर पहुंचा दिया है।

       यहां पर सबसे प्रमुख सवाल यह उठता है कि क्या सरकार ने इन दंगों में शामिल दंगाइयों की कोई वीडियो ग्राफी की थी? क्या उसने उन सभी दंगाइयों को पहचान लिया था? उनके नाम और पते मालूम कर लिए थे? और क्या सरकार ने उन सभी दंगाइयों के मकान पर बुलडोजर चलाने की नीति सोच समझकर और निष्पक्ष तरीके से बनाई थी जिन्होंने अपने आपत्तिजनक वीडियो और भाषणों के माध्यम से लोगों को दंगे के लिए उकसाया था? क्या इन शैतानी ताकतों को जिन्होंने आपत्तिजनक वीडियो बनाई और भाषण दिए क्या उनके घर भी हरियाणा सरकार द्वारा बुलडोजरों से गिराए जा चुके हैं?

      इस सब का कोई ब्यौरा जनता  और अदालत के संज्ञान में नहीं है। सरकार की इस कार्यवाही को देखकर यह कहा जा सकता है कि सरकार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीति को अपनाते हुए और नफरत के अभियान को आगे बढ़ते हुए सिर्फ और सिर्फ एक समुदाय विशेष यानी मुसलमान समुदाय की दुकानों मकानों को ही धाराशाई करने की अपनी साम्प्रदायिक राजनीति की मुहिम को ही आगे बढ़ाने पर तुली हुई थी। क्या उसने उन सभी सांप्रदायिक तत्वों के मकानों को भी बुलडोजर से ढहाया जो दंगों का आह्वान कर रहे थे और लोगों को हिंसा के लिए उकसा रहे थे?

     उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार से उन लोगों की लिस्ट मांगी है जिनके मकान और दुकान गैरकानूनी रूप से गिरा दिए गए हैं। सरकार ने किस नियम और कानून के तहत मकान ढहाने के आदेश दिए? इस प्रकार का शपथ पत्र अदालत में दाखिल करने के आदेश भी हरियाणा सरकार को दिए हैं।

       हरियाणा की जनता ने, किसानों और मजदूरों ने मिलकर, सांप्रदायिक ताकतों की इस मुहिम की हवा निकाल दी थी और हरियाणा में हिंसा और दंगों को आग में जलने से बचा लिया था और सरकार की इस हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक मुहिम के आगे बढ़कर खड़े हो गए थे और उन्होंने हरियाणा को बर्बादी, हिंसा, दंगों और अपराधों की मुहिम को आगे बढ़ने से बचा लिया था और हरियाणा को हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक हिंसा के गर्त में गिरने से बचा लिया था।

      जिन लोगों के मकान गिराए गए हैं, जिन्हें बेघर किया गया है, जिनका रोजगार छीन लिया गया है, जिन्हें भूखे मरने के लिए मजबूर कर दिया गया है, अब इन बेगुनाह लोगों को सच्चा और वास्तविक न्याय दिलाने के लिए यह जरूरी है कि उच्च न्यायालय सरकार को आदेश दे कि इन लोगों के घर बनवाए जाएं, इन्हें पर्याप्त क्षतिपूर्ति और मुआवजा दिलाया जाए और इन सभी औरतों पुरुषों को कम से कम बीस बीस हजार रुपए प्रति माह जीवन निर्वाह भत्ता दिलाया जाए और अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार इन्हें पक्की दुकान बनाकर मुहैया कराए और और इसी के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि दिन दोषी मंत्रियों और अधिकारियों ने ये अमानवीय कुकर्त्य किए हैं, उन्हें जल्द से जल्द कठोर सजा दी जाए।

      उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पंजाब और हरियाणा के चंडीगढ़ उच्च न्यायालय ने उससे भी बढ़कर काम किया है। उसने हजारों लाखों निर्दोषों बेगुनाहों की जान बचाई है, उनका घर गिरने से ढहाये जाने से बचा लिया है और इस प्रकार माननीय उच्च न्यायालय ने हिंदुत्ववादियों की हिंसक, अपराधी, गैरकानूनी, असंवैधानिक और अमानुष्तापूर्ण हरकतों पर रोक लगा दी है और सांप्रदायिकता पर ब्रेक लगाकर, न्यायिक व्यवस्था को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचा दिया है।

      हम पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं और आशा करते हैं कि भारत के दूसरे उच्च न्यायालय भी इस देश में जानबूझकर साजिशन बढ़ाई जा रही सांप्रदायिक मुहिम पर समयानुसार ब्रेक लगाते रहेंगे और भारत में कानून के शासन, संवैधानिक प्रावधानों की रक्षा करते रहेंगे और साझी संस्कृति को बचाते रहेंगे। सच्चे मायने में तभी भारत में कानून के शासन और संविधान की हिफाजत की जा सकेगी और नफरत से भरी भारत विरोधी सांप्रदायिक मुहिम पर नकेल कसी जा सकेगी।

     पहले हरियाणा के अधिकांश किसानों और मजदूरों ने आगे बढ़कर हरियाणा को सांप्रदायिक दंगों की हिंसा में जलाने से बचाने के लिए आगे बढ़कर काम किया और हरियाणा को दंगों की विभीषिका से बचाने के लिए अपना सीना अडा दिया था और अब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सरकार की इस सांप्रदायिक हिंसा की मुहिम को रोक दिया है। सच में हरियाणा की जनता और किसान और हरियाणा का उच्च न्यायालय शत-शत बधाई के पात्र हैं। पूरे देश की जनता और हरियाणा की जनता इनको सदैव याद रखेगी।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें