इस तस्वीर को गौर से देखिये. जितना संभव हो उतनी बार देखिए. तस्वीर के बांयी ओर जो आदमी कुत्ता की शक्ल में आगे की ओर हाथ बांधे डरा हुआ खड़ा है, वह भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है. कहा जाता है आदमी के नस्ल से कुत्ता बने तो पूंछ थोड़ी देर से उगती है, लेकिन बुद्धि पहले मर जाती है. आदमी से कुत्ता बना यह शख्स अपने मालिक राकेश झुनझुनवाला से मिलकर इतना खुश हुआ कि उसने इस खुशी का इजहार बकायदा टि्वटर पर ट्वीट करके किया.
यह वही ट्विटर सोशल नेटवर्किंग साइट है, जिसके खिलाफ इस कुत्ता ने एक समय खूब भौंका था और उसे भारत में बंद कर डालने का अभियान चलाया था. हालत यह हो गई है कि अब यह बकायदा सरकारी कामों के लिए भी मंत्री मुख्यमंत्री इस्तेमाल करने लगे हैं. मसलन, असम-मिजोरम की पुलिस के बीच चली गोलीबारी को रोकने की प्रधानमंत्री से गुहार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ने इसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल कर किया था.
खैर, तो औद्योगिक घरानों का यह पालतू कुत्ता अपने मालिक से मिलने और उसके पुचकारे जाने की खुशी का इजहार इसी ट्विटर पर किया, मगर थोड़े अलग अंदाज में. मसलन, ‘इकलौते राकेश झुनझुनवाला से मिलकर खुशी हुई…भारत के बारे में जीवंत, व्यावहारिक और बहुत आशावादी’ की टिप्पणी के साथ एक दूसरी तस्वीर शेयर की गई, जिसमें राकेश झुनझुनवाला तो घरेलु पोशाक में हैं, तो वहीं उसका यह नौकर अपने मालिक के सामने अपने पोशाक में है, जैसा अमूमन मालिक के सामने नौकर जाता है.
अपने मालिक से मिलकर नरेन्द्र मोदी को इतनी खुशी हुई कि वह सबको बताना जरूरी समझा. वहीं मालिक झुनझुनवाला के लिए बेमतलब सी चीज लगी तो वहीं उसने इस वक्त का इस्तेमाल कर महज एक घंटे में 900 करोड़ रुपया कमा लिया.
ऊपर दी गई तस्वीर और नीचे दी गई तस्वीर का मिलान कीजिए. दोनों ही तस्वीर घर के अंदर का है. पहली तस्वीर में जहां मालिक झुनझुनवाला कुर्सी पर बैठा डांटने के अंदाज से बात करता दीख रहा है, वही उसका पालतू कुत्ता नरेन्द्र मोदी उसके सामने हाथ बांधे डांट खाता और पूंछ हिलाते कुत्ते की तरह दीख रहा है. जिसके बारे में दलाल गिद्द मीडिया यह बता रहा है कि राकेश झुनझुनवाला डाइबिटीज समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित होने के कारण ह्वील चेयर पर बैठा है. वहीं दूसरी तस्वीर में वही झुनझुनवाला बीमारी से ठीक हो जाता है, और खड़े होकर तस्वीर खींचने का पोज देता है.
असल में पहली तस्वीर और औधोगिक घरानों का कुत्ता बना नरेन्द्र मोदी की हैसियत को बता रहा है, जिसमें वह उस शख्स से बात कर रहा है जिसने कभी लोकतंत्र को विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा बताया था. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उसने कहा था कि ‘लोकतंत्र भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा है, इसके साथ ही उन्होंने एनडीए सरकार की वापसी को लेकर कहा था कि इस लोकसभा चुनाव में एनडीए को 300 से ज्यादा सीटें मिलेंगी.’
इस तरह एक लोकतांत्रिक देश में करोड़ों लोगों के मतों से चुनकर आने वाले प्रधानमंत्री को एक लोकतंत्र विरोधी औद्योगिक घराने के सामने कुत्ते की तरह पूंछ हिलाना न केवल लोकतंत्र विरोधी गतिविधि ही है अपितु, करोडों देशवासियों का अपमान भी है.
‘प्रतिभा एक डायरी’ से