अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

दमोह में दिव्यांग बालिका के साथ दुष्कर्म

Share

                           -सुसंस्कृति परिहार

दमोह नगर में सरकारी दिव्यांग जन छात्रावास में एक दस वर्षीय नाबालिग दिव्यांग बालिका के साथ वहां के चौकीदार ने दुष्कर्म किया जिससे ना केवल वहां रह रही बालिकाओं के परिवार में हड़कंप है बल्कि तमाम अधिकारी इस दुखद घटना की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने प्रयासरत हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वहां मौजूद अधीक्षक सुषमा खरे हैं और वे रात को अपने घर चली जाती है। छात्रावास दो केयर टेकर एक महिला और एक पुरुष रात में उनकी सुरक्षा में रहते है।सवाल ये है कि अधीक्षक को वहां रहने के आदेश नहीं हैं क्या?

इस छात्रावास में 50 बच्चों के रखने का इंतजाम हैं बताया कि यहां 40बच्चे दर्ज़ हैं जिनमें से 20-22बच्चे ही यहां रहते हैं। यहां कक्षा एक से आठवीं तक के दिव्यांग बच्चे रखें जाने का प्रावधान है। बताया जा रहा है जब घटना घटी तबआठ-दस बच्चे ही मौजूद थे।यह परियोजना समन्वयक के अधीन आता है।

डी पी सी मुकेश द्विवेदी जी कहना है उन्हें आए सिर्फ तीन महीने हुए वे ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते।यह स्कूल समीपवर्ती शासकीय माध्यमिक शाला की प्रबंधन समिति संचालित करती है उसी ने सभी कर्मचारियों को नियुक्त किया है। चौकीदार चार पांच  साल से यहां है। चौकीदार के बारे में बताया जा रहा है कि उसने कोरोना काल में अपनी बेहतरीन सेवाएं इस सेंटर को दीं थीं।वह अपने परिवार के साथ रहता था। चौकीदार की आयु पर भी विवाद है कुछ जानकार कहते हैं जहां बालिकाएं रखी जाती हैं वहां 60वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति चौकीदार रखा जाता है जबकि शासकीय अधिकारी इसे 50वर्ष मानते हैं चौकीदार की आयु 55वर्ष है जिसका नाम पंडित ओमप्रकाश तिवारी बताया गया है। बालिका की आयु लगभग 9-10के बीच बताई जा रही है।

अब तक कोतवाली पुलिस ने पीड़ित छात्रा जो अपनी मां और मौसी के साथ कल रिपोर्ट दर्ज कराने गई थी उसका रात्रि में ही मेडीकल परीक्षण करा लिया है तथा चौकीदार को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों केयर टेकर से भी पूछताछ होनी चाहिए।सबसे बड़ी बात ये है कि  इस बात को अधिकारी मानने तैयार नहीं हैं और वे आश्चर्य चकित हैं।

 उधर बालिका पिछड़े वर्ग की होने की वजह से बात ओबीसी महासभा तक पहुंच चुकी है और उनके अंदर खौल है।यदि समय रहते इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं होती है और अपराधी को संरक्षण देने वालों की कलई नहीं खुलती हैं तब तक यह घटना एक बड़े प्रश्नचिन्ह को जन्म देती रहेगी। फिलवक्त ज़रुरत इस बात की है कि पीड़ित बालिका को हतोत्साहित होने से बचाया जाए तथा छात्रावास में रह रहे तमाम बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए जाएं।

एक मासूम के साथ हैवानियत ने सरकारी संस्थान को कटघरे में खड़ा कर दिया है। चूंकि दमोह में बाल कल्याण समिति भंग है इसलिए यह उत्तर दायित्व बाल आयोग का भी बनता है। पिछले दफ़ा गंगा-जमुना स्कूल और एक बाल घर पर जितनी चुस्ती और फुर्ती आयोग ने दिखाई वैसी ही फुर्ती दमोह की जनता देखना चाहती है। उम्मीद है बाल आयोग शीध्र पहल करेगा।

2 comments

  • औरतें ही जिम्मेदार हैं??? कितनी मांओं बहनों बीवियों ने बलात्कारी पुरुषों को सज़ा दिलवाई, उन का बहिष्कार किया??
    बलात्कारी भी औरतों की कोख से जन्मे हैं किसी फैक्ट्री में नहीं बने

    इन कपूतों की मांओं ने गंधारी की तरह पट्टी बांध रखी है आंखों पर जो इन के कुकर्म देख कर चुप हैं।
    इसी लिए कवि ने कहा था
    जननी जने तो भक्त जन कह दाता कि सूर
    नहीं तो जननीं बांझ रहे काहे गवाऐ नूर

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें