अग्नि आलोक
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वास्तविक रहस्य

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डॉ.राजीव डोगरा

गली-गली फिरती युवती
बन राधा
प्रेम भयो न कोई ।
गली-गली फिरते संत
बन योगी
ध्यान मग्न न कोई ।
गली-गली फिरते साधक
बन तपस्वी
चिंतन करत न कोई ।
गली-गली फिरते ज्ञानी
बन सुविज्ञ
आत्मज्ञान करत न कोई ।
गली-गली फिरते अनुरागी
बन कृष्ण
आत्म समर्पण करत न कोई ।
गली-गली फिरते नायक
बन योद्धा
आत्म द्वंद्व करत न कोई ।

डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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